Rambo

किस Soldier का नाम ‘Dada’ था?

 

हवलदार हंगपन दादा, को उनके साथी प्यार से दादा कहकर बुलाते थे। उनका जन्म हुआ 2 अक्टूबर 1979 को अरुणाचल प्रदेश के तिरप जिले के बोरदुरिया गाँव में हुआ था। हवलदार दादा एक अच्छे Sportsman थे और बचपन में भी कई  किलोमीटर दौड़ लगाते थे

और हर दिन 25-30 पुश-अप्स करते थे।

 दादा 28 अक्टूबर 1997 को 3 पैरा (SF) में शामिल हुए। 2005 में, उन्हें असम रेजिमेंटल सेंटर में transfer कर दिया गया, और 24 जनवरी 2008 को, वो चौथी बटालियन, असम रेजिमेंट में शामिल हो गए। इसके बाद उन्होंने कुपवाड़ा जिले, जम्मू और कश्मीर में ऑपरेशन पर 26 वीं राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन में transfer करने कि request की। उन्हें मई 2016 में 35 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात किया गया था, जिस यूनिट के साथ वो अपनी duty करते हुए शहीद हो गए थे।

 

दादा के साथी soldiers का कहना है कि उनकी personality के कई रंग थे। जिनमें से कई अक्सर उनके नाम के साथ जुड़ी हुई होती थी। लेकिन निडरता और धार्मिकता, ये दोनो उनकी personality में कुट कुट कर भरी हुई थी। Testing के वक्त में, जब उग्रवादियों यानी militants का खतरा बड़ा था, दादा चुपचाप एक scoout के किरदार में चले जाते थे और पूरे Patrol team को lead करते हुए Safely base पर वापस लाते थे।  बहुत कम लोग उस घटना को भूल सकते हैं, जब दादा को एक बार नहीं बल्कि दो बार सांप से काटे जाने के बाद हेलीकॉप्टर से निकाला गया था, लेकिन उन्हें रोकने वाला कोई नहीं था।

और इस tough attitude के बावजूद, दादा अपने hometown में एक हंसमुख, ईमानदार इंसान के रूप में जाने जाते थे, जो अपनी चौकी में रविवार के उपदेश देते थे, और छुट्टी के समय अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताना पसंद करते थे।

 

और Dada जिन्होने अपने soldier साथियो और अपने परिवार को कभी निराश नही किया था, उन्होने अपने आखिरी लम्हे भी देश की सेवा करते हुए बिताए।

 26 मई 2016 की रात को, दादा ने 35 राष्ट्रीय राइफल्स के Sabu Post Commnader के रूप में, 12,500 फीट पर अपने सेक्शन के साथ रूकते हुए, जम्मू-कश्मीर के नौगाम में शमशाबारी रेंज में छुपे हुए आतंकवादियों पर हमला किया।

जिसकी वजह से चार भारी हथियारों से भरे आतंकवादियों का खात्मा हो पाया।

उन्होंने अपनी टीम के साथ इलाके में आतंकवादियों की movements को देखा और 24 घंटे से ज्यादा समय तक चली फस fierce fight में उनका मुकाबला किया।  उन्होंने उन जगहो पर हमला किया, जहां आतंकवादी थे और दो आतंकवादियों को मौके पर ही मार गिराया। और बाद में तीसरे से हाथापाई के बाद, उसे Control line की ओर पहाड़ी से नीचे गिरा दिया।  

लेकिन तभी दादा को छुपे हुए चौथे आतंकवादी की ओर से हुए हमले का सामना करना पड़ा, जिसमें बंदूक की गोली लगने से वो घायल हो गए। 

गोली लगने के बाद भी दादा ने हार नही मानी और उन्होंने चौथे आतंकवादी की तलाश जारी रखी।  लेकिन बाद में आतंकवादी को घायल करने के बाद, उनकी चोटों के कारण उन्होने दम तोड़ दिया। 

दादा ने अपनी personal Safety की परवाह न करते हुए, एक Fight में तीन आतंकवादियों का सफाया किया और एक चौथे को घायल करके, terrorists की कोशिश को नाकाम कर दिया और अपने आदमियों की safety पक्की की।

और उनकी इस बहादुरी के लिए उन्हे सम्मानित किया गया था, सरकार ने 2017 में गणतंत्र दिवस के दिन सर्वोच्च वीरता पुरस्कार, अशोक चक्र की घोषणा की थी।

 उनकी बहादुरी को याद रखने के लिए, असम रेजिमेंटल सेंटर (ARC) ने अपने headquarters में अपने main office block का नाम हंगपन दादा के नाम पर रखा।  जिसकी Name plate का उद्घाटन दादा की पत्नी ने किया था।  अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने annual फुटबॉल और वॉलीबॉल (पुरुष और महिला) टूर्नामेंट की Chief Minister’s trophy का नाम बदल कर  हंगपन दादा मेमोरियल ट्रॉफी रखा। 

 

Upper सुबनसिरी district के दापोरिजो में सुबनसिरी नदी पर एक पुल का नाम हंगपन दादा के नाम पर रखा गया है।  20 अप्रैल 2020 को अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पुल का उद्घाटन किया।

इसके साथ साथ गणतंत्र दिवस पर उनकी एक documentry भी release की गई। 

Documentary में हवलदार के बारे में सिर्फ उनके आतंकवादियों के साथ उनके टकराव नही थे , बल्कि Audience को एक ऐसे व्यक्ति के जीवन की झलक भी देखने को मिली है, जिसे प्यार से दादा कहा जाता था। 

डॉक्यूमेंट्री में, उनकी पत्नी याद करती है कि जब भी दादा मोबाइल टावर की range के अंदर होते थे, तो वो कैसे उन्हें फोन करते थे। उनके गाँव के पंडित भी याद करते हैं कि कैसे दादा ने कश्मीर जाने से पहले उनसे उनके लिए प्रार्थना करने को कहा था।  डॉक्यूमेंट्री में दादा के साथ काम कर चुके सैनिकों ने भी अपने दिन याद किए। 

दादा जैसे soldier जिनपर documentry तो बन चुकी है, तो हो सकता है कि उनकी जिंदगी से inspired एक किस्सा, Rambo फिल्म की कहानी का एक हिस्सा बन जाए।

Comment Your Thoughts.....

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments

Related Post

Jawan,Shah Rukh Khan in a dual role with Vijay Sethupathi, Nayanthara, Sanya Malhotra and Priyamani,Bollygrad Studioz bollygradstudioz.com

Jawan

शाहरुख खान की जवान को लेकर क्रेज बढ़ रहा है ऑडियंस में। इसका क्रेज इतना ज्यादा हो गया है कि अगर ऑडियंस पर छोड़ दिया

Read More »
Rambo, tiger shroff,Bollygrad Studioz bollygradstudioz.com

Rambo

Part 3 जिंदा बच पाएंगे mager! मेजर ऋषि घर से बाहर आने के बाद काउंडाउन को रोकने का इशारा करते हैं तब उन्हें लगता है

Read More »
Jawan

Jawan

अगर बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में देखा जाए कि, किस डायरेक्टर को अपनी फिल्म में गाड़ियों को खास कार को उड़ाने का शौक है तो वो

Read More »

Bollygrad Studioz

Get the best streaming experience

Contact Us

41-A, Fourth Floor,

Kalu Sarai, Hauz Khas,

New Delhi-16

 

011 4140 7008
bollygard.fti@gmail.com

Monday-Saturday: 10:00-18:00​