Part 1
Indian army पर गोलीबारी
आज की कहानी इंडियन आर्मी के द्वारा 2017 में कश्मीर के एक गांव hafoo में किए गए ऑपरेशन की है, जहां दो आतंकवादी एक घर में छुपे हुए थे और इन्हें दोनों आतंकवादियों को पकड़ने के लिए मेजर ऋषि अपनी टीम लेकर उस घर के बाहर पहुंच जाते हैं और लाउडस्पीकर से उन्हें सरेंडर करने को कहते हैं लेकीन इन दोनों आतंकवादियों को सरेंडर नहीं बल्कि मरने मारने के लिए ट्रेन किया गया था। अभी मेजर ऋषि की बात पूरी भी नहीं हुई थी कि घर की दूसरी मंजिल से फौज के ऊपर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू हो जाती है। दूसरी मंजिल पर छुपे आकिब और उसका साथी अपनी पोजीशंस बदलते हुए Ak47 से मेजर ऋषि की टीम के ऊपर फायरिंग करना शुरू कर चुके थे, j&k पुलिस और सीआरपीएफ भी तुरंत इस ऑपरेशन का हिस्सा बन चुकी थी और इसी के साथ एक अत्यंत भीषण fire फाइट का आरंभ हो चुका था। fire fight जो बिना एक क्षण के रुके अगले कई घंटों तक ऐसे ही चलने वाली थी,फौज और आतंकियों के बीच शुरू हुए इस fire war को पूरे 2 घंटे हो चले थे, मेजर ऋषि ये समझ जाते हैं की यह कोई आम सिविलियन घर नहीं बल्कि विशेष तौर पर बनाया गया हिजबुल का सेफ हाउस है, जिसके अंदर इतना असला बारूद स्टॉप किया गया है की आतंकी काफी देर तक लड़ाई लड़ सकते हैं। लेकिन असली प्रश्न यह था कितनी देर तक? सूरज की आखिरी किरण ढलने से पहले मेजर ऋषि अपने हाथों में वह 15 किलोग्राम का ID उठाते हैं और पीछे से मिल रही कवर फायर की सुरक्षा में बाहरी दीवार को फांद घर की तरफ बढ़ना शुरू कर देते हैं। मेजर ऋषि के पीछे उनका buddy लांस नायक आवेश कुमार भी दूसरी मंजिल पर फायरिंग करते हुए आगे की तरफ बढ़ने लगता है और कुछ देर बाद 42 RR के दोनों फौजी घर के मेन दरवाजे पर पहुंच जाते हैं, अभी मेजर ऋषि ID को दरवाजे पर प्लांट कर ही रहे थे, की तभी दूसरी मंजिल से हो रही फायरिंग अचानक ही रुक जाती है, साफ था के दोनों आतंकी उनके प्लान को भाप चुके थे और अब खुद को बचाने के लिए अपनी पोजीशंस बदल रहे थे। इधर नीचे दरवाजे पर ID PLANT करने के बाद में मेजर ऋषि बाहर तैनात अपनी टीम को थोड़ा पीछे हटने का इशारा करते हैं और खुद अपने buddy के साथ दीवार की तरफ भागते हुए wireless डेटोनेटर के रिमोट का बटन दबा देते हैं, जमीन को दहला देने वाला एक जोर का धमाका होता है और देखते ही देखते इस घर का अगला हिस्सा नीचे देह जाता है। लेकिन इस धमाके से निकला एक पत्थर का टुकड़ा तेज गति से major Rishi की तरफ आता है और उनके हेलमेट के नीचे माथे पर लग जाता है, पर इससे पहले वह कुछ समझ पाते उनके माथे से खून का एक फव्वारा सा छूटता है। हिसबुल के इस save house का अगला हिस्सा मलबे में तब्दील हो चुका था मेजर ऋषि और उनका बड़ी बाउंड्री वॉल के पीछे आ चुके थे और लगभग 15 मिनट की चुप्पी के बाद एक बार फिर दूसरी मंजिल से फायरिंग शुरू हो चुकी थी। मेजर ऋषि का एक साथी उनके माथे से निकल रहे खून को रोकने के लिए उनकी पट्टी करने में लग जाता है और इसी दौरान उनके दिमाग में एक और idea आता है, मेजर साहब दोबारा घर की तरफ बढ़ेंगे, कवर फायर के लिए तैयार रहे। इधर 42 RR की QRT TEAM को यह मैसेज मिलता है और उधर मेजर ऋषि एक बार फिर उस घर की तरफ बढ़ना शुरू कर देते हैं और इस बार उनके हाथों में ID नहीं है बल्कि मॉलोटोव कॉकटेल थी। COMPUND के अंदर पहुंचने के बाद, मेजर ऋषि कुछ मॉलोटोव को घर के अंदर अलग-अलग हिस्सों में फेक पीछे हटना शुरू कर देते हैं और देखते ही देखते घर आग की लपटों में तब्दील होने लगता है। मेजर ऋषि को लग रहा था की खुद को आग से बचाने के लिए दोनों आतंकी घर से बाहर भागेंगे ही भागेंगे, लेकिन ऐसा नहीं होता। लगभग 20 मिनट तक धू-धू कर जलने के बाद आग शांत हो चुकी थी। घर का ज्यादातर हिस्सा कोयला बन चुका था लेकिन आकिब और सैफुल्ला अभी भी बाहर नहीं निकले थे। आग की चंद आखिरी लपटों को छटपटाते हुए देख मेजर ऋषि का मन भी छटपटा ने लगता है, उनकी एक और टैक्टिक्स फेल हो चुकी थी और कहीं यह पूरा ऑपरेशन भी फेल ना हो जाए ऐसा विचार मात्र ही मेजर ऋषि को बेचैन कर रहा था। आधी रात होते-होते मेजर ऋषि के CEO कर्नल धीरज भी साइट पर पहुंच जाते हैं।
Ab क्या यह मिशन सक्सेसफुल होता है या वह भागने में कामयाब हो जाते हैं इन QUESTION का जवाब आप को नेक्स्ट वीडियो में मिलेगा।
TO BE CONTINUED…
DIVANSHU