Part 2: Shabnam हुई गिरफ्तार!
शबनम को गिरफ्तार करने के बाद जब पुलिस ने सलीम को शबनम के सामने बिठाया तो शबनम ने अपना गुनाह कबूल कर लिया और पूरी कहानी बताने लगी.
अब शबनम ने अपने परिवार को खत्म करने का फैसला तो कर लिया मगर यहां दिक्कत यह थी की वह 2 लोग मिलकर घर के छह लोगों पर काबू नहीं पा सकते थे, इसलिए यह तय हुआ की उन्हें मारने से पहले किसी तरह बेहोश कर दिया जाए ताकि वह आसानी से अपना काम कर सके। 14 अप्रैल 2008 की सुबह प्लान के तहत सलीम बेहोशी की दवा लेने के लिए अपने गांव बावनखेड़ी से करीब 38 किलोमीटर दूर पाकवारा पहुंचता है। वह अपने गांव से दवाई इसलिए नहीं खरीदा ताकि किसी को कोई शक ना हो और आपको तो पता ही है की गांव में हर कोई एक दूसरे को जानता है तो सलीम पाकवारा पहुंचकर वहां के एक मेडिकल स्टोर से बेहोशी की 10 गोलियां खरीदना है और फिर उस दवा को लाकर शबनम को दे देता है, किधर होता ये है की शबनम के दोनों भाई अनीस और राशिद जो की छुट्टी लेकर घर आए हुए थे वह दोनों भाई एक साथ 14 अप्रैल 2008 को घर से वापसी के लिए निकल जाते हैं, बड़े भाई अनीश को वापस जालंधर जाना था और छोटे भाई को मेरठ। जब यह बात शबनम को पता चली तो वह सोचती है की अगर उसके दोनों भाई चले गए तो उनका प्लान फेल हो जाएगा क्योंकि अगर उसके परिवार में कोई एक भी जिंदा बच गया तो प्रॉपर्टी उसके हाथ से निकल जाएगी इसलिए वह अपने भाइयों को कॉल करती है और तब तक उसके दोनों भाई गजरौला तक पहुंच गए थे। इसके बाद शबनम अपने भाइयों को किसी काम का बहाना करके गजरौला से वापस बुला लेती है और कहती है की वह आज की बजाय कल चले जाए। बहन की बात सुनने के बाद दोनों भाई भी वापस आ जाते हैं। इसके बाद आती है 14 अप्रैल 2008 की रात और यह वो रात थी जिसे की ना सिर्फ बावनखेड़ी गांव बल्कि पूरे अमरोहा के लोग आज तक भुला नहीं पाए। 14 अप्रैल की रात सभी घर वालों ने खाना वगैरा खा लिया तो शबनम ने सभी के लिए चाय बनाई और उस चाय में बेहोशी की गोली मिला दी। इसके बाद शबनम ने वह नशीली चाय अपने 10 महीने के भतीजे को छोड़कर सभी को दी क्योंकि जाहिर सी बात है की 10 महीने का बच्चा चाय तो पिएगा नहीं। इस बीच शबनम की सलीम के साथ फोन पर लगातार बातचीत चल रही थी और जब चाय पीने के बाद सभी लोग अपने बिस्तर पर बेहोश हो गए तो शबनम ने सलीम से कहा की अब तुम आ जाओ, इसके बाद सलीम आदी रात गए शबनम के घर पहुंचता है और वह अपने साथ एक कुल्हाड़ी भी लाया था। इसके बाद शबनम ने एक-एक कर अपने मां-बाप, दोनों भाई, भाभी और फुफेरी बहन का सर पकड़ा और सलीम ने कुल्हाड़ी से सभी की गर्दन काट दी। लास्ट में बचा शबनम का 10 महीने का भतीजा जिसे की कुल्हाड़ी से तो नहीं काटा गया, मगर शबनम के कहने पर सलीम ने उसका गला दबाकर उसे भी शांत कर दिया, इसके बाद दोनों ने अपने हाथ पैर धोए और शबनम ने सलीम को वहां से बाहर भेजकर घर का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। बाहर आने के बाद सलीम ने उस कुल्हाड़ी को एक तालाब में फेंक दिया और फिर अपने घर वापस चला गया। इधर शबनम, सलीम को छोड़ने के बाद वापस ऊपर गई और अपने कपड़े बदलने लगी क्योंकि उसके कपड़ों पर खून के छींटे पड़ गई थी। तभी उसने एक बच्चे के रोने की आवाज सुनी और जब उसने चेक किया तो पता चला की उसका 10 महीने का भतीजा अभी भी जिंदा है और जोर जोर से रो रहा है, दरअसल जब सलीम ने उस बच्चे का गला दबाया था तो वो सिर्फ बेहोश हुआ था और उन्हें लगा की वह मर गया है। तो जब सोनम ने देखा की उसका भतीजा अभी भी जिंदा है, उसने फौरन सलीम को फोन मिलाया और उसे वापस आकर बच्चे को फिर से मारने के लिए कहा. मगर सलीम ने वहां दोबारा आने के लिए साफ मना कर दिया और शबनम से कहा की अब जो करना है वह तुम ही करो। इसके बाद शबनम ने खुद अपने हाथों से अपने 10 महीने के मासूम भतीजे का गला दबाकर मार डाला और जब यह तसल्ली हो गई की घर के सभी लोग मर चुके हैं तब रात 2:15 बजे के करीब वह अपनी बालकनी में आई और रोना पीटना शुरू कर दिया और इसके बाद क्या हुआ वह मैंने आपको पहले ही बता दिया। यूपी पुलिस ने दोनों का कबूलनामा दर्ज करने के बाद अगले दिन यानि 19 अप्रैल, 2008 को दोनों को officially गिरफ्तार कर लिया।
अब इसके आगे की कहानी में आपको अपनी नेक्स्ट वीडियो में बताऊंगा। To be continued…
Divanshu