शिवदीप लांडे २००6 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी हैं। वे वर्तमान में केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर महाराष्ट्र पुलिस में डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस- एंटी नारकोटिक्स सेल, क्राइम ब्रांच, मुंबई के रूप में सेवारत हैं। इससे पहले, उन्होंने बिहार के पटना, अररिया, पूर्णिया और मुंगेर जिलों में आरक्षी अधीक्षक के रूप में कार्य किया। पटना (मध्य क्षेत्र) के एसपी के रूप में वे काफी लोकप्रिय थे। उन्होंने अपने कैरियर में कई अपराधियों को गिरफ्तार किया और सख्त कार्रवाई की।
महाराष्ट्र के अकोला जिले के परसा गाँव में एक किसान परिवार में जन्मे शिवदीप लांडे २००6 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अफसर हैं। बहुत सामान्य स्तर के परिवार में उनकी परवरिश हुई है। उनके माता-पिता अधिक पढ़े-लिखे नहीं थे। उनकी माँ सातवीं कक्षा उत्तीर्ण थी तथा पिता दसवीं कक्षा में तीन बार अनुत्तीर्ण होकर खेती-बारी करते थे। वे दो भाइयों में से बड़े हैं। कठिन परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने अपनी ऊँची शिक्षा पूरी की है। महाराष्ट्र के श्री संत गजानन महाराज इंजीनियरिंग कॉलेज, शेगाँव से विद्युत-अभियंत्रण में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने मुंबई में रहकर संघ लोक सेवा आयोग की तैयारी की थी। इसके बाद उन्होंने भारतीय राजस्व विभाग में भी नौकरी की थी। इसी बीच उनका संघ लोक सेवा आयोग में चयन हो गया।
बिहार कैडर के अधिकारी शिवदीप लांडे की पहली नियुक्ति मुंगेर जिले के नसल प्रभावित जमालपुर में हुई थी। पटना में अपने कार्यकाल के दौरान अपनी अनोखी कार्यशैली के कारण शिवदीप पूरे देश में प्रसिद्ध हो गये। पटना कार्यकाल के दौरान शिवदीप ने मनचलों को खूब सबक सिखाया। लड़कियाँ खुद को सुरक्षित महसूस करने लगी थी। छात्राओं के मोबाइल में उनका नंबर जरुर रहता था। पटना से जब उनका अररिया तबादला हो गया तो लोगों ने कैंडल मार्च निकालकर सरकार के इस फैसले का विरोध किया था। स्थानांतरण के बावजूद लोगों की दीवानगी उनके प्रति कम नहीं हुई है। लड़कियों के फोन और एसएमएस उनको आते रहते हैं। इस पर शिवदीप का कहना है कि लोगों का भरोसा मुझ पर है, इसलिए वे मुझे फोन या एसएमएस करते हैं
कार्यकाल के दौरान शिवदीप ने खनन माफियाओं की नींद उड़ा दी थी। फिल्मी अंदाज में उन्होंने खुद जेसीबी चलाकर अवैध स्टोन क्रेशरों को नष्ट करना शुरू किया तो माफियाओं में हड़कंप मच गया। इस अभियान के बाद पुनः उनका तबादला कर दिया गया। लेकिन वे जहाँ भी रहते हैं, अपराध से समझौता नहीं करते हैं। उन्हें केन्द्र सरकार द्वारा तीन साल के लिए महाराष्ट्र में प्रतिनियुक्ति दी गई थी मीडिया ने शिवदीप लांडे की ‘दबंग’ पुलिस अधिकारी की छवि बना दी है, लेकिन वास्तव में वे अपनी ड्यूटी पर जितना सख्त नजर आते हैं, निजी जीवन में उतने ही विनम्र हैं। विवाह से पहले वे अपने वेतन का 20 प्रतिशत एनजीओ को दान कर देते थे। अब परिवार बढ़ने से इसमें कमी जरूर आई है परंतु बंद नहीं हुआ है। वेतन का 25 से 30 प्रतिशत भाग वे अब भी दान में दे देते हैं। इसके अलावा कई सामाजिक कार्यों में भी वे सहयोग करते हैं। उन्होंने कई गरीब लड़कियों का सामूहिक विवाह भी करवाया है।