Police को मिली बड़ी कामयाबी
चुनाव खत्म होने के बाद सुरेश राव के आदमी रोमेश शर्मा के पास हेलीकॉप्टर मांगने जाते हैं लेकिन जब वह वहां पहुंचता है तो रोमेश शर्मा के आदमी उसके आदमियों को पीटने लगते हैं जिसके बाद अब सुरेश राव भी romesh शर्मा से मिलने के लिए अनेकों बार दिल्ली आते हैं, लेकिन हर बार उनकी मुलाकात रोमेश की जगह गालियों और धमकियों से ही होती है। इस जानकारी के आधार पर नीरज कुमार romesh के ऊपर एक प्रेजेंटेशन बना अपने बॉस और सीबीआई डायरेक्टर पी एन मिश्रा के सामने प्रस्तुत कर देते हैं। सीबीआई में आने से पहले मिश्रा SPG में काम कर चुके थे और उन्होंने रोमेश शर्मा को कई बड़े वीवीआईपी नेताओं व मंत्रियों के साथ उठते बैठते और यहां तक की प्रधानमंत्री निवास पर भी आते जाते कई बार देखा हुआ था, शायद इसीलिए थोड़ी देर तक कुछ सोचने के बाद पी एन मिश्रा नीरज कुमार को आगे बढ़ने से मना तो नहीं करते, लेकिन रोमेश पर हाथ डालने से पहले उसके खिलाफ और पुख्ता सबूत इकट्ठा करने को जरूर कहते हैं। मिश्रा के साथ हुई इस मीटिंग के 1 महीने बाद, नीरज कुमार को एक दिन होम मिनिस्ट्री से एक स्पेशल सेक्रेट्री का फोन आता है। नीरज कुमार का सीनियर कलीग रह चुका ये सिविल अधिकारी उन्हे एक विदेशी फोन number दे इसके मालिक का पता लगाने के लिए कह रहा था। 93 के धमाकों के बाद से ही नीरज कुमार अंडरवर्ल्ड के फोन नंबर का एक विशाल डेटाबेस तैयार करने में लगे हुए थे और जब वो इस फोन नंबर को अपने कंप्यूटर प्रोग्राम में डाल सर्च करते हैं तो उनकी कंप्यूटर स्क्रीन पर एक नाम फ्लैश होने लगता है। यह नाम था अबू सलीम अब्दुल कयूम अंसारी। नीरज कुमार जब यह बात बताने के लिए स्पेशल सेक्रेटरी को फोन करते हैं तो वह उन्हें तुरंत नॉर्थ ब्लॉक पहुंचने के लिए कहते हैं। नॉर्थ ब्लॉक पहुंचने के बाद नीरज कुमार को पर्सनल एंड ट्रेनिंग डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी अरविंद वर्मा से मिलवाया जाता है, जो उन्हे बताते हैं की उनके एक दोस्त रमेश मलिक को इस नंबर से धमकियां मिल रही हैं। कुछ दिन पहले इस नंबर से रमेश मलिक के नंबर पर एक कॉल आई थी और दूसरी तरफ से बोल रहा आदमी खुद को अबू सलीम बताते हुए उनको धमकियां दे रहा था, वह चाहता था की रमेश मलिक जल्द से जल्द अपना चिराग एनक्लेव वाला ऑफिस कंपलेक्स अपने चचेरे भाई अशोक मलिक के नाम कर दें, जब नीरज कुमार यह कंफर्म करते हैं की फोन करने वाला वह आदमी वास्तव में अबू सलीम ही है, तो अरविंद वर्मा उनसे रमेश मलिक की सहायता करने का आग्रह करने लगते हैं। अगले दिन नीरज कुमार मुंबई में पोस्टेड सीबीआई के एक इंस्पेक्टर को ये जीमा सौंप देते हैं और फिर कई लोगों से होता हुआ यह संदेश अबू सलीम तक पहुंच जाता है की डीआईजी साहब को रमेश मलिक को मिल रही धमकियों के बारे में पता चल चुका है।उधर जैसे ही अब्बू सलीम को यह संदेश मिलता है वह सबसे पहले रमेश मलिक को फोन घुमाता है। हेलो कौन बोल रहा है, घबराई हुई आवाज में मलिक यह पूछता है, तो दूसरी तरफ से आवाज आती है, क्या मलिक साहब आपने कभी बताया नहीं की आप CBI में इतने बड़े-बड़े लोगों को जानते है, अरे नीरज कुमार आपके जानने वाले हैं , आपको बताना चाहिए था, आज अपनी आवाज में बिल्कुल अलग ही नरमी लिए अब्बू आगे कहता है, Malik साहब आप बिल्कुल बिंदास हो जाओ, अब आपको मुझसे कोई टेंशन नहीं मिलेगा और हां, अगर कोई दूसरा आपको कोई प्रॉब्लम देता है तो मेरे को इसी नंबर पर कॉल करके बताने का। उदर रोमेश शर्मा के फोन नंबर को tap कर रहे क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर ईश्वर सिंह उसके और अबू सलीम के बीच हुई कॉल्स को भी रिकॉर्ड कर लेते हैं, पर इन कॉल्स को सुनने के बाद, सीबीआई डायरेक्टर पी एन मिश्रा आखिरकार नीरज कुमार को रोमेश शर्मा के ऊपर हाथ डालने की अनुमति देते हैं। मिश्रा से ग्रीन सिग्नल मिलते ही नीरज कुमार पुष्पक एविएशन के सुरेश राव से संपर्क करते हैं। उनके आग्रह करने पर, सुरेश रावत दिल्ली आ जाते हैं और सीबीआई के साथ मिलकर रोमेश को दबाने के लिए एक प्लान बनाना शुरू कर देते हैं। प्लान कुछ ये था की सुरेश राव रोमेश के मेफेयर गार्डन वाले निवास पर जाकर एक बार फिर अपना हेलीकॉप्टर वापस मांगेंगे। रोमेश इसके लिए कभी तैयार नहीं होगा और उनके साथ गाली गलौज मारपीट करेगा, जिसके बाद वह हौज खास पुलिस स्टेशन में उसके खिलाफ एक एफ आई आर दर्ज करवा देंगे। FIR होते ही सीबीआई को यह केस ट्रांसफर कर दिया जाएगा और फिर सीबीआई उसको गिरफ्तार कर लेगी। अब नीरज कुमार का ये प्लान था तो बहुत ही सिंपल, लेकिन जो प्लान कागज के ऊपर सिंपल दिखाई पड़ते हैं कई बार वास्तविक जीवन में उतने ही पेचीदा साबित होते हैं।
तो अब क्या यह प्लान कामयाब होगा या नहीं यह हमें नेक्स्ट वीडियो में पता चलेगा। To be continued…
Divanshu