यह कहानी एक ऐसे criminal की है जिसने 25 साल की छोटी सी उम्र में Mumbai को अपने घुटने पर ला दिया था। जिसके ऊपर Shootout At Lokhandwala film भी बनी थी । मगर आपको जानकर हैरानी होगी कि फिल्म में दिखाए गए बहुत सारे facts गलत थे। और कई असली बातें दिखाई भी नहीं गई थी ।
एक ऐसा इंसान जिसने पूरी Mumbai को हिला कर रख दिया था । आपने बेखौफ कारनामों के लिए वह मशहूर था। जिस तरह उसकी जीवन शैली थी , वैसा जीवन आज तक किसी ने नहीं जिया होगा, और जैसे उसकी मौत हुई शायद आजतक किसी की नहीं हुई होगी। नाम है ,माया ।
माया भाई नाम भले ही हल्का लग रहा होगा मगर यह आदमी बहुत भारी था। अपने जीवन में ऐसे ऐसे कांड किए हैं कि उस के सामने बड़े से बड़ा Don भी से कतराता था इसके कारनामें और हरकतें इतनी मसालेदार थी कि bollywood ने तो माया के ऊपर film बना डाली। 2007 में आई Film Shootout At Lokhandwala में Maya Dolas का किरदार Vivek Oberoi और माया की मां Ratnaprabha का किरदार Amrita Singh ने निभाया था ।लेकिन माया कि जिंदगी को जो पहचान मिलनी चाहिए थी वह नहीं मिली थी । और साथ ही कुछ ऐसी बात है जो फिल्मकारों ने आपसे छुपाई थी वह भी छुप गई थी।
माया का जन्म 15 अक्टूबर 1966 को मुंबई के प्रतीक्षा नगर में हुआ। माया डोलस का असली नाम माया नहीं था बल्कि नाम तो महेंद्र डोलस था । लेकिन उसे सब माया के नाम से बुलाते थे क्योंकि उसकी मां ने उसको एक बार मजाक में माया बोल दिया था ,जिसकी वजह से लोगो को उसका नाम वो पसंद आ गया था। उसके बाद से किसी ने माया को महेंद्र नहीं बुलाया। माया अपने मां-बाप का इकलौता बच्चा भी नहीं था आपको बता दें कि माया अपने पिता विठोबा डोलस और रत्नप्रभा के 6 संतानों में से एक था। आपको अगर लग रहा है कि माया के अनपढ़ gangster था तो या फिर गलतफहमी है। आपको बता दें कि माया ने अपनी पढ़ाई मुंबई की ITI college से की। पढ़ाई में तो ठीक-ठाक था मगर वह crime की दुनिया में आ गया ।
उसकी हिम्मत और इरादे इतने बुलंद थे कि उसे अपनी उम्र का कभी ख्याल ही नहीं किया था। मात्र 22 साल की उम्र में ही अशोक जोशी की गैंग में शामिल हो गया था। उसके बाद अपने दम पर माया ने मुंबई पर अपनी छाप छोड़ दी ।उस समय माया ने अपने सनकी दिमाग से अशोक जोशी की गैंग में मजबूत पकड़ बना ली थी।और वो अशोक जोशी गैंग का टॉप शूटर बन गया था ।अशोक जोशी के लिए वो कंजूर गांव में बहुत से रैकेट चलाता था। मगर माया की तरक्की यही नहीं रुकी थी। जब दाऊद गैंग और अशोक जोशी गैंग में भिड़ंत हुई तो उन्होंने अशोक जोशी को मार डाला ।लेकिन दाऊद गैंग ने अशोक के सभी लड़कों को नहीं मारा था । माया और छोटा राजन दोनों को ही अशोक जोशी की गैंग से निकालकर दाऊद ने अपनी गैंग में शामिल कर लिया था क्योंकि वह माया को अपने गैंग में लेना चाहते थे।