बात शुरू होती है मुंबई हमले के जांच पड़ताल के समय से। जब ढूंढा गया एक एक terrorist को जिनकी वजह से हमारे देश के जवानों और आम लोगों की जान गई। शिकागो कोर्ट में 1 दिन एक indictment आया जिसमें इकबाल को एक 26/11 के mastermind के रूप लता जाना गया । उम्मीद है आप सबको याद होगा 26 /11 हमला जब मुंबई के हमारे देश के सबसे बड़े होटल ताज होटल पर हमला हुआ था और उसने मेजर संदीप उन्नीकृष्णन और कई जवान शहीद हुए थे ।
देश के लोगों की जान लेने के लिए उसी हमले में major Iqbal का भी हाथ है। मेजर इकबाल को बहुत लोग दाऊद गिलानी भी कहते हैं। यह बात सामने आई शिकागो कोर्ट में और इसे David Coleman Headley,जो कि एक Pakistani-American, key witness थे Tahawwur Hussain Rana के trial में, जो एक chicago businessman है। इन पर भी 2008 Mumbai attacks में शामिल होने का इल्ज़ाम लगाया गया था। इन्होंने खुद माना है कि ये मुंबई हमले में शामिल थे और इन्होंने बहुत मदद की थी terrorists की।
इसी trial के दौरान , Headley ने ISI handler को पहचाना , जिनका नाम है Major Iqbal, पर उसने Chaudhery Khan कहा। इसी क्रम में, उसने बताया कि major Iqbal के साथ ही उसने कई emails एक दूसरे को भेजे थे । उनकी email id थी कि chaudherykhan@gmail.com के नाम से।
Headley को October 2009 में arrest किया गया था जो कि US और Indian officials के साथ cooperate कर रहा था और ये report publish हुई थी ProPublica.Com में। ये indictment Major Iqbal को a resident of Pakistan मानती है जिसने participate किया है planning and funding attacks में जो कि Lashkar द्वारा कराए जाते हैं।
लेकिन US और Indian officials और Indian Court के document कहते हैं कि इकबाल एक service officer था पाकिस्तान के inter-services intelligence directorate में । इस report को Washington Post ने छापा भी था।
Major Iqbal गलत तरीके से headley का main handler बना। वो तीन में से एक मुख्य ISI ऑफिसर था जिसे माना जाता है की उन्होंने ही headley को train किया, recruit किया और direct किया। इन terrorist activities की जानकारी Indian US investigator और इंडियन chicago document से मिली।
2008 के मुंबई हमले नवंबर 2008 में हुए आतंकवादी हमले के एक समूह था, जब पाकिस्तान में स्थित एक इस्लामी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के मुंबई में 10 सदस्यों ने मुंबई में चार दिन तक चलने वाली 12 समन्वय शूटिंग और बम विस्फोट के एक हादसे को अंजाम दिया । इस हमले की व्यापक रूप से पूरी दुनिया में निंदा की गई। बुधवार, 26 नवंबर को शुरू हुए और शनिवार, 29 नवंबर 2008 तक चले, 166 मासूम लोगों की मौत हो गई और कम से कम 300 मासूम घायल हो गए। इनमें से कुछ जगह के नाम हैं:-
