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आईपीएस संजुक्ता पराशर (IPS Sanjukta Parashar) असम के जंगलों में एके-47 लेकर घूमती हैं. उन्होंने कई उग्रवादियों का एनकाउंटर किया और कई को गिरफ्तार भी किया है. मेघालय-असम कैडर (Meghalaya-Assam Cadre) की आईपीएस संजुक्ता पराशर ने दिल्ली के इंद्रप्रस्थ कॉलेज से अपना ग्रेजुएशन किया है. इसके अलावा उन्होंने अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई जेएनयू से की है. वह यूएस फॉरेन पॉलिसी में एमफिल और पीएचडी हैं. संजुक्ता पराशर ने सिविल सर्विसेज परीक्षा में ऑल इंडिया 85 वीं रैंक हासिल की थी. वह 2006 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं.

आईपीएस संजुक्ता ने अब तक दर्जनभर से ज्यादा उग्रवादियों का एनकाउंटर किया है और दर्जनों उग्रवादियों को गिरफ्तार करने में सफलता पाने के साथ उनके के पास से कई टन गोला बारूद और अन्य हथियार बरामद किए हैं. वर्ष 2008 में संजुक्ता पराशर की पहली पोस्टिंग असम के माकुम में असिस्टेंट कमांडेंट के तौर पर हुई थी. इसके बाद तुरंत बाद ही उन्हें उदालगिरी में बोडो और बांग्लादेशियों के बीच हुई हिंसा को काबू करने के लिए भेज दिया गया था.

बतौर सोनितपुर जिले की एसपी रहते हुए संजुक्ता पराशर ने सीआरपीएफ जवानों की टीम को लीड किया और खुद AK-47 लेकर बोडो उग्रवादियों से लोहा लिया. संजुक्ता पराशर को उग्रवादी ऑर्गेनाइजेशन की तरफ से कई बार जान से मारने की धमकी भी दी गई है, लेकिन वह इस बात की परवाह नहीं की है. आईपीएस संजुक्ता पराशर काम से ब्रेक मिलने के बाद अपना ज्यादातर वक्त रिलीफ कैंप में लोगों की मदद करने में लगाती हैं.

उन्होंने असम के जंगलों में एके-47 हाथ में लेकर सीआरपीएफ के जवानों और कमांडों को लीड किया। अप्रैल 2015 में उनकी टीम ने सेना के काफिले पर हमले करने वाले उग्रवादियों की को पकड़ने सर्च अभियान चलाया। उनके नेतृत्व में 16 उग्रवादियों को ढेर कर दियागया और 64 को गिरफ्तार कर उनके पास से भारी मात्रा में हथियार पाया गया। पराशर पुलिस विभाग की लेडी सिंघम हैं। असम के लोग उन्हें आयरन लेडी ऑफ असम कहते हैं। इसकी कई वजह हैं। आईपीएस संजुक्ता ने बोडो उग्रवादियों के खिलाफ ऑपरेशन में प्रमुख भूमिका निभाई थी। साल 2015 में असम के जोरहाट जिले में बतौर एसपी आईपीएस संजुक्ता ने लगातार अभियान चलाया। इस दौरान उन्होनें असम के जंगलों में एके-47 लिए सीआरपीएफ के जवानों और कमांडो को लीड किया।

पिछले साल अप्रैल में उनकी टीम ने सेना पर हमला करने वाले उग्रवादियों को दबोचा था। उन्होंने 15 महीनों में 16 एनकाउंटर किए थे। असम में ऐसी जगहें, जहां ऑपरेशन चलाना मुश्किल था, वहां तक संजुक्ता अपनी टीम के साथ पहुंच गईं और उग्रवादियों पर हमला कर दिया। उनके नेतृत्व में 16 उग्रवादियों को मार गिराया गया और 64 नक्सलियों को गिरफ्तार कर किया गया। आईपीएस संजुक्ता ने 2006 में सिविल सर्विसेज में 85 वीं रैंक हासिल की थी। जिसके बाद मेघालय-असम कैडर को चुना। साल 2008 में संजुक्ता पराशर की पहली पोस्टिंग माकुम में असिस्टेंट कमांडेंट के तौर पर हुई।

बाद में उन्हें उदालगुरी में बोडो और बांग्लादेशियों के बीच हुई हिंसा को काबू करने के लिए भेज दिया गया। वर्तमान में आईपीएस संजुक्ता पराशर असम के सोनितपुर जिले में बतौर एसपी तैनात हैं। पराशर के पति का नाम संदीप कक्कड़ है। उनका एक बेटा भी है, जिसकी देखरेख संजुक्ता की मां करती हैं। वैसे संजुक्ता की मां पेशे से डॉक्टर हैं। उनके पिता एक इंजीनियर हैं। इसके अलावा संजुक्ता पराशर का एक छोटा भाई भी है।

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