तानाजी फिल्म प्रमोशन के दौरान actor शरद केलकर ने एक रिपोर्टर को उसकी गलती का एहसास दिलवाया क्योंकि रिपोर्टर ने पूछा कि,” आपको शिवाजी का role निभाते हुए कैसा लग रहा है?”। उस पर शरद ने उसे सही करते हुए कहा कि,” छत्रपति शिवाजी महाराज”। जिस पर लोगों ने तालियां बजाई। तो यह होता है असली रिस्पेक्ट।
छत्रपति शिवाजी महाराज maratha empire के एक राजा है जिन्होंने औरंगजेब जैसे खतरनाक दुश्मन को भी चकमा दिया। शिवाजी महाराज तो सबसे अनोखे थे ही, पर उनके साथ जुड़े लोग उनके भक्त थे। तो अगर वो लोग नही होते, तो शायद मराठा साम्राज्य कभी नजर ही नहीं आता और उसमें से एक नाम है नेताजी पालकर, जिन पर शिवाजी महाराज को भी गर्व था।
नेताजी पालकर हिंदवी स्वराज्य के सरसेनापति थे। उनके पिता शिवाजी महाराज के पिता शहाजी भोसले महाराज के यहां जहागीरदार के तौर पर काम करते थे।
विजापुर का आदिलशाह और शिवाजी महाराज को मारने आया अफजल खान को मारने की जबरदस्त लड़ाई में नेताजी पालकर ने एक बहुत ही बड़ा रोल निभाया।
नेताजी पालकर की जो पर्सनालिटी थी वह बिल्कुल ही शिवाजी महाराज की तरह थी, इसीलिए सब लोग उन्हें छठ से पहचान नहीं पाते थे। उन्हें तो डुप्लीकेट कॉपी भी कहा जाता था।
जब औरंगजेब ने शिवाजी महाराज को कैद करके रखा था और महाराज आगरा से मिठाई के बक्से में बैठकर औरंगजेब को चकमा देकर चले गए तब, औरंगजेब भड़क उठा और उसने नेताजी पालकर को अपनी कैद में रखा। औरंगजेब तो नेताजी पालकर की तलवारबाजी, उनकी बुद्धि, उनका तीर चलाना इस सब से बहुत ही ज्यादा खुश था और वह चाहता था कि वह नेताजी को अपने साथ रख के वो शिवाजी महाराज पर हमला करें।
पर औरंगजेब यही रुका नहीं। उसने एक चाल चली। नेताजी का धर्म बदलावाया और उनका नाम रखा मोहम्मद कुली खान। यह सब कुछ उसने जबर्दस्ती करवाया। मुहम्मद कुली खान का नाम लेते हुए, नेताजी पालकर को अफगानिस्तान में कंधार किले के गैरीसन कमांडर के रूप में काम दे दिया था।
उन्होंने भागने की कोशिश भी की, लेकिन उनका पता लगाया गया और लाहौर में वो फंस गए । इसके बाद, कंधार और काबुल के युद्धक्षेत्रों में , उन्होंने विद्रोह पश्तूनों के खिलाफ मुगलों के लिए लड़ाई लड़ी। इस तरह उन्होंने औरंगज़ेब का यकीन हासिल किया और शिवाजी के क्षेत्र को जीतने के लिए सेनापति दिलेर खान के साथ दक्कन भेजा गया। और यहीं से नेताजी महाराष्ट्र में रायगड चले गए जहा पर शिवाजी महाराज थे। सब लोगों ने उन्हें रोक दिया क्योंकि उन्होंने धर्म बदलावाया था और वह औरंगजेब के पास से आए थे, तो कोई उन पर यकीन नहीं कर रहा था। पर नेताजी तरस रहे थे शिवाजी महाराज को देखने के लिए और उन्हें गले लगाने के लिए। उनके दिल में यह भी था कि क्या महाराज ने उन्हें अपनांएंगे? क्योंकि वह तो दुश्मन के घर से आए थे। पर फिर महाराज आए और उन्हें देखकर नेताजी काफी ज्यादा भावुक हुए और उन्होंने कहा,” महाराज क्या आप मुझे अपनाएंगे?”। तब महाराज ने कहा,” क्यों नहीं, नेताजी तुम हमारे ही हो। हमें सब धर्मों का आदर करना ही चाहिए, पर कोई बदला लेने के लिए धर्म का सहारा लेकर जबरदस्ती करें, यह सही नहीं है”।
फिर उस काल के पंडितों ने कहा कि,” अगर नेताजी पालकर को यहीं पर रहना है तो उन्हें हिंदू धर्म में बदलना पड़ेगा”। फिर एक दिन शिवाजी महाराज और नेताजी पालकर ने पंडितों के साथ उनका धर्म बदलकर उन्हें स्वराज्य में शामिल किया।
ऐसे महान योद्धा की साल 1681 में मौत हो गई। पर जब भी शिवाजी महाराज अपने साथियों का नाम लेते हैं,तब नेताजी पालकर जी का नाम सबसे ऊपर आता है क्योंकि उन्होंने औरंगजेब जैसे खतरनाक दुश्मन के दरबार में रहकर उसके नाक में दम किया था।
अब बाहुबली फिल्म में भी आपने देखा कि बाहुबली के साथ भी कभी कटप्पा ने तो कभी बाकी साथियों ने बहुत बड़ा काम किया। ऐसा ही कोई किरदार हमें देखने को मिले जो बाहुबली 3 में दुश्मनों पर जीत हासिल करने के लिए उसकी मदद करें।