धीरज ,उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ का रहने वाला था। वो अपने भैया भाभी के साथ रहता था । जब छोटा था तब accident मे उसके माता-पिता की मौत हो गई थी । जिसके बाद उसके बड़े भाई ने उसकी पढ़ाई लिखाई करवाई और पाल पोस कर बड़ा किया । पढ़ाई करने के बाद धीरज एक फौजी बना। जब भी छुट्टियां पड़ती वह घर आकर familiy के साथ समय बीतता।
ऐसी एक छुट्टी के समय जब धीरज घर आया हुआ था तब उसने subh सुबह उठके जब अखबार पढ़ा तो चौक गाया।
पहले पन्ने पर लिखा था की पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया है। यह बात है 1999 के kargil को समय की। पाकिस्तानियों ने भारत के kargil में घुसपैठ कर वहा हमला किया था। धीरज की खबर पढ़ी तभी उसकी भाभी उसके पास एक चिट्ठी लेकर आए जिसमें उसके वापस लौटे का order था।
पढ़कर धीरज ने अपना बैग pack किया और kargil के लिए रवाना हो गया। धीरज गोरखा बटालियन की तरफ से लड़ा और देश को बचाने के लिए अपनी पूरी जी जान लगा दिया । भारतीय जवानों की बहादुरी से इस जंग को पूरा किया गया और पाकिस्तान को ईंट का जवाब पत्थर से मिला । युद्ध खत्म होने के बाद पूरे देश में खुशी की लहर दौड़ गई, भारतीय सैनिकों ने बहुत कुछ खोया लेकिन अब सबके चेहरे पर जीत की खुशी थी। इस बीच धीरज ने अपने बड़े भाई को phone किया। उसने बताया की वह कुछ दिनों में वापस आने वाला है और साथ में एक दोस्त भी लाने वाला है जो जंग के समय अपने पैर खो चुका था।
ये सुनते ही उसके भैया ने उसके दोस्त लाने से मना कर दिया क्युकी वह विकलांग उन पर बोझ होता।
समय किसी तरह बीतता रहा। एक दिन राघव और उसकी पत्नी दोनों बात कर रहे थे कि तभी दरवाजे पर घंटी की आवाज से राघव ने जाकर दरवाजा खोला तो उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई । उसने देखा की दरवाजे पर उसका भाई धीरज आया है। लेकिन वह तो पैरों पर नहीं बल्कि की wheel chair पर बैठा है। धीरज जिस दोस्त की बात कर रहा था वह कोई और नहीं बल्कि वह खुद था। युद्ध के दौरान जब पाकिस्तानी बनकरो को नष्ट करने के लिए वह आगे बढ़ रहा था तब उसका पैर पाकिस्तानी द्वारा फेंके गए grenade पर पड़ गया। इस वजह से उसके दोनों पैर बुरी तरह घायल हो गए थे जिसके बाद dr. ने उसके दोनों पैरों को काट दिया।
धीरज एक भारतीय फौजी था और फौजी कभी भी किसी पर बोझ नहीं बनना चाहता इसलिए उसने अपनी भाभी से अपने दोस्त को लाने की बात कही लेकिन जब उसके भैया भाभी ने मना किया तो काफी टूट गया । उसने ठीक होने का इंतजार किया इस दौरान उसके मन में कई बार खुदकुशी का ख्याल आया लेकिन भारतीय सैनिक तो मौत को मात दे देते हैं । ये देखकर उसका बड़ा भाई राघव रोने लगा और उससे माफी मांगने लगा । उसने अपने भाई को माफ किया और वहां से जाने लगा। धीरज के बड़े भाई ने उसे रोकने की कोशिशकी लेकिन धीरज ने किसी की एक न सुनी क्योंकि वह किसी पर बोझ नहीं बनना चाहता था ।
सरकार के दिए हुए fund से धीरज ने एक नई जिंदगी की शुरुआत की। उसका निशाना हमेशा से ही बहुत अच्छा था इसलिए उसने विकलांग archery खेलना शुरू किया। धीरज इतना अच्छा खेलता था कि कुछ ही महीनों में वह नेशनल भी खेला और जीता भी।
ऐसे ही brave jawan कि कहानी होने वाली है shahrukh khan starrer Jawan!
Ab jaate jaate aapko aapki fayda ki baat btaana chahti hu , toh agar aap bhi cinema ki duniya se judna chahte hai aur kaam karna chahte hai toh description box mei diye gye job link par click kare aur iss opportunity ka zarur fayda uthaye.
apoorva