दुश्मन के ghar में विभीषण
पिछली वीडियो में, अन्ना के दो आदमी, जिनका कोड नेम मिस्टर बॉन्ड और मिस्टर ब्लैक था, वह दोनों चाय की टपरी पर बैठकर अन्ना के एस्केप वाले प्लान को डिस्कस कर रहे थे और discussion पूरा होने के बाद
ब्लैक अपनी चाय खत्म करता है और यहां से बिल्कुल वैसे ही गायब हो जाता है जैसे वह आया था। ब्लैक के जाने के बाद, मिस्टर बॉन्ड एक और चाय आर्डर करता है, आराम से अपनी चाय पीता है, और जैसे ही खड़ा हो अपनी गाड़ी की तरफ चलना शुरू करता है, तो आसपास के पेड़ों और झाड़ियों के पीछे से एक-एक कर कई लोग बाहर निकलने लगते हैं और एक सफेद रंग की मारुति ओमनी वैन में बैठ मिस्टर बॉन्ड की गाड़ी का पीछा करना शुरू कर देते हैं। कुछ किलोमीटर आगे जाने के बाद यह सफेद ओमनी वैन मिस्टर बॉन्ड की गाड़ी को ओवरटेक करती है और वैन में आगे वाली सीट पर बैठा एक आदमी मिस्टर बॉन्ड को गाड़ी साइड लगाने का इशारा करने लगता है जिसके बाद यह दोनों गाड़ियां रुक जाती है। सफेद ओमनी वैन से सादे कपड़े पहने एक आदमी नीचे उतरता है और मिस्टर बॉन्ड की गाड़ी के पास जाकर उससे पूछता है तो मिस्टर बॉन्ड मीटिंग कैसी रही? असल में सफेद रंग की मारुति ओमनी वैन STF (special task force) की अंडरकवर गाड़ी थी और इसके अंदर बैठे सभी लोग, STF के आफिसर है, जो व्यक्ति van से नीचे उतर मिस्टर बॉन्ड से बात करने गया था वह कोई और नहीं बल्कि STF के SECOND इन कमांड S P. कनन है, और VEERAPPNES का ये बहुत पुराना और अत्यंत विश्वसनीय गैंग मेंबर SP कनन का खबरी है, कुछ महीनों से SP के लिए खबरी का काम कर रहा मिस्टर बॉन्ड ब्लैक के साथ हुई अपनी इस मीटिंग की सारी डिटेल्स उनको बता देता है। STF के चीफ कमिश्नर विजय कुमार ने 1 दिन पहले ही इस लोकेशन की रेकी की थी और अपने हैंडीकैम से स्कूल के बाहर से गुजर रही सड़क का वीडियो भी बनाया था। वीरप्पन की एंबुलेंस इसी सड़क से पास होने वाली थी, उनको पता था की यदि मिस्टर बॉन्ड की इंफॉर्मेशन सटीक है तो वीरप्पन की एंबुलेंस 18 अक्टूबर की रात को इस स्कूल के बाहर से निकलेगी ही निकलेगी। वीरप्पन को पकड़ने वाले इस ऑपरेशन को नाम दिया गया था ऑपरेशन COCCON। COCCON वीरप्पन को ले जाने वाली एंबुलेंस का कोड नेम था। 18 अक्टूबर की इस रात FTS के 6 कमांडो स्कूल की छत पर रेडी टो फायर मोड में अपनी-अपनी पोजीशंस ले चुके थे। स्कूल के बाहर खड़े गणों के ट्रक स्वीट बॉक्स का काम वीरप्पन की एंबुलेंस को ब्लॉक करना था, इस ट्रक के सामने खड़ी मोबाइल बरकर लोरी में STF के कमांडोज इंस्पेक्टर चार्ज के साथ छिपे हुए थे, इंस्पेक्टर चार्ज को ऑपरेशन COCCON के लॉजिस्टिक्स का जिम्मा सौंपा गया था, डीएसपी तिरु के नेतृत्व में ओमनी वैन के अंदर बैठी इस टीम को स्कूल से 3 किलोमीटर दूर तैनात किया गया था, इस टीम का काम एंबुलेंस को सपोर्ट करते ही उसके पीछे लगना था जिससे की दूसरी गाड़ियों को एंबुलेंस से दूर रखा जा सके। यदि सब कुछ प्लान के अनुसार होता है, तो ठीक स्कूल
