Thumbnail title-खेल से होकर विवादों में घिरे sunil?
Dangal-2 Jyoti Arora
दिल्ली के नजफगढ़ जो कि मुख्य रूप से ग्रामीण दिल्ली में एक आर्थिक और परिवहन केंद्र होने के लिए जाना जाता है और इसी इलाक़े में एक गाँव बापरोला में जन्मे सुशील अपने पिता-माता और अपने तीन भाईयों के साथ इस परिवार में रहते थे अपने परिवार में अपने भाइयों में सबसे बड़ा है । उसने बपरोला स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा की फिर delhi university से bachelor की उपाधि हासिल की लेकिन वह बहुत पहले से ही सतपाल पहलवान से जुड़ गया था, जिन्होंने उसके कौशल को निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सुशील ने साल 2006 में doha asian खेलो में काँस्य पदक जीतकर अपनी प्रतिभा का पहला परिचय दिया था। दिल्ली के chhatrasal stadium में प्रतिदिन सुबह पाँच बजे से कुश्ती के दाँवपेच सीखने वाले अर्जुन पुरस्कार विजेता सुशील ने अगले ही साल मई 2009 में senior asian championship में रजत पदक जीता और फिर canada में rashtramandal खेलो में gold medal हासिल किया। अज़रबैजान में world kushti championship में वे हालाँकि आठवें स्थान पर पिछड़ गए थे लेकिन उसने यहीं से बीजिंग ओलिम्पिक खेलों के लिए qualify कर लिया था और olampic खेलों के लिए पटियाला के national krida academy में विदेशी कोच से training लेने वाले सुशील ने कोरिया आयोजित senior kushti championship में काँस्य पदक जीता था।ओलम्पिक में भाग लेने के लिए भारतीय कुश्ती महासंघ ने sushil kumar की बेलारूस के प्रशिक्षक हाल्देमीर की देखरेख में बेलारूस में तीन हफ्तों तक कड़ी मेहनत करवाई है। गत ओलिम्पिक में उन्होंने 60 किग्रा वर्ग में भाग लिया था लेकिन वे कोई भी पदक प्राप्त करने में असफल रहे थे और scotland के glasgow में आयोजित commonwealth games में sushil kumar ने pakistan के पहलवान kamar abbas को हरा कर भारत के लिए gold medal जीता।
august को बीजिंग में हुए मुकाबले में सुशील ने मुकाबले में अच्छी शुरूआत करते हुए कजाखस्तानी पहलवान को ज्यादा मौका नहीं दिया। पहले round में सुशील उससे आगे रहे और दूसरे round में स्पिरिदोनोव ने वापसी की और इस दौर को से जीत लिया।third round में कोई भी पहलवान score नहीं कर सका और इस दौर के बाद मुकाबला बराबरी पर था। नतीजा निकालने के लिये टॉस किया गया जिसके आधार पर लियोनिद को पहला दांव खेलने का मौका दिया गया मगर सुशील ने उन्हें अपने दांव में उलझाकर बाजी मार ली। national kushti की history में यह पहला मौका था जब किसी भारतीय पहलवान ने tiebreak में toss हारने के बावजूद जीत हासिल की। बुधवार की सुबह यूक्रेन के आंद्री के हाथों pre-quarterfinal मुकाबले में हार के साथ ही सुशील का सफर खत्म लग रहा था मगर पहले राउंड में बाई मिलने के कारण रेपचेज पाने की वजह से भारत के लिये उम्मीद की किरण बरकरार थी। सुशील ने कांस्य पदक जीतकर इस मद्धिम किरण को रोशनी बिखेरती लौ में तब्दील कर दिया। स्पर्द्धा के पहले दौर में हार के बाद सुशील ने जोरदार वापसी करते हुए अमरीका के डॉफ श्वाब, बेलारूसके अलबर्ट बतीरोव और अंतत: कजाकिस्तान के लियोनिद को हराया था
सुशील ने मात्र 14 वर्ष की उम्र में chhatrasal academy में पहलवानी रेसलिंग सीखी, यह उन्होंने अखाड़े में सीखी थी और इस समय उन्होंने कम पैसों में और सामान्य training facility में भी अपना कौशल बढ़ाया और वे एक free style wrestler बने। इस दौरान उनके परिवार ने इस बात का पूरा ध्यान रखा कि उनके खानपान में किसी भी प्रकार की कमी न हो और उन्हें पूर्ण पोषण मिले। sushil पूर्णतः शाकाहारी हैं, वे पोषण के लिए किसी भी प्रकार के मांसाहार को ग्रहण नहीं करते है और उन्होंने अपने अब तक के career में अनेकों competitions जीते और देश के नाम कई मैडल कराकर हमें गौरवान्वित किया हैं। वर्तमान में सुशील भारतीय रेल्वे में असिस्टेंट कमर्शियल मेनेजेरिअल के पद पर कार्यरत हैं और पहलवान सुनील उनके परिवार में वो तीन भाई और एक बहन हैं। पिता अश्विनी उनके बड़े भाई मोनू को पहलवानी में उतारना चाहते थे। लेकिन मोनू ने पहलवानी को career बनाने से मना कर दिया एट इसके बाद पिता ने दूसरे नंबर के बेटे सुनील को wrestler बनने के लिए अखाड़ा में जाने पर जोर दिया। sunil उस समय आठवीं कक्षा में पढ़ते थे। sunil ने पिता के सपने के लिए हां भरी तो उन्हें जींद के निडानी की sports academy में भेजा गया। इसके कुछ महीनों बाद ही पिता अश्विनी की सड़क हादसे में मौत हो गई। सुनील ने पहलवानी छोड़ने का मन बना लिया। लेकिन मां अनीता देवी ने बेटे सुनील को पिता सपना पूरा करने के लिए प्रोत्साहित किया। मां ने उसे वापस अखाड़े में भेज दिया। वहां जाने के बाद बड़ी बहन रेनू, बड़े भाई monu मां Anita ने हर संभव सहारा देकर में खेल में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते रहे। अब सुनील ने देश को 27 साल बाद उसका गौरव लौटाया है। बोले- अब घर जाने पर मां को कहूंगा पिता का सपना पूरा कर दिया।