एक लड़का, जिसने मुंबई माफिया में अपनी मासूमियत खो दी। एक painter, जिसने 9mm पिस्टल से अपनी Art खो दी। एक Dreamer, जिसने सस्ती व्हिस्की के लिए अपना ambition खो दिया। एक रोमांटिक, जिसने brothels में अपना प्यार खो दिया। और एक बेटा, जिसने अपने ideals, morals को भारी cash में खो दिया – राहुल जाधव एक गैंगस्टर, एक अंडरवर्ल्ड हिटमैन, एक जबरन वसूली करने वाला और एक शराबी। आज, वो एक नशामुक्ति counsellor और एक अल्ट्रा-मैराथनर है।
आइए सुनते है जाधव की कहानी!
44 old जाधव का मुंबई अंडरवर्ल्ड के साथ एक दशक लंबा काम चल रहा था, और जब Mumbai Crime branch ने 2007 में उसे गिरफ्तार किया, तो वो अपने समय के सबसे wanted गैंगस्टरों में से एक बन गया था। जाधव कहता हैं, ”आसान पैसा कमाने के लिए, अंडरवर्ल्ड का रोडमैप है।” “और एक lower middle class परिवार का लड़का, मैं सिर्फ cash चाहता था।”
जाधव 21 साल का था, जब उसने मुंबई में एक dangerous डॉन जयदेव रेड्डी के लिए काम शुरू किया। वो quick cash की चमक, बंदूकों के ग्लैमर, महंगी स्कॉच की smell, और यहां तक कि expensive bar dancers, इन सबने jadhav को अपनी तरफ चुंबक की तरह बुला लिया था। एक जबरदस्त extortionist (वसूली करने वाला), उसने इक्कीसवीं शताब्दी की जितनी luxury उस वक्त available थी, उन सबका खुब मजा लिया। और वो एक Alcoholic, एक drug Addict बन रहा था, लेकिन जाधव अपने आप को रोकने की कोशिश भी नही कर रहा था, क्योकी addiction उसके लिए crime करना और easy कर रहा था।
बढती वसूली की दुनिया में अपनी कमाई बनाने की दृढ़ आशा के साथ, जाधव 1997 में मुंबई के अंडरवर्ल्ड में शामिल हो गया। मुंबई पर राज करने के लिए struggle कर रहे माफिया का दो दशक तक खून बहाने के बाद, उस समय अंडरवर्ल्ड बदल रहा था।
जाधव “Hawala Department” में fund distributor के रूप में अंडरवर्ल्ड में कदम रखा। हवाला, regular बैंकिंग चैनलों की नजरे से बच कर, illegally फंड ट्रांसफर करके ये ensure किया जाता था कि गैंगस्टरों के पास crime machinery को मजबूत करने के लिए enough money हो। एक बार cash आने के बाद, जाधव का काम इसे अलग अलग vendors, यानी,contract killers, drug lords, arm dealer, और चुराई हुई bikes के suppliers, में distribute करना था।
जाधव, तीन साल यानी सन् 2000 तक हवाला department से जुड़े रहा, तब उसके पिता ने उसे “सड़कों पर घूमना बंद करने” और “कम से कम एक कंप्यूटर कोर्स करने” के लिए कहा। जाधव ने ट्यूशन join किया और वहाँ से मुंबई और पड़ोसी शहरों में हर रियल एस्टेट डेवलपर के data name और contact Number के साथ बाहर निकल आया। इस information ने उसके boos को impress किया और जाधव का promotion हो गया। अब वो फिरौती की कॉल करता था।
2003 में, Jadhav एक tech-literate गैंगस्टर, जो शायद मुंबई में पहला था, बन गया। जो अपने घर के पास cyber cafe में आराम से बैठ कर victims को untraceable calls कर सकता था। उसने अगले साल ‘प्रोटेक्शन मनी’ के लिए ऐसी सैकड़ों धमकियां दीं और अपने बॉस के लिए करोड़ों रुपये निकालने में कामयाब रहा। फिर, डॉन ने Gunmen की कमी के बारे में बताया तो जाधव ने मौके का फायदा उठाया। उन्हें विश्वास था कि अगर पुलिस कभी उसे पकड़ती है या कोई rival उसके पिछे आते हैं, तो डॉन उसे बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा।
लेकिन, 2007 में अपनी गिरफ्तारी के बाद, जाधव ने मुंबई और ठाणे की जेलों में तीन साल बिताए। 7/11 के मुंबई धमाकों के एक terror से सबक लेते हुए, उसने अपनी खुद की जमानत अर्जी पर बहस की और 2010 में उसे बेल मिल गई। हालाकी जेल के बाहर भी उस पर पुलिस नजर रखती थी और हर महिने उसे interrogation के लिए बुलाती थी।
जाधव का कहना है कि वो शराब और नशीले पदार्थों में और ज्यादा डूब गया। लेकिन वो सालो से अपने डॉन के contact में नहीं था। वो सुधार करना चाहता था, लेकिन बार-बार होने वाले पुलिस राउंड-अप में उसके past को लाया जाता था। उसे कोई नौकरी नहीं मिली, और family भी ठक चुकी थी। इस बीच, उसके दोस्तों और पड़ोसियों ने उसे अभी भी उसी तरह देखा – एक लंबे बालों वाला गुंडा, जिसकी पतलून में हर समय दो पिस्तौलें छिपी रहती थीं”।
तीन साल बाद, 2013 में, जाधव को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया, लेकिन वो अभी भी एक शराबी और ड्रग एडिक्ट था। वो कई दिनों तक जहरीली और सस्ते drugs के नशे में रहता था। कई दिन बिना खाने के बीत जाते थे। और ये सब इतना बढ गया कि उसे सिज़ोफ्रेनिया होने लगा। इसके बाद उसके परिवार ने उन्हें नशामुक्ति के लिए Muktangan Rehabilitation center, पुणे में भर्ती कराया।
2015 के end में,उसते counsellor ने उसकी strengths के बारे में पुछा।
जाधव जानता था कि वह 9 एमएम पिस्टल के साथ अच्छा है, रियल एस्टेट डेवलपर्स से बंदूक की नोक पर लाखों रुपये वसूलने में माहिर है, लेकिन इस वक्त ये उसका जवाब नहीं हो सकता था। तो जाधव ने कहा, Running उसकी strength है। क्योकी जब उसका पीछा किया जाता है तो वह दौड़ता था – पुलिस से, उन लोगों से जिन्हें उसने गोली मारी, और rival gang members, सबसे!
यही जाधव की जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट बना। काउंसलर ने उसे पुणे में होने वाली 10 किलोमीटर की मैराथन के बारे में बताया और इसके लिए तैयारी करने को कहा। जनवरी 2016 में, जाधव ने पुणे मैराथन में भाग लिया। कुछ महीने बाद वो मुंबई लौटा और नौकरी भी की। तब से उन्होंने दर्जनों मैराथन में भाग लिया है और 10,000 किलोमीटर से अधिक दौड़ लगाई है, जिसमें मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया से दिल्ली में इंडिया गेट तक 2019 की दौड़ भी शामिल है। और वो अब एक दिन National Stadium record को तोड़ने की उम्मीद करता है।