“star of all genres” कहलाए जाने वाले अक्षय कुमार का यह कहना है की,” जब मैं इस इंडस्ट्री में आया था, तब मैं एक जैसी फिल्में ही कर रहा था। was nothing new! तब मुझे एक जैसी फिल्में करके शर्म आ रही थी”। इसीलिए जब मैं इंडस्ट्री में आया, तब मैंने खिलाड़ी, खिलाड़ियों का खिलाड़ी, मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी, मोहरा, खिलाड़ी 420 जैसी फिल्मों में पहले एक्शन genre के साथ खेलना शुरू किया और दिखा दिया कि असली action क्या होता है । पर सही वक्त पर मुझे यह समझ आया कि, मुझे कोई एक्शन हीरो का tag नहीं चाहिए। कल को मुझे कोई बोले की यह तो सिर्फ action और stunts करता है, बंदरों की तरह छलांगे मारता है, तो मैं यह सुन नहीं सकता। मुझे अपनी इमेज बदलनी थी इसलिए मैंने कॉमेडी का challenge लिया। क्योंकि हंसाना एक पुण्य का काम है और laughter जैसा gift fans को अच्छा ही लगेगा।
अक्षय कुमार को ऐसा लगता है कि,”देखो, इंडस्ट्री में कॉमेडी हीरोज को सीरियसली ना भी लिया जाए, फिर भी साल में एक कॉमेडी फिल्म तो करनी ही चाहिए। मैं खुद action से bored तो हो चुका था, पर 90’s के जमाने में किसी ने मुझे ताना मारा की, “यह एक्शन हीरो कभी कॉमेडी नहीं कर सकता”। तो मुझे उस stereotype mentality को break करना था। इसलिए मैंने साल 2000 में फिल्म हेरा फेरी से कॉमेडी दुनिया में कदम रखा। फिर गरम मसाला, वेलकम, भूल भुलैया, हाउसफुल, खट्टा मीठा, जैसी कई सारी कॉमेडी फिल्में की और दिखा दिया कि, मेरा कॉमेडी टाइमिंग और सेंस ऑफ ह्यूमर कमाल का है।
अक्षय कुमार कहते हैं कि, “मुझे कोई एक genre पसंद नहीं है बल्कि सारे genres को शायद मैं पसंद हूं”। इसलिए कॉमेडी और एक्शन करने के साथ-साथ अक्षय को फैमिली एंटरटेनर फिल्में भी करनी थी। एक कंपलीट पैकेज जिसमें रोमांस, ड्रामा सब कुछ हो। इसीलिए धड़कन जैसी फिल्म के साथ उन्होंने अपनी रोमांटिक हीरो वाली इमेज सबके सामने लाई। क्योंकि उन्हें वर्सेटाइल एक्टर बनना था। और हर घर में सिर्फ action देखने वाले या comedy को entertainment समझने वाले लोग नहीं होते। उन्हें घर घर की कहानी पसंद है। पर उसमें भी अक्षय घिनौनी फिल्मे नहीं करना चाहते थे, जिसे पूरी family के साथ बैठकर देखने में शर्म आए।
वैसे comedy, romance और action के साथ साथ अक्षय कुमार को बायोपिक के बाप भी कहा जाता है। उन्हें अलग-अलग content के साथ खेलना अच्छा लगता है। अब इंडस्ट्री में कई ऐसे हीरोज है जो बायोपिक के नाम से डरते हैं, पर अगर अक्षय के करियर में थोड़ा सा झांका जाए तो उसमें केसरी, बेबी, सम्राट पृथ्वीराज, गोल्ड, रुस्तम ऐसी कई सारी फिल्में देखने को मिलेंगी, जिसमें उन्होंने रंग भरे है। क्योंकि उन्हें रियल लाइफ हीरोज को सामने लाना है। अक्षय का कहना है कि, हिस्ट्री में ऐसा बहुत कुछ है, जो आप दिखा सकते हैं। इतना ही नहीं बल्कि जब उन्हें पूछा गया कि “क्या आप पर बायोपिक बनाई जा सकती है?” तब उन्होंने कहा,” ऐसी गलती मत करना”।
पर सिर्फ बायोपिक से काम नहीं चलेगा, इसलिए उन्होंने ऐसे टॉपिक्स पर बात करना सहीं समझा जो सोसाइटी से कनेक्ट करते है। अक्षय का कहना है कि, उन्हें अपनी फिल्मों के through social message देना है। क्योंकि हम भी इस सोसाइटी का एक हिस्सा है और सोसाइटी में अवेयरनेस लाने के लिए film is a best option। इसीलिए उन्होंने पैडमैन और टॉयलेट एक प्रेम कथा जैसी फिल्मों पर बात की। “भगवान दिल में बसते हैं”, यह message लोगों को तक पहुंचाना आसान नहीं था, पर फिर भी उन्होंने risk लिया और Oh my god जैसी फिल्म की और अब Oh My God 2 से भी risk ले रहे हैं।
इस बार वो OMG 2 के जरिए भगवान महादेव बनने वाले हैं। देखते हैं भगवान महादेव बनकर देने वाली उनकी सीख को कितना प्यार मिलता है।