वह मास्टर दा सूर्य सेन ही थे, जिन्होंने पूरे देश की आजादी से पहले पश्चिम बंगाल के चटगांव प्रांत को अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त करा लिया था और भारत के ध्वज को फहथा। वैसे तो बंगाल में उन्हें लोग बड़े सम्मान से याद करते हैं, पर राष्ट्रीय पटल पर बहुत कम लोग उनके राया बारे में जानते हैं। उनका नाम “मास्टर दा सूर्य सेन” है। उनके नाम के साथ “मास्टर” शब्द इसलिए जुड़ा है क्योंकि उन्होंने अनगिनत क्रांतिकारियों में राष्ट्रभक्ति के बीज बोए थे।
मरते-मरते उनके आखिरी शब्द थे, “मैं उनका समर्पण ऐसा था, कि अंग्रेजों ने उनके शरीर के हर हिस्से को तोड़ दिया, नाखून उखाड़ दिए पर स्वतंत्र भारत के उकेवल एक चीज छोड़ कर जा रहा हूं। यह मेरा एक सुनहरा सपना। स्वतंत्र भारत का सपना।”
22 मार्च 1894 में चटगांव बांग्लादेश में जन्मे सूर्य सेन भारत ने इंडियन रिपब्लिकन आर्मी की स्थापना की और चटगांव विद्रोह का सफल नेतृत्व किया। IRA के गठन से पूरे बंगाल में क्रांति की ज्वाला भड़क उठी और 18 अप्रैल 1930 को सूर्यसेन के leadership में दर्जनों क्रांतिकारियों ने चटगांव के शस्त्रागार को लूटकर अंग्रेज शासन के खात्मे की घोषणा कर दी।
क्रांति की ज्वाला के चलते चटगांव में कुछ दिन के लिए अंग्रेजी शासन का अंत हो गया था। वे नेशनल हाईस्कूल में सीनियर ग्रेजुएट शिक्षक के रूप में कार्यरत थे और लोग प्यार से उन्हें “मास्टर दा” कहकर सम्बोधित करते थे। अंग्रेजों ने उन्हें 12 जनवरी 1934 को मेदिनीपुर जेल में फांसी दे दी थी।
सूर्य सेन के पिता का नाम रमानिरंजन था। चटगांव के नोआपाड़ा इलाके के निवासी सूर्य सेन एक teacher थे। साल 1916 में उनके एक अध्यापक ने उनको क्रांतिकारी विचारों से प्रभावित किया, जब वह इंटरमीडिएट की पढ़ाई कर रहे थे और वह अनुशीलन समूह से जुड़ गये।
बाद में वह बहरामपुर कालेज में बीए की पढ़ाई करने गये और युगान्तर से परिचित हुए और उसके विचारों से काफी inspired रहे।
मास्टर दा के leadership में हुए चटगांव आंदोलन ने आग में घी का काम किया और बंगाल से बाहर देश के अन्य हिस्सों में भी स्वतंत्रता संग्राम उग्र हो उठा। इस घटना का असर कई महीनों तक रहा।
पंजाब में हरिकिशन ने वहां के गवर्नर की हत्या की कोशिश की। दिसंबर 1930 में विनय बोस, बादल गुप्ता और दिनेश गुप्ता ने कलकत्ता की राइटर्स बिल्डिंग में प्रवेश किया और स्वाधीनता सेनानियों पर जुल्म ढ़हाने वाले पुलिस अधीक्षक को मौत के घाट उतार दिया।
IRA की इस जंग में दो लड़कियों प्रीतिलता वाडेदार और कल्पना दत्त ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सत्ता डगमगाते देख अंग्रेज बर्बरता पर उतर आए। महिलाओं और बच्चों तक को नहीं बख्शा गया।
IRA के अधिकतर योद्धा गिरफ्तार कर लिए गए और तारकेश्वर दस्तीदार को फांसी पर लटका दिया गया। अंग्रेजों से घिरने पर प्रीतिलता ने जहर खाकर मातृभमि के लिए जान दे दी, जबकि कल्पना दत्त को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
सूर्य सेन इस विद्रोह के बाद छिपे रहे और एक स्थान से दूसरे स्थान पर चलते रहे। वे एक कार्यकर्ता, एक किसान, एक पुजारी, गृह कार्यकर्ता या धार्मिक मुसलमान के रूप में छिपे रहे। इस तरह उन्होंने ब्रिटिशों के गिरफ्त में आने से बचते रहे।
एक बार उन्होंने नेत्र सेन नाम के एक आदमी के घर में शरण ली। लेकिन नेत्र सेन ने उनके साथ छल कर धन के लालच में ब्रिटिशों को उनकी जानकारी दे दी और पुलिस ने फरवरी 1933 में उन्हें पकड़ लिया।
इससे पहले कि नेत्र सेन को अंग्रेजों ने पुरस्कृत किया हो, एक क्रांतिकारी उनके घर में आया और “डाह” (एक लंबी चाकू) के साथ उसका सिर काट डाला। नेत्र सेन की पत्नी सूर्य सेन की एक बड़ी समर्थक थी, इसलिए उन्होंने कभी भी उस क्रांतिकारी के नाम का खुलासा नहीं किया जिन्होंने नेत्र सेन की हत्या की थी।
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Brief:
RRR is a 2022 Indian Telugu-language epic action drama film directed by S. S. Rajamouli, who co-wrote the film with V. Vijayendra Prasad. It was produced by D. V. V. Danayya of DVV Entertainment. The film stars N. T. Rama Rao Jr., Ram Charan, Ajay Devgn, Alia Bhatt, Shriya Saran, Samuthirakani, Ray Stevenson, Alison Doody, and Olivia Morris. It centers around two real-life Indian revolutionaries, Alluri Sitarama Raju (Charan) and Komaram Bheem (Rama Rao), their friendship and their fight against the British Raj.
Rashika Patel