Brahmastra 2

जब रणवीर कपूर और आलिया भट्ट आश्रम के गेट पर पहुंचते हैं, तब शिवा गेट पर कोई आम ताला समझकर उसे तोड़ने की कोशिश करता है, लेकिन वह तोड़ नहीं पाता क्योंकि उस गेट को कोई नॉर्मल ताले से नहीं, मंत्र के लुक से बंद किया गया है और मंत्र से ही वह गेट खुलता है। इसलिए, गुरु जी बाहर आते ही वह गेट खुल जाता है, क्योंकि गुरु जी आते ही उसे मंत्र से खोल देता है। शिवा, जब रफ्तार के ऊपर अपने पावर का उपयोग करता है, तब गुरुजी के सामने वाले दीपक का कलर चेंज होकर रेड हो जाता है। तब जाकर गुरु जी को बाहर के झमेले के बारे में पता चलता है और वह बाहर आते हैं। इंटरवल का सीन बारिश से शुरू होता है और हमें शिवा की मां दिखाई जाती है। अब शिवा की मां कौन है, यह मैं आपको अलरेडी बता चुका हूं, और उनके इंट्रो के लिए बारिश क्यों हुई, यह तो अब आप समझ गए होंगे। शिवा की मां अमृता थी और वह जल स्तर की उस्ताद थी।

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 इसके अलावा, आप लोगों ने शायद इस बात पर ध्यान नहीं दिया होगा कि जिस जगह पर देव ब्रह्मास्त्र को जगाता है, वह उसी जगह पर कैद होकर रह जाता है। अब यह कैसे हुआ, यह नहीं पता। मोहन और अनीशा, जब ब्रह्मास्त्र के मेंबर प्रार्थना करते हैं, तब गुरु जी कहते हैं, “मेरे रहते हुए ब्रह्मास्त्र का ऐसा सभा दूसरी बार हो रहा है।” तो पहली बार ऐसी मीटिंग कब हुई थी, आप अंदाजा लगा सकते हो। जब देव ने ब्रह्मास्त्र को हासिल करना चाहा और उसे रोकने के चक्कर में बहुत सारे ब्रह्माने जान गवा दी। ईशा, जब शिवा के सामान लेने शिवा के घर जाती है, तो जाने से पहले वह शिवा को अपना एक scarf देती है, और उस scarf को शिवा ईशा की याद में पकड़ते हुए कई जगह दिखाई देता है, खास करके “देवा देवा” सॉन्ग में। अब गुरुजी, मूवी के अंदर, जिस अंडमान द्वीप की खबर पढ़ रहे होते हैं, वह कोई ज्वालामुखी विस्फोट से नहीं हुआ था। वह अमृता और देव की लड़ाई से नष्ट हुआ था।

शिवा जब अग्नि से अस्त्र बनाकर जुनून से फाइट करता है, तो वह उन गुंडों के ऊपर अटैक नहीं करता। वह सिर्फ उनके लाल मणियों के ऊपर अटैक करता है, जिसके बाद उनके गले से काला मणी निकल जाता है। यह एक शानदार डिटेल है, क्या आपको इस सीन को फिर से देखकर खुशी होती है? स्टार्टिंग में, जब ईशा के छूने से शिवा चिंगारी से आग पैदा करने लगा, और एंडिंग में, जब ईशा के छुने से बिना चिंगारी के आग पैदा करने लगा। मूवी के अंदर, आपने एक और चीज़ देखी होगी। इसमें सभी गिरते हुए मरते हैं। पहले मोहन भागवत गिरते हुए मरते हैं, अनीश भी नीचे गिरते हुए मरता है, और ईशा भले ही मरी नहीं, लेकिन ईशा भी एक बार गिरती है। वैसे अगर अब गुंडों की टीम को देखा जाए तो रफ्तार गिरकर मरती है, जुनून गिरकर मरता है, और जोर भी गिरकर मरा ही जाता है। लेकिन कवच अस्त्र ने उसे बचा लिया, वरना वह भी गिर गया था और गिर के मरता है। और हाँ, इसमें दशहरे के दिन से ब्रह्मास्त्र की एक नई लड़ाई शुरू हो जाती है, जिसमें शिवा भी भाग लेता है और उसके बाद उसकी जीवन में बदलाव होता है। लेकिन ऐसा कुछ नहीं होता। अगर वहां शिवा को ईशा फूल नहीं देती, ईशा ने शिवा को फूल दिया, उसे छूआ, फिर शिवा को दोरा आया और वह मोहन का लाइव टेलीकास्ट देख पाया। फिर ईशा के प्यार में पड़ गया, प्यार में शिवा ईशा को अपने घर बुलाया और ईशा के दूसरी बार छूने पर शिवा मोहन का दूसरी बार लाइव टेलीकास्ट देख पाया। वह आगे जाकर ब्रह्मास्त्र के बारे में जाना। तो सोचो, अगर वहां पर ईशा की जगह कोई और शिवा को फूल देता, तो क्या होता? शिवा को कभी अपने पावर के बारे में पता चलता ही नहीं, वह ब्रह्मास्त्र के बारे में जानता ही नहीं और वह मोहन को गुरुजी के बारे में बताने से रोक पाता नहीं। मतलब, सब कुछ एक दूसरे से जुड़ा हुआ है और डायरेक्टर ने यह काम बहुत शानदार तरीके से दिखाया है।

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Divanshu

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