2016 से मेहर सिंह अखाड़ा में रहकर 87 किग्रा भार वर्ग में कुश्ती की प्रैक्टिस करने वाले पहलवान सुनील ने बताया कि खेल अभ्यास के साथ 10वीं की परीक्षा 80 फीसदी अंक और 12वीं की परीक्षा 75 फीसदी अंकों के साथ पास की। 2017 के दिसंबर माह में सुनील ने एयरफोर्स में वायु सैनिक के पद पर ज्वाइन किया। एक साल तक एयरफोर्स में सेवाएं देने के बाद उन्होंने परिजनों के कहने पर 2018 के नवंबर माह में रेलवे में टीटी के पद पर ज्वाइन किया। सुनील बताते हैं कि रोड एक्सीडेंट में पिता के निधन के बाद उन्होंने रेसलिंग छोड़ने का फैसला कर लिया था लेकिन मां अनीता के प्रोत्साहन की वजह से कॅरियर में टर्निंग प्वाइंट आया और रेसलिंग को जिद और जुनून बनाकर अखाड़े में उतरा। छह साल के कॅरियर में राष्ट्रीय व International kushti competitions में देश व राज्य के लिए मेडल जीतता गया।
पिछले साल 2019 भी भारतीय पहलवान sunil ने चीन में हुई एशियन कुश्ती चैम्पियनशिप के फाइनल में जगह बनाई थी। लेकिन तब उन्हें ईरान के हुसैन अहमद नौरी ने हरा दिया था। तब भी उन्होंने कजाकिस्तान के अजामत कुस्तुबयेव को ही सेमीफाइनल में हराया था। सुनील को इस चैम्पियनशिप में रजत पदक मिला था। अब सुनील के अलावा मंगलवार को अर्जुन हालाकुर्की ने ग्रीको रोमन कैटेगरी के 55 किलो भार वर्ग में ब्रॉन्ज जीता है। सुनील ने इससे पहले 2017 कामनवेल्थ चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीता। जूनियर एशियन रेसलिंग चैम्पियनशिप में तीन बार ब्रांज मेडल, सीनियर नेशनल रेसलिंग चैम्पियनशिप में तीन मेडल और अंडर 23 आयु वर्ग की नेशनल रेसलिंग चैम्पियनशिप में दो मेडल जीत चुके हैं।
सुशील कुमार एक भारतीय पहलवान है जोकि ओलिंपिक में 2 बार पदक जीत चुके हैं. इतने बड़े पहलवान होने के बावजूद दिल्ली पुलिस ने इनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया था क्योंकि दरअसल कुछ दिन पहले दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में 2 पहवान गुटों के बीच में किसी बात को लेकर झड़प शुरू हुई जिसके बाद दोनों गुटों में काफी मारपीट भी हुई और इस झड़प के दौरान 23 साल के पूर्व जूनियर national champion की मृत्यु हो गई थी और कहा जा रहा है कि इस झड़प के मुख्य आरोपी ओलिंपिक मेडिलिस्ट रह चुके sushil kumar शामिल थे और उनके खिलाफ दिल्ली पुलिस में केस दर्ज हुआ है. तब से ये फरार है. और पुलिस ने इनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर दिया है.ताजा खबरों के अनुसार अब तक सुशील कुमार के बारे में कोई भी लीड दिल्ली पुलिस को नहीं मिली है इसीलिए दिल्ली पुलिस ने सुशील कुमार के बारे में बताने वाले को 1 लाख तक का रिकॉर्ड देने की घोषणा की है।
23 साल के जिस जूनियर रेसलर की मृत्यु हुई है वह दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल का बेटा था और उसका नाम sagar था । रिपोर्ट के मुताबिक बताया जा रहा है कि sagar और उसके दोस्त एक घर में किराये से रहते थे, यह घर सुशील की पत्नी के नाम पर था, जिसे sushil खाली करवाने का दबाव डाल रहे थे क्योकि sagar और उसके साथियों ने पैसे देने से मना कर दिया था और उसके बाद sushil kumar अपने साथियों के साथ modern town इलाके में गए जहाँ पर फ्लैट नंबर D 10/6 से सागर और उसके सत्यों को kidnap किया गया और उस समय Sushil गाडी में गन लिए हुए बैठे थे। kidnap करने के बाद उन्हें छत्रसाल स्टेडियम ले जाया गया और वहां पर sushil और उसके साथियों ने sagar और उसके साथियों के साथ मारपीट करनी शुरू की ,उन्हें डराने के लिए गोलियां भी चलाई लेकिन फिर उन घायल लडकों में से एक ने मौका पा कर पुलिस को खबर दे दी और जिसके बाद sushil और उसके साथी फरार हो गए। पुलिस ने sagar और उनके साथियों को हॉस्पिटल में admit कराया लेकिन sagar की हॉस्पिटल में ईलाज के दौरान ही मौत हो गई.
dangal-2 JYOTI ARORA
This is a story of a kushti wrestler and this story you all can see in dangal-2 because kushti is our old and gold game and this kind of story always inspires us .So keep watching and stay tuned.