छत्तीपति शिवाजी टर्मिनस, ओबेरॉय ट्राइडेंट , ताज पैलेस एंड टॉवर, लियोपोल्ड कैफे, कामा अस्पताल, नरीमन हाउस यहूदी समुदाय केंद्र, मेट्रो सिनेमा और टाइम्स ऑफ इंडिया बिल्डिंग और सेंट जेवियर कॉलेज के पीछे एक लेन में आठ हमले हुए। मुंबई के बंदरगाह क्षेत्र में माजगाव में और विले पार्ले में एक टैक्सी में एक विस्फोट हुआ था। 28 नवंबर की सुबह तक, ताज होटल को छोड़कर सभी साइटों को मुंबई पुलिस विभाग और सुरक्षा बलों द्वारा सुरक्षित किया गया था। 29 नवंबर को, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड ( NSG ) ने शेष हमलावरों को खत्म करने के लिए Operation black tornado का आयोजन किया; जिसे ताज होटल में last बचे हुए हमलावरों की मौत के साथ समाप्त कर दिया ।
अपनी testimony में headley ने यह भी खुलासा किया कि major Iqbal को सब लोग ‘चौधरी खान’ भी कहते थे। जो कि उनकी yahoo ID में लिखा था और खान ही थे वो जिन्होंने headley को Mumbai plot में पूरी मदद की और उसके लिए रास्ता बनाया गया $ 25,000 के साथ। headley को इतने पैसे Iqbal ने surveillance और targets को Mumbai में पहचानने और चुनने के लिए दिए थे। Headley ने ये भी बताया कि ISI ने शिव सेना के संस्थापक balasaheb thackeray को भी मारने के लिए बहुत planning की गयी थी।
Rogue’s gallery जो कि 26/11 के पाकिस्तानी mastermind के बारे में है, ” major Iqbal” उसमें Clearly Operational chief है। पर headley का कहना है कि वो एक ISI official थे ।
दोस्तों यह मामला बहुत दिन कोर्ट में चलता रहा फिर दिल्ली कोर्ट में चला और उसके बाद 8 लोगों के खिलाफ दिल्ली कोर्ट ने आरोपपत्र मंजूर किया। पर उस समय माना जा रहा था कि मेजर इकबाल पाकिस्तान में है ।
उनकी मौत कैसे हुई या उन्हें क्या सजा हुई , वह जिंदा है या नहीं ? यह किसी को नहीं पता क्योंकि फांसी की सजा सिर्फ leader अजमल कसाब को मिली। Mumbai पुलिस का कहना है कि पूरे 10 आरोपियों में से सिर्फ अजमल कसाब ही जिंदा पकड़ा गया बाकी सब मारे गए। लेकिन पूरा सच क्या है यह हमें भी नहीं पता।
यह सब यह तो हम सब जानते हैं कि 21 नवंबर 2012 को अजमल कसाब को सुबह 7:30 बजे फांसी दी गई और यह तीन साल चला इस caseमें बार-बार आरोपियों को defend किया गया। लेकिन झूठ कहां तक छुपाया जा सकता है । l
बस इसी के साथ मेजर इकबाल का किस्सा भी है खत्म हुआ उन्हें सजा दी गई या उनकी मौत हो गई उसी हमले में यह भी लिखा नहीं है। 26/11 हमले में उनका बहुत बड़ा हाथ था। हमारे देश में रहने वाले लोग और वीर जवानों ने ये साबित किया कि इस देश में आतंकवादी के लिए कोई जगह नहीं है। हमारी सरकार और पुलिस ने साबित कर दिया 26/11 जैसे हमले को हम कभी नहीं भूलेंगे जिसने हमारे देश और हमारी मुंबई जो कि भारत की economic capital है, उस शहर को तबाह किया। हम हर जुल्म का हिसाब लेंगे पाकिस्तान से क्योंकि पाकिस्तान ही था इतने बड़े हमले के पीछे। लेकिन आज भी पाकिस्तान इस बात को मानने से मुकरता है। जो पूरे 10 आरोपी पकड़े गए थे उसमें से बाकी 9 मारे गए और अजमल कसाब ही जिंदा बच गया लेकिन बाकी को छोड़ दिया गया या सज़ा मिली ये कहीं भी कुछ भी mention नहीं है।
दोस्तों कुछ ऐसे ही कहानी हो सकती है फिल्म khalnayak 2 की। जहां पर हम most wanted criminal को एक बड़े हादसे को अंजाम देते हुए देखेंगे और कैसे इंडिया का मोस्ट वांटेड क्रिमिनल को पुलिस पुलिस पकड़ती है। ये कहानी देखने में काफी दिलचस्प और मजेदार होने वाली है।
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-Kshamashree dubey
Bye