डीजल के बढ़ते दाम आमजन के लिए नुकसानदायी जरूर है, लेकिन तस्करों की चांदी हो गई गुजरात का डीजल कहीं चोरी-छिपे तो कहीं खुलेआम प्रदेशभर में बड़े पैमाने पर बिक रहा है। राज्य सरकार को लाखों-करोड़ों के राजस्व का चूना लग रहा है। वहीं, डीजल विक्रेताओं को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। गुजरात में डीजल पर लगने वाली ड्यूटी यहां से कम है। इस कारण गुजरात में डीजल सस्ता मिलता है। तस्करों ने इसी खामी फायदा उठाकर तस्करी शुरू कर दी है। अब गुजरात के डीजल की सप्लाई पूरे प्रदेश में हो रही है।
गुजरात से लाया जा रहा डीजल मिलावटी और बेस ऑयल होने की भी आशंका है बेस ऑयल डीजल जैसा ही होता है और उसका उपयोग औद्योगिक इकाइयों में लिया जाता है। इस ऑयल से ट्रक और बसें इत्यादि भारी वाहन आसानी से चल सकते हैं। सस्ता होने के कारण बेस बॉयल यहां धड़ल्ले से बिक रहा है। ट्रक और बस चालक भी बेस ऑयल खरीदने में हिचकिचाते नहीं है। इस पर जीएसटी भी कम है। इससे तस्करों को दोहरा फायदा हो रहा है। तस्कर बॉयो फ्यूल के नाम का भी सहारा ले रहे हैं। इससे पकड़े जाने का डर नहीं रहता। हालांकि, बॉयोफ्यूल भी सीधे टैंकर से नहीं बेचा जा सकता। इसके लिए बॉयो फ्यूल प्राधिकरण से लाइसेंस लेना पड़ता है।
डीजल की तस्करी में भारी मुनाफा हो रहा है। गुजरात में यह तेल करीब 50 से 55 रुपए लीटर में मिल जाता है। यहां 65 से 70 रुपए में बेचते हैं। इससे एक टैंकर पर करीब ढेड़ से दो लाख रुपए का मुनाफा होता है। मुनाफे के लिहाज से यह बेस ऑयल होने की संभावना ज्यादा है। मजे की बात यह है कि तस्कर खुलेआम सडक़ किनारे ही इसे बेचते हैं। सुरक्षा मापदंडों की भी खुलकर अवहेलना की जा रही है। कई जिलों में पेट्रोल पंप एसोसिएशन में प्रशासन को शिकायत भी की है, लेकिन तस्करी पर अंकुश नहीं लगा है।