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3 साल 12 हत्याएं
एक के बाद एक 6 लाश मिलने के बाद पुलिस अपनी नींद से जागती है और सबसे पहले लाशे को बरामद करती है।
इन लाशों को बरामद करने के दौरान पुलिस को लाश के पास से एक पत्थर भी मिला था जिस पर खून लगा हुआ था और जब उस पत्थर की जांच की गई तो उसका वजन 30 किलो निकला. इन सब बातों से पुलिस के सामने एक चीज उभरकर आयी, की अगर कातिल कोई एक इंसान है तो वह एक जवान और हट्टा कट्टा है। क्योंकि 30 किलो का वजनी पत्थर उठाकर किसी पर हमला करना किसी उम्र दराज यह शरीर से कमजोर इंसान का काम नहीं हो सकता। पर एक सवाल और था की क्या इसमें 1 से ज्यादा लोग शामिल है? और इस सवाल का कोई जवाब नहीं था पर सभी केस की फाइल पढ़ने के बाद यह चीज साफ थी की यह एक सीरियल किलिंग का मामला है और इन सभी मौतों का जिम्मेदार कोई एक इंसान या फिर कोई एक ग्रुप है, और जब यह सारी चीजे पुलिस के सामने आई तो लोगों को आगाह किया गया, उन्हें चेताया गया, खासकर उन लोगों को जो फुटपाथ पर सोते थे। इसी बीच मुंबई पुलिस को एक उम्मीद की किरण नजर आई, दरअसल, एक आदमी जो की वेटर का काम करता था और फुटपाथ पर सोता था, वह ऐसे ही एक हमले में जिंदा बच गया, जब उस पर हमला होने वाला था, तो अचानक उसकी आंख खुल गई, जिसकी वजह से उसे मामूली चोट आई और उसकी जान बच गई। अब मुंबई पुलिस को लगा की शायद अब उस सीरियल किलर तक पहुंचने में मदद मिलेगी। पर जब पुलिस उसका बयान लेने पहुंची तो पता चला कि उसने उसका चेहरा देखा ही नहीं, क्योंकि जहां वह सोया हुआ था वहां अंधेरा था जिसकी वजह से उसका चेहरा नजर नज़र नहीं आया। मुंबई पुलिस के चेहरे पर जो एक चमक आयी थी थोड़ी देर के लिए वो अब फिर से मायूसी में बदल गई पर पुलिस ने अपनी जांच जारी रखी और रात को अपनी पेट्रोलिंग को और बढ़ा दिया, मगर कोई फायदा नहीं हुआ और कुछ ही दिनों बाद 7 वी लाश भी सामने आ गई ,और ऐसा करते-करते साल 1985 से साल 1988 आ गया और इन 3 सालों के अंदर मुंबई पुलिस फुटपाथ से अब तक 12 लाशें बटोर चुकी थी। कभी कोई गुमशुदगी की रिपोर्ट भी सामने नहीं आयी, जिसकी वजह से मरने वाले की अभी शिनाख्त नहीं हो पाई और सर कुचलने की वजह से उनका चेहरा भी कभी सामने नहीं आया, तो पुलिस के पास एक परेशानी यह भी थी। हालांकि पुलिस ने लाश की बाकी चीजों जैसे कपड़े वगैरह से भी उन लाशों की पहचान करने की कोशिश की, पर उसमें भी उन्हें नाकामी ही हाथ लगी और कभी उनकी कोई आईडेंटिफिकेशन सामने नहीं आयी। इससे पता चलता है की उस सीरियल किलर ने कोई कोई भी हत्या करने से पहले अपनी तरफ से पूरे इलाके और जिसे मारना है उसकी अच्छी तरह से रैकी की उसकी छानबीन की, जिसकी वजह से वह कभी पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा और एक-एक करके उसने 12 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। हालांकि इस मौत के आंकड़े पर हमेशा एक सवाल बना रहा, कई जानकारों का मानना है की इस सीरियल किलर ने करीब 26 लोगों की जान ली थी, पर मुंबई पुलिस के हिसाब से officially 12 लोगों की ही जान गई थी, कई लाशों की तो FIR ही दर्ज नहीं की गई, ताकि लोगों में पैनिक ना फैले पर बावजूद इसके उस वक्त लोगों में इतना खौफ फैल गया था की लोगों ने रात को घरों से बाहर निकलना भी बंद कर दिया था और बेचारा गरीब आदमी जो भीख मांग कर, कचरा बेचकर या मजदूरी करके अपना पेट पालता था जिसका कोई अपना ठिकाना ही नहीं था वह कहां जाए, उसे ना चाहते हुए भी उसी फुटपाथ पर डर के साए में सोना पड़ता था। मुंबई पुलिस ने बहुत कोशिश की उस सीरियल किलर को पकड़ने की, बहुत सारे लोगों को उठाया भी गया उनका रिमांड भी किया गया लेकिन उस कातिल के बारे में अब तक कोई क्लू नहीं मिला, ना ही कोई नाम सामने आया और ना ही कोई चेहरा। मगर 1988 के लास्ट में जब उन्हें 12वीं लाश मिली उसके बाद अचानक से सिलसिला रुक गया पिछले 3 सालों से जो हर दो-चार महीने में एक लाश फुटपाथ से मिल रही थी, वह चीज अब रुक गयी और लगभग 7,8 महीने हो गए थे ऐसा कुछ हादसा हुए उसके बाद मुंबई पुलिस ने भी चैन की सांस ली मगर अपनी तफ्तीश को जारी रखा। अब 6, 7 महीने बीत गए थे बिना किसी हादसे के और जून 1989 आ गया। अचानक से कोलकाता के बहुत ही मशहूर हावड़ा ब्रिज से खबर आती है जो पूरे कोलकाता को चौंका देती है। अब वह खबर क्या है यह मैं आपको नक्श वीडियो बताऊंगा।
Divanshu