Captain dharnidharka को पता था कि उस हॉल से निकलने वाला कोई भी शब्द 157 लोगों की जान जोखिम में डाल देगा।
एक Ex- commando और धरणीधरका ने hall के अंदर धमाके की आग से बचने के लिए बैरिकेडिंग की और वहां ताज के कुछ staff members को तैनात किया, ताकि एक इशारे पर, अगर उन्हें जल्दी से बाहर निकलना पड़े तो वो सीढ़ियों को खोलना शुरू कर सकें।
और सब लोगो को आवाज ना करने, किसी से फोन पर अपनी छुपने की location ना बताने के लिए कहा गया।
US Marine Captain Ravi dharnidharka और 6 Ex- commando का पूरा ध्यान उनके सामने सहमी बैठी हुई 150 जानों को बचाने पर था। चाहे कुछ भी, कैसे भी करके इनको बचाना था। उनके होते हुए वो इतने मासूम लोगो की मौत नही होने दे सकते थे।
बाहर की तरफ जाने वाले दरवाजो को अच्छी तरह से block करने के बाद उन्होने इंतजार किया।
वक्त निकलता गया। Taj के staff ने services को बंद नहीं होने दिया। लोगों को खाना, पीना और जिस भी चीज़ की जरूरत पडी वो उन्हे provide की जा रही थी।
और तब हुए दो बड़े विस्फोट। आतंकियों ने ताज के Heritage towers को आरडीएक्स से उड़ाया था। जिसका असर 20वीं मंजिल तक महसूस किया गया।
साउथ अफ्रीका के एक commando ने वहां पर मौजूद सभी लोगो को खाली papers बांटे और उनपर उनका नाम और पता लिखने को कहा। इस बीच, धरणीधरका और तब तक बाकी commando ने उनके rescue plan के arrangements किए।
लगभग 2 बजे, आतंकवादियों ने ताज के central dome के नीचे 10 किलो आरडीएक्स और उड़ाया। उन्होंने होटल की छठी मंजिल में भी आग लगा दी। और अफवाहें फैलीं कि पुलिस और security forces लोगों को बचाने के लिए हॉल की ओर जा रहे हैं। लेकिन धरणीधरका जानता था कि आतंकवादी ने जिस तरह की भयानक आग लगाई है, उसका मतलब है कि वो पूरी तैयारी के साथ आए है। उनकी Safety और बाकी सबकी मौत की full तैयारी! वो जानता था कि कोई पुलिस या Security forces जल्दी उन तक नहीं पहुंचने वाली थी।
छठी मंजिल पर लगी आग अब ऊपर की ओर फैलने लगी। धरणीधरका ने अंदाजा लगाया कि अगर आग होटल के पुराने विंग से फैलती है, तो उनके सामने निपटने के लिए और नई समस्याएं खडी हो जाएंगी। आग ऊपर की ओर फैलेगी तो बाहर निकलने के सारे रास्ते block हो जाएंगे। और अगर आग नहीं भी फैलती है, फिर भी शार्ट-सर्किट और बिजली गुल होने के chances बने रहेंगे।
और सारे situation को analyse करने के बाद सातों ने decide किया कि बाहर निकलने का वक्त आ गया है। और रास्ता साफ था या नही इसे check करने के लिए ex-Commando ने अपने कुछ लोगो को नीचे भेजा। धरणीधरका, अन्य और होटल के कुछ staff members ने मिलकर भागने के रास्ते से बैरिकेड्स हटा दिए।
धरणीधरका और ex- commando की rescue पार्टी ने फिर से जाँच की कि उनका रास्ता साफ है या नहीं। और रास्ता साफ होते ही उन्होंने instructions दोने शुरू किए – फोन बंद होंगे सबके और साथ में सबके जूते भी उतरवा दिए गए। Escape जितना संभव हो, उतना बिना किसी शोर के होना चाहिए था। ताकी किसी terrorist को भनक भी ना पडे की उनके Attack से इतने लोग बचकर कर निकल रहे थे।
लोगों ने धीरे-धीरे, बिना शोर किए हॉल को खाली करना शुरू कर दिया लेकिन एक 84 साल की रामा नाम की एक बूढ़ी महिला वही रूक गई, क्योकी वो कभी भी सीढ़ियों से इतना लंबा सफर तय नही कर पाएगी। रामा ने उसको वही छोड़कर जाने पर जोर दिया, लेकिन धरणीधरका ने उन्हे मना किया, और उन्हे किसी भी तरह से नीचे ले जाने के लिए कहा । पर क्योकी staircase काफी narrow था, जिसकी वजह से वहां से chair बिना किसी शोर के निकालना risky था, तो धरणीधरका ने एक वेटर से मदद ली और उन्हे अपनी बाँहों में उठा लिया।
सब लोग धीरे-धीरे चलते गए। पहले कुछ साउथ अफ्रीकी और ताज के security men गए। फिर महिलाएं और बच्चे आए, उसके बाद और security men और end में पुरुष आए।
लेकिन अब उनके सामने था rescue plan का सबसे tricky part, हर लैंडिंग को पार करना। क्योकी हर मंजिल पर fire exit था, जिसका panel कांच का बना हुआ था। जहां से floor की लॉबी आसानी से देखी जा सकती थी। इस प्रकार, हर लैंडिंग को वास्तव में बहुत ही सावधानी से पार करना था।
धीरे-धीरे और तेजी से, रवि धरणीधरका और उनके छह साउथ अफ्रीकी साथियों ने मिलकर 157 लोगों को, Safely होटल से बाहर निकाला।