Aashiqui 3

Jahangir or NoorJahan की दास्तान

मुगल बादशाह जहांगीर ने अपने जीवन में कई शादियां की लेकिन नूरजहां से मिलने के बाद उनके होठों पर किसी और का नाम नहीं आया। नूरजहां 34 साल की विधवा थी जब उनकी जहांगीर से शादी हुई। मुगल इतिहास में शायद ही ऐसा पहले कभी हुआ होगा और यही नहीं जहांगीर के सहयोग से नूरजहां मुगल दौर की सबसे powerful queen बनी, तो नजर डालते हैं मुगल पीरियड की सबसे progressive प्रेम कहानी पर। जब नूरजहां का जन्म हुआ, उनके पिता ने उनका नाम मेहरून्निसा रखा। उनका परिवार पर्शिया से अपनी किस्मत आजमाने हिंदुस्तान आ रहा था। रास्ते में उनको बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा पर बावजूद उसके वह अपनी मंजिल की तरफ dat कर बड़ रहे थे, जब उनका परिवार कंधार पहुंचा तब मेहरून्निसा का जन्म हुआ। उनके जन्म के बाद मलिक मसूद नाम के एक मर्चेंट उनके परिवार की मदद के लिए आगे आए और उन्होंने उनके पिता Ghiyas beg को अकबर के दरबार में नौकरी दिलवाने का वादा भी किया। Ghiyas beg ने इस खुशकिस्मती का श्रेय अपनी बेटी को दिया और उसका नाम रखा मेहरूनिस्सा। जिसका मतलब है सूरज की रोशनी और जब जहांगीर का जन्म हुआ उनके घर में भी खुशहाली और आबादी आई, उनसे पहले अकबर की सारी औलाद जन्म लेते ही गुजर गई थी, जिसकी वजह से वह फकीरों से एक औलाद के लिए दुआ करते थे। 31 अगस्त, 1569 में अकबर की चौथी बीवी मरियम उज़-ज़मानी को बेटा हुआ, जिसका नाम शेख सलीम चिश्ती के नाम पर नूरुद्दीन मोहम्मद सलीम नाम रखा गया। बादशाह बनने पर सलीम ने अपना नाम जहांगीर रक लिया। जहांगीर की पहली शादी फरवरी 1585 में अजमेर के राजा भगवत दास की बेटी मान भाई से हुई, उसके बाद जहांगीर ने पॉलिटिकल अलायंस बढ़ाने के लिए कई राजपूत और मुगल राजकुमारियों से शादी की। जहांगीर की तरह मेहरूनिस्सा की भी शादी 17 साल की उम्र में मुगल दरबार के शूरवीर शेर अफगान से हुई। 1605 में दोनों को एक बेटी हुई जिसका नाम लाडली बेगम रखा गया, लेकिन दो साल बाद 1607 में शेर अफगान को मुगल से बगावत करने के जुर्म में मार दिया गाया or मेहरूनिस्सा को अकबर की पत्नी रुकैया बेगम का सहायक बनाकर मुगल दरबार लाया गया। जहांगीर ने पहली बार मेहरूनिस्सा को 1611 में मीना बाजार में देखा और देखते ही उनको मेहरून्निसा से इस कदर प्यार हो गया की बिना कोई वक्त गवाए जहांगीर ने उन्हें शादी का प्रस्ताव भेज दिया और उसी साल 25 मई को दोनों की शादी हो गई। मेहरून्निसा से शादी के बाद जहांगीर ने किसी और से निकाह नहीं किया। शादी के पहले साल में जहांगीर ने मेहरून्निसा को नूर महल यानी महल को रोशन करने वाली और कुछ समय बाद नूरजहां यानी दुनिया को रोशन करने वाली के नाम से नवाजा। नूरजहां एक पढ़ी-लिखी और काफी इंटेलिजेंट महिला थी। वह जहांगीर को राज्य के कई मामलों में सलाह भी देती थी। जहांगीर उनकी बातों की बहुत कद्र करते थे और शायद उनका नूरजहां पर बेइंतहा भरोसा एक बहुत बड़ा कारण था जिस वजह से वह मुगल साम्राज्य की सबसे ताकतवर रानी बनी। जहांगीर ने नूरजहां को शाही मोहर देकर अपनी सल्तनत के हाईएस्ट ऑनर से नवाजा और शाही झरोखे में दोनों एक साथ बैठकर जागीरो के मसले सुलझा थे। यही नहीं नूरजहां एकलौती मुगल क्वीन है, जिनके नाम से शाही सिक्के भी जारी किए और जब जहांगीर बीमार पड़ते थे, तो दरबार के मामले नूरजहां ही देखती थीं, लेकिन जहांगीर को शराब और अफीम की आदत थी और एक समय बाद उनका एडिक्शन इतना सीरियस हो गया की नूरजहां ही एक तरह से राज्य की शासक बन गई थी। आखिरी के सालों में खराब तबीयत से परेशान जहांगीर अपना इलाज कराने कश्मीर जा रहे थे, तो रास्ते में उनको मोहब्बत खान के आदमियों ने मुगल तख्त पर कब्जा करने के इरादे से बंदी बना लिया। जहांगीर को मोहब्बत शान के चंगुल से छुड़ाने नूरजहां खुद हाथी पर सवार होकर एक विशाल सेना लेकर पहुंची, पर मुगल सेना मोहब्बत खान के आदमियों के सामने कमजोर पड़ गई और मोहब्बत खान के आदमी नूरजहां को भी अपने साथ बंदी बना के ले गए, मगर महाबत खान को नूरजहां की चतुराई का अंदाजा नहीं था नूरजहां उनकी नाक के नीचे ही एक सेना संगठित करके जहांगीर को लेकर फरार हो गईं, पर अफसोस की घर लौटने के कुछ समय बाद ही जहांगीर की मौत हो गईं। उनकी मौत के बाद उनके बेटे शहर यार और शाहजहां में पावर स्ट्रगल हुई। इस सप्ताह संघर्ष में नूरजहां शहरयार के साथ थी पर इसमें जीत शाहजहां की हुई और उन्होंने शहरयार को फांसी देने का फरमान जारी किया। फिर शाहजहां ने नूरजहां और उनकी बेटी लाडली बेगम को लाहौर भिजवा दिया। नूरजहां की मौत 17 दिसंबर 1645 में 68 साल की उम्र में हुई और उनकी इच्छा अनुसार उन्हें जहांगीर के करीब दफनाया गया ताकि वह हमेशा एक-दूसरे के नजदीक रह सके। जहांगीर और मेहरून्निसा की कहानी कन्वेंशनल लव स्टोरीज की तरह नहीं है क्योंकि उनका रिश्ता मोहब्बत यह बच्चों तक ही नहीं सीमित था, वफादारी के साथ साथ दोनों में एकाग्रता और एक दूसरे के प्रति बहुत इज्जत थी। जहांगीर ने मेहरून्निसा को नूरजहां बनाया और नूरजहां ने जहांगीर के इस प्यार और भरोसे को जिंदगी भर सराया।

तो यह थी जहांगीर और नूरजहां की प्रेम कथा। और इस love story से थोड़ी इंस्पायरर हो सकती है Aashiqui 3 की story।

Divanshu

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