North Africa की country South Sudan में एक Group के साथ लड़ने के लिए मजबूर किए जाने के बाद Aid workers यानी बेघर लोगो की मदद करने वाले workers ने एक लड़के को बचाया। और फिर उसके परिवार की तलाश शुरू की गई।
पिछले तीन सालो की उसकी army uniform की जगह अब जींस और चमकीले नारंगी रंग की फुटबॉल शर्ट ने ले ली थी। उसे Rescue करके लाया गया और वो हेलिकॉप्टर से उतरा और वहाँ लोगो को आते जाते और भीड भाड को देखकर थोडा सा डरा सा हो गया।
इस लड़के को एक Military outpost से Aid workers ने बचाया था, और उसे यूनिसेफ (UNICEF) यानी United Nations Children’s Fund के protection officer की देखभाल में रखा गया था। Protection Officer ने इसके बाद उसके परिवार की तलाश शुरू की। तब तक के लिए लड़के को एक Foster परिवार में ले गया, जहाँ पर वो रुका रहा, और उसके रिश्तेदार, अगर जिंदा थे, तो उनका पता लगाया गया।
लड़का, जो शांत और शर्मीला बच्चा था, ने trauma के कुछ symptoms दिखाए।
वो अभी भी थका हुआ था, और भूखा था। वो सालो बाद अपना पहला घर का बना खाना खाने वाला था। युद्ध के मैदान में इतने लंबे समय तक जिंदा रहना एक चमत्कार था।
17 मई 2018 को South Sudan के पिबोर (Pibor) में 210 बच्चों को formally रिहा किया गया था। Ceremony के दौरान, बच्चों से हथियार लिये गए और उन्हे disarm किया गया और उन्हें Military uniform की जगह Civillain कपडे दिए गए। Medical test किए जाएेंगे, और उन्हें Reintegration Programme के Participant के रूप में counselling और psycosocial Support provide किया जाएगा। एक साल में ये तीसरी ऐसी ceremony थी, जिसमें 2018 में कुल 800 से ज्यादा बच्चों को रिहा किया गया था।
और ये लड़का साउथ सूडान के North में capital Bentiu (बेंटियू) में commit हुए Horrors का evidence है, जो 2013 में civil war शुरू होने के बाद से कुछ worst लड़ाई का Backdrop है।
18 साल से कम age की कोई भी लड़की या लड़का जो किसी भी capacity में Armed force या group द्वारा भर्ती या use किया जाता है, तो उन बच्चो को child soldier कहा जाता है।
एक child soldier सिर्फ वो नहीं है, जो लड़ाई में शामिल है। Fight में शामिल होने के अलावा अौर भी roles हो सकते हैं, जैसे cooks, कुली, messengers, human shields, जासूस, और suicide bombers के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले बच्चे भी Child soldier माने जाते है।
इसमें Military purpose के लिए भर्ती और trained किए गए बच्चे शामिल हैं, जिन्हे बाद में युद्ध में इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
बच्चे अलग-अलग तरीकों से soldier बनते हैं। कुछ को जबरदस्ती भर्ती किया जाता है। उनको kidnap किया जा सकता है, धमकी दी जा सकती है या Military में serve करने के लिए मजबूर किया जा सकता है, जबकि कुछ को पैसे, ड्रग्स या और अलग तरीकों से फुसलाया जाता है।
कई मामलों में, बच्चे financial या social pressures की वजह से Military में शामिल होने का option चुनते हैं। कुछ बच्चे Armed forces में किसी ऐसे reason की वजह से लड़ने के लिए शामिल होते हैं, जिसमें उनका परिवार उन्हे support करता है। जो कि अक्सर उनके decisions के horrible results की कम समझ के साथ decide किया जाता है।
गरीब होना, अपने परिवारों से अलग होना या combat zone में रहना बच्चों को specially भर्ती किए जाने के लिए एक option बना सकते है।
और Armed Forces भी कई कारणों से बच्चों को अपना निशाना बनाते हैं। क्योकी बच्चो की हेरफेर करना आसान होता है, उन्हें ज्यादा खाने की जरूरत नहीं होती है और उनमें sense of danger भी कम होता है।
कुछ बच्चों को war में participate करने के लिए training दी जाती है, जबकि कुछ को supporting role दे दिया जाता है। लगभग सभी cases में Child soldier को Education भी नही दी जाती।
Central African Republic के कई पुराने child fighters ने बताया कि Armed Forces में उन्हें Training के रूप में अपने ही माता-पिता की हत्या करने जैसे horrific काम करने के लिए मजबूर किया गया था। ऐसा माना जाता है कि ये Training उन्हें brutal बनाती है और वो जहां से भी आए है, उनकी community के साथ bond को तोड़ देती है, जिससे उनका वापस लौटना मुश्किल हो जाता है।
Child Soldiers International के अनुसार, 50 देश अभी भी बच्चों को Military में भर्ती करने की permission देते हैं। इसके साथ साथ कई non-state Armed forces भी बच्चों की भर्ती करते हैं।
2017 में UN secretary की annual ‘Name and Shame’ list में under 18 बच्चो की भर्ती और उनका इस्तामल करने के लिए अफगानिस्तान, म्यांमार, सोमालिया, दक्षिण सूडान, सूडान, सीरिया और यमन की Armed forces का नाम highlighted किया गया।
Military recruitment देश में बच्चों के लिए सबसे बड़े risks में से एक है। लगभग 19,000 बच्चों को armed forces में भर्ती किए जाने का estimate लगया गया है, जहां उनका गलत तरिको से इस्तेमाल और mistreat किया जाता है।
उनसे बहुत सारा काम करवाया जाता है। और उन्हें सारी रात झाड़ी में टहलने के छोड दिया जाता है। अगर उन्हें नींद आ जाती है, तो सैनिक उन्हें पानी लाने और खाना पकाने के लिए कहेंगे। वो थकेंगे तो सजा देंगे। इसलिए ज्यादातर बच्चे डरे हुए हैं। उन्हें पीटा जाता है, और खाना भी नही दिया जाता था। अगर वो बीमार हैं, तो उनका इलाज करने वाला कोई नहीं है। ना कपड़े, ना Education.
