Jawan

Mohan अभी-अभी घर आया था । आते ही अपने room जाकर अपने पैरों पर दर्द का मरहम लगाते हुए करहा रहा था । तभी उसकी विधवा मां सुधा उसके कमरे में आती है। मोहन सुधा को बताता है की military की दौड़ की practice के समय वह गिर गया था । सुधा तुरंत अपनी साड़ी का आंचल फाड़ कर मोहन को पट्टी पहना देते हैं।

मोहन की मां ने मोहन को बड़े मुश्किलों से पाला था। वह घर घर जाकर बर्तन मांजने का काम करती थी । इसलिए mohan अपनी मां को जल्द से जल्द अपनी नौकरी की खुशी देना चाहता था।

1 सप्ताह बाद बहाली के मैदान में army की selection होने वाले थे और मोहन कौन में दौड़ना था ।।मोहन के पैर में चोट थी पर फिर भी मैंने कोशिश करना नहीं छोड़ा।

दौड़ने मोहन अब्बल नंबर पर रहा और बैजू दूर number पर ही रहता है। Long jump, high jump आदि सारी प्रक्रियाओं aur बाधाओं को दूर कर के दोनों सफल हो जाते हैं।।

3 महीने के अंदर ही उनकी posting जम्मू कश्मीर के कारगिल क्षेत्र में हो जाती है। Posting पर जाते वक्त मोहन के घर उसकी मां उसका सामान लगा रही थी। अभी बैजू बाहर से आवाज लगाता –है मोहन अरे ओ मोहन चल भाई नहीं तो ट्रेन छूट जाएगी !

बेटे को पहली बार बाहर जाने के कारण सुधा अपने आप को रोक नहीं पाती। वह सिसकने अपने लगती हैं और अपनी कांपते हाथों से खाने का सामान झोले में बंद करती रहती है। मां की सिसकारी सुन मोहन emotional हो जाता है लेकिन जल्द ही अपने जज्बातों पर काबू कर अपनी आंखों से आंसू पूछते हुए मां से बोलता है– निकलता हूं ,अपना ध्यान रखना और ज्यादा सोचना मत। रोना नहीं मैं लेकर चाचा के mobile पर रोज रात में phone करूंगा ठीक है ना !

मोहन, बैजू के साथ मोहन वाराणसी cant पहुंचता है दूसरे दिन जाकर रात में जम्मू पहुंचता है, वहां से सेना की गाड़ी से दूसरे दिन सुबह कारगिल पहुंचता है ।

वहा सुधा का मन नहीं लगता वह मोहन के बिना घर में अकेली महसूस करती है । वह अक्सर बीमार रहा करती है ।

तभी वहा जागीरा आकर अपने पैसे मांगने लगता है।सुधा उसे कहती है की बेटे की salary आते ही वह उसके पैसे सूट समेत लौटा देगी। जागिरा गुस्से मेकहता है की अगले महीने तक पैसे नही आए तो वह सूत को दुगना कर देगा।

अगले दो महीनों में सुधा मोहन के द्वारा भेजे गए पैसे से जागीरा का कर्ज चुका देती है। दो महीने बाद मोहन घर आने वाला होता है और सुधा एक-एक दिन गिनती रहती है । जब 1 सप्ताह बचा होता है तो कारगिल में आतंकवादियों का घुसपैठ हो जाता है।

आतंकवादियों ने एक school मे बच्चो को बंधक बना लिया होता है। Army जल्द ही लोहा लेने के लिए निकलती है।

Mission के दौरान आतंकवादियों की गोलियों से मोहन घायल हो जाता है। लेकिन बच्चे आजाद हो जाते हैं सभी आतंकवादी मारे जाते हैं । मोहन को military hospital में भर्ती कराया जाता है। जहां उसे 2 महीने का bed rest कर दिया जाता है इधर बैजू अपने गांव पहुंचता है। मोहन की मां बैजू से कहती है की वह उसे मोहन के पास ले चले ये कहते कहते वह रोने लगती है। पर बैजू उसे समझता है की।मोहन बिकुल ठीक है। और कुछ महीनों बाद आ जायेगा।

अगले महीने गणतंत्र दिवस पर मोहन के नाम की घोषणा वीरता पुरस्कार के लिए announce होता है । मोहन का पदोन्नति पर नायब सूबेदार बना दिया जाता है। गणतंत्र दिवस समारोह में सुधा को भी दिल्ली बुलाया जाता है। सुधा बैजू के साथ समारोह में जाकर अपने बेटे को राष्ट्रपति से award लेते देख गदगद हो जाती है । वहीं से मोहन के साथ गांव लौट जाती है गांव में विधायक, DM, मुखिया सभी उसके स्वागत में खड़े होते हैं । जैसे ही मां बेटा गांव की सीमा पर पहुंचते हैं चाचा जोर से चिल्लाते हैं मोहन कुमार जिंदाबाद ! सभी गांव वालों एक साथ गगनभेदी नारे लगाते हैं।

ऐसे ही दिलदार जवान की।कहानी होने वाली है shahrukh khan starrer jawan

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