और इस तरह वो दाऊद गैंग के लिए काम करने लगा। उसके साथ काम करते करते उसने जल्द ही मुंबई में खुद का सिक्का उछाला चालू किया। काम तो दाऊद के लिए करता था पर अपनी मर्जी से बिल्डरों को धमकाने लगा। माया के बारे में कहा जाता है कि वह किसी के अंडर में काम नहीं कर सकता था कई बार दाऊद जैसे बड़े डॉन के अगेंस्ट जाकर उसी के बिल्डरों से दोबारा हफ्ता निकलवाने का काम करता था। उसके ऐसे बर्ताव से वह दाउद की नजरों में भी खटक ने लगा था ।1991 में माया 25 साल का हुआ तो इस 25 साल के लड़के को मारने के लिए पुलिस की पूरी फौज आई थी और 25 साल की उम्र में मुंबई पुलिस ने एनकाउंटर में माया को मार दिया था। उसके साथ उसके 6 साथी भी मारे गए। आपको बता दें कि इस 25 साल की लड़के को मारना इतना आसान नहीं था ।इसके पीछे मुंबई पुलिस कब से लगी थी। पर माया पकड़ में नहीं आ रहा था।माया को पकड़ने के लिए बड़े बड़े अधिकारी तरीके बना रहे थे मगर तभी मुंबई पुलिस को tip मिलती है कि माया मुंबई की लोखंडवाला बिल्डिंग के प्लॉट नंबर 5 में है । माया डोलस के साथ दिलीप बूआ, अनिल पवार ,राजू पुजारी, अशोक नाडकर्णी ,अनिल कपूर ,यह भी फ्लैट में थे ।माया की एक बिल्डर के साथ मीटिंग थी जिसे माया ने फिरौती के लिए धमखाया था। उसी के लिए वह सब उस फ्लैट में थे तभी मुंबई पुलिस वासी अपार्टमेंट को चारों ओर से घेर लेती है। मुंबई पुलिस का नेतृत्व आफताब अहमद खान करते हैं। मुंबई पुलिस माया और उसके साथियों को नीचे से वार्निंग देती की वो सरेंडर करदे । लेकिन माया और उसके साथी पुलिस पर फायरिंग करने लगते हैं मुंबई पुलिस जवाब में फायरिंग चालू करती है। 4 घंटे तक फायरिंग चलती है यह सब कैमरे में शूट किया जा रहा था काफी न्यूज़ चैनल पर दिखाया जा रहा था। 4 घंटे तक चले शूटआउट के बाद माया डोलस और दिलीप और उनके साथियों को शूटआउट में मार दिया जाता है। कहते है माया को मारने की टिप दाऊद इब्राहिम की हुई थी। उस समय में शूट किया था क्योंकि उस समय माया से बड़े और भी कई मुजरिम हुआ करते थे जो कि मुंबई में रहकर काम करते थे ।मगर माया ना सिर्फ दाऊद के खिलाफ चला जा रहा था। वह उसके लिए मुसीबत बन गया था उसकी आंखों में खटक गया था और माया के शूटआउट में पूरा नहीं हुआ था जब तक किसी के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं मिलते तब तक नहीं किया जा सकता । एनकाउंटर के बाद माया के पास सात लाख रुपए मिले थे ।मगर यहां दिलचस्प बात यह है कि फिर भी मुंबई पुलिस माया के खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सकी और उनके खिलाफ इंक्वायरी भी बैठी थी । आपको यह बता दें कि माया की कहानी पर जो फिल्म बनी थी उनके खिलाफ भी माया की मां Ratnaprabha Dolas ने कोर्ट में केस दर्ज किया था माया की मां का कहना था कि फिल्म में उनके बेटे माया को गलत दिखाया गया । 9 साल की उम्र में अपने बाप को बुरी तरह से मार देता है जबकि माया के पिता का निधन 1997 में हुआ था और जैसा कि आप जानते हैं कि माया का शूटआउट 1991 में हो गया था । माया को बचपन से सनकी दिखाने के लिए कहानी को बस मोड़ दे दिया । जबकि ऐसा नहीं था ।
ऐसी ही criminal don की जिंदगी pe बन रही है khalaynayak २.
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Apoorva