पिछले 4 सालों में, यूनिसेफ (UNICEF) ने देश भर में Armed forces से 2,600 से ज्यादा बच्चों की रिहाई के बाद देखरेख की है, जिससे उन्हें अपने परिवारों और communities में वापस जाने में मदद की जाती है।
और सबसे मुश्किल काम उन बच्चों को उनके परिवारों के साथ फिर से मिलाना है।
बेंटियू में और उसके आसपास हुए War ने हजारों लोगों को उनके घरों से एक बडे camp की शरण में धकेल दिया है, जो wire और UN peacekeeper soldiers के protection में है।
Protection of Civillain Site (PoC), एक गर्मी से लथपथ मैदान है, जो 112,000 से ज्यादा लोगों का घर बन गया है। जैसे-जैसे मौसम आते और जाते हैं, धूल की मोटी परत गहरी कीचड़ में बदल जाती है। Shelters को लंबी lines में arrange किया गया है, जो गंदगी वाली सड़कों से थोडा हटके बने हैं।
यूनिसेफ (UNICEF) परिवार के फिर से मिलने का support करने और psychosocial support provide करने के लिए protection site के अंदर और बाहर दोनों जगह काम कर रहा है। जब भी कोई conflict होता है, तो बच्चों को अलग कर दिया जाता है, क्योकी ऐसे वक्त में ही उनके गायब होने का सबसे ज्यादा risk होता है। जो की एक बहुत ही गलत बात है क्योंकि हर बच्चे को घर पर रहने और ठीक से देखभाल करने का अधिकार है।
उस Rescued Child soldier कि Family का पता लगाने से पहले उसने foster परिवार के साथ सिर्फ एक रात बिताई थी। उसके चाचा, जिन्होंने साल पहले उसके पिता की मौत के बाद लड़के को पालने में मदद की थी, वो उस लड़के के चार भाई-बहनों के साथ PoC site में ही रह रहे थे।
और जब वो मिले तो, उसे अपने चाचा से पता चला कि उसकी माँ की मौत कुछ महीने पहले ही हो गई। Camp में उसकी चाची भी बच्चे को खाना खिला रही थी और उसकी देखभाल कर रही थी।
लेकिन चाचा की आँखो में आंसू आ गए, जब उसने उस बच्चे को देखा। और कहा कि उसे नहीं पता था कि वो जिंदा था। चाचा ने बताया कि वो लड़का तीन साल पहले गायब हो गया था। वो अपने दोस्तों के साथ बेंटियू शहर में चलने के लिए रात में साइट छोड़ कर चला गया था, लेकिन उसके बाद फिर लौटा ही नहीं। उसकी Family ने उसकी तलाश की, लेकिन कोई पता नहीं चला। क्योकी उसे एक military unit ने kidnap कर लिया था।
End में अपने भाई बहनो और चाचा-चाची को देखकर वो Shy ओर डरा हुआ लडका पहली बार मुस्कुराया और 3 सालों के बाद पहली बार उसने safe महसूस किया। Aod Workers ने उसे कपड़े और एक स्कूल बैग दिया, जिसमें excercise books और pencil थीं। ये workers उसे और उसके परिवार को regularly pay करना continue रखेंगे, ये ensure करने के लिए कि उसे psychosocial और educational support मिल पाए।
लेकिन Military में उसके साथ क्या हुआ, इसकी पूरी कहानी और इसके long term effects हमेशा unknown रहेंगे, क्योकी हम सब जानते है कि वो बच्चा अपने उन horroble memories को कभी नही भुला पाएगा।
कुछ ऐसे ही traumatic child soldier की कहानी, जो अपने अंदर चल रही जंग से लडते हुए, बडे होकर अपने देश के लिए जंग लडेगा।
और उसके साथ जो हुआ, वो और किसी के साथ ना हो, इसके लिए अपनी जान पर खेल जाएगा।
एक child soldier, जो बडा होकर एक true soldier बनेगा और ना जाने कितने बच्चो को child soldier बनने से बचाएगा, ऐसी कोई कहानी हमे soldier 2 में भी देखने को मिल सकती है।
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