के सामने STF उस एंबुलेंस को चारों तरफ से TRAP करने वाली थी. विजय कुमार के इस प्लान के अनुसार लगभग 1 घंटे बाद स्वीट बॉक्स, मोबाईल बंकर, or DSP स्कूल की बिल्डिंग के बीच वीरप्पांज की AMBULANCE को ट्रैप किया जाना था, STF के एक और डीएसपी को अपनी टीम के साथ इस स्कूल के पूर्व में धर्मापुरी के पास तैनात किया गया था। इस डीएसपी का काम सारे इनकमिंग ट्रैफिक को पूरी तरह रोकना था, COMMISSIONER विजय कुमार नहीं चाहते थे की इस ऑपरेशन में किसी भी मासूम सिविलियन की जान जाए, उधर पप्परपट्टी पुलिस स्टेशन के पास बने एक छोटे से ढाबे पर रोज की तरह आज की रात भी ग्राहकों की भीड़ लगी हुई है, STF के ऑफिसर कुमारेसन ढाबे पर आते हैं और अपने लिए एक मसाला डोसा ऑर्डर कर देते हैं। सड़क पर नजरें गड़ाए कुमारेसन अभी अपना डोसा खाना शुरू ही करते हैं, की तभी वह एंबुलेंस वहां से गुजरती है कुमारेसन नोटिस करते हैं की एंबुलेंस के ऊपर लगी नीली लाइट घूम रही है और इसकी फोग लाइट्स भी ON है, यह दोनों ही कोई रैंडम चीजें नहीं, बल्कि अत्यंत महत्वपूर्ण जानकारी थी, जो इस एंबुलेंस का ड्राइवर कुमारेसन को दे रहा था. ये ड्राइवर जिसका नाम था सर्वानंद मिस्टर बॉन्ड का आदमी था और STF का अंडरकवर एजेंट भी. नीली लाइट का मतलब था की वीरप्पन अपने पूरे गैंग के साथ एंबुलेंस के अंदर बैठा हुआ है. फोग लाइट ऑन होने का मतलब था की अंदर बैठे सभी लोग हथियारों से लैस हैं. स्कूल के बाहर खड़े खड़े अपने नाखून चबा रहे SP कनन का सेल फोन बजने लगता है. वो फोन उठाते हैं तो दूसरी तरफ से आवाज आती है, तपाल अनुप्रिया छू, इस चोटे से मैसेज में कुमारेसन कनन से कह रहे थे की चिट्ठी निकल चुकी है। यह सुनते ही विजय कुमार की तरफ थम्स अप का इशारा करते हुए कनन कहते हैं COCCON को पहुंचने में 10 मिनट लगेंगे। COCCON का इंतासर करते करते विजय कुमार और कानन के साथ भी वही होने लगता है जैसा की इस हाईली tensed सिचुएशन में अक्सर हुआ करता है, इन दोनों ips ऑफिसर के लिए समय मानो रुक सा जाता है, उसे इतना टाइम क्यों लग रहा है? कहीं उसने बीच में ही एंबुलेंस को तो किसी और तरह तो नहीं मोड लिया? कही उसने एंड टाइम पर अपना प्लान तो चेंज नहीं कर दिया? कमिश्नर विजय कुमार के दिमाग में ऐसे कई सवाल सारे सवाल एक साथ आने लगते हैं और उन्हें थोड़ी बेचैनी भी होने लगती है।
अब यह प्लान सक्सेसफुल होता है या नहीं और अगर होता है तो कैसे होता है यह मैं आपको नेक्स्ट वीडियो बताऊंगा।
Divanshu