चोरी करने के लिए चोर नए-नए तरीके अपनाता है और अलग-अलग चीजें सीखता है । पर यह कहानी कैसे चोर की है जिसने खुद को चोरी के बाद के पूरे झमेले से बचाने के लिए law की पढ़ाई की।
इस चोर का नाम है Dhaniram Mittal । 1939 धनीराम मित्तल की पैदाइश हरियाणा के भिवानी इलाके में होती है। पढ़ाई लिखाई में अच्छा था और रोहतक के college से graduation भी किया। पर graduation खत्म होने के बाद जब धनीराम नौकरी ढूंढने निकला तो उसने कई जगह interview दिए पर कहीं भी उसकी दाल नहीं गली । उसे अपनी और अपने दोस्तों की हालत देख कर यह समझ आया कि सही रास्ते पर से तो नौकरी नहीं मिलने वाली।
उसने कुछ सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने चालू किए। RTO रोहतक के office में जाकर उसने यह देखा कि लोग बिना कागज पूरे हुए भी घूस देकर अपना licence बनवा रहे हैं। क्युकी 1964 मे ना तो computer थे और ना ही वहां ज्यादा पूछताछ हुई इसीलिए वहां लोगों के जाली कागज बना कर घूस लेने लगा। इसके बाद धनीराम ने अपने खुद के फर्जी कागज बनाएं जिसमें अलग-अलग degrees थी और भारतीय railway में नौकरी हासिल कर ली। उसने 6 साल एक station master के रूप में railways के लिए काम किया और फिर भी उस चोर का मन अपने काम में नहीं लगा तो उसने यह नौकरी छोड़कर गाड़ियां चुराने का काम किया। इस दौरान यह कई बार गिरफ्तार हुआ और गिरफ्तारी से छूटने के लिए इसको lawers की मदद लेनी पड़ी।
इसके बात धनीराम राजस्थान जाकर LLB की पढ़ाई करता है । यहां एक college में admission ले कर वह LLB पूरी करता है और उसके बाद handwriting की पढ़ाई भी शुरू करता है ताकि वह असली और नकली कागजों में फर्क बता सके । इसके बाद इसमें graphology की भी पढ़ाई की। इस सब के बीच भी इतना पढ़ा लिखा होने के बावजूद भी धनीराम ने चोरिया नहीं छोड़ी और इन सबके बीच भी पर चोरी करता रहा। धनीराम ने कम से कम 1000 से ज्यादा गाड़ियां चुराई और जब court में उसकी सुनवाई होती तब वह वकीलों को भी पीछे छोड़ देता। अपनी दलीलें पर खुद देता था और investigation के दौरान पुलिस ने क्या सही और क्या गलत किया यह भी judge के सामने पूरा कच्चा चिट्ठा खोल देता था।
धनीराम अपनी कला में इतना माहिर हो गया था कि गाड़ी चुराकर बेचने में उसे पहले जो दिक्कत होती थी , अब graphology और handwriting का course करने के बाद उसे नकली कागज तैयार करके उन गाड़ियों को बेचने में भी दिक्कत नहीं होती थी।
पर एक दफा धनीराम ने कैसा काम किया जो हिंदुस्तान के इतिहास में किसी भी चोर ने नहीं किया है। एक दफा धनीराम हरियाणा में अखबार पढ़ रहा था जब उसे पता चला कि जर्जर में एक Civil court के judge है जिन पर विभागीय जांच चल रही है। और ये enquiry Punjab and Haryana High court ने बिठाई थी। उसने उस Civil court के judge के घर stamp किया हुआ कागज भिजवाए जिसमें यह लिखा था कि जब तक उन पर यह enquiry चल रही है तब तक वह court नहीं जाएंगे और उनकी जगह एक नया judge appoint किया जाएगा।
उधर Civil Court में भी यह letter पंजाब एंड हरियाणा highcourte की तरफ से आता है कि जब तक enquiry चल रहे judge के ऊपर enquiry चल रही है तब तक धनीराम उसकी जगह सारी सुनवाइए सुनेंगे। 40 दिन तक धनीराम मित्तल judge के रूप में उस Civil court में बैठता है और सारी सुनवाई हो का हर पहलू सुनता समझता और फिर अपना फैसला सुनाता ।
इन 40 दिनों में उसने 2470 लोगों को जमानत दे दी। और 40 दिन बाद कि खुद ही court से गायब हो गया और बाद में इसका भंडाफोड़ हो गया।
धनीराम करीबन 70 साल का हो गया कई बार मैं अपने उम्र का हवाला देते हुए भी गाड़ी चलाते समय जब पकड़ा जाता तो बच जाता।
2016 में जब धनीराम 77 साल का था तब एक जगह से 3 गाड़ियां चुराते समय इसे दिल्ली पुलिस ने पकड़ लिया।
ऐसे ही रंगीले चोरों की कहनी होने वाली है bade Miya chote miyan 2।
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Apoorva