Jawan
Indian army में काम कर रहे हर छोटी से छोटी पोस्ट से लेकर बड़ी से बड़ी पोस्ट तक के ऑफिसर की बहुत इज्जत होती है ऐसा इसीलिए सिर्फ इसलिए नहीं है क्योंकि इनमें देशभक्त कूट-कूट कर भरा होता है या यह हमारे लिए दिन रात मेहनत करते हैं बल्कि इसलिए भी है क्योंकि सिर्फ यहां तक पहुंचने के लिए भी यह लोग बहुत कठिन ट्रेनिंग से गुजरते हैं । ऐसी training जो शायद आम व्यक्ति को mentally traumatised कर दे। आज की कहानी एक ऐसे ही जवान की है जिसने ट्रेनिंग में सीखी एक बात को बॉर्डर पर बहुत crucial समय पर बखूबी निभाया। आज की कहानी है Let. Karan Singh की।
करण एक trained para commando था जो NDA से training लेकर राजस्थान cadre में posted था। उसकी ट्रेनिंग खत्म हुए कुछ ही समय हुआ था उसे ट्रेनिंग के समय निश्चित गाइडलाइन दी गई थी कि कुछ भी हो जाए अपने सीनियर ऑफिसर की बात और आर्डर हमेशा ही माननी है बात ना मानने पर हो यह भी हो सकता है कि उसको आर्मी से निकाल दिया जाए। यही एक rule आगे चलकर करण और उसकी टुकड़ी को अमर बना देगा।
Rajasthan mein Pakistani border के पास गश्त लगाते जवान हलचल महसूस करते हैं। करण और कारण की टुकड़ी जिसमें उससे सीनियर एक ऑफिसर और और जैसे ही तीन ऑफिसर और थे सभी इस हलचल को डर से नोटिस करते हैं पर क्योंकि ठंड में कोहरे के कारण कुछ दिखाई ना देने पर होली लगता है कि जैसे उनकी आंखें धोखा खा रही है। इसीलिए उन्होंने नाही मदद के लिए सिग्नल भेजा नाही ज्यादा गौर से देखा। पर देखते ही देखते हलचल बढ़ने लगी इस पर शरण के सीनियर ऑफिसर ने सबको बनकर में छुपकर एक्टिविटी नोट करने के लिए कहा क्योंकि अभी भी उन्हें इस बात की पुष्टि नहीं थी कि बाकी कोई खतरा है या नहीं।
मुस्तैदी से खड़े जवानों को यह पता भी नहीं चला कि कब दुश्मन जमीन खोदकर बॉर्डर के इस बार आ गया है और रेत हटाकर guns के साथ attack करने की तैयारी में लग चुका है। ऐसे में कारण के सीनियर ऑफिसर ने सबसे नजदीकी टावर पर सिग्नल भेजते हुए चेकप्वाइंट को आगाह किया पर क्योंकि वह दुश्मन के इतना करीब छुपकर खड़े थे कि वापस जाते तू भी दुश्मन देख लेता और यही रहते तब भी पकड़े जाते तो उन्होंने सामने से डटकर हमला करने की सोची। उन्होंने ध्यान से देखा तो सामने उन्हें खड़े तीन टेररिस्ट नाटक नजर आए जो नीचे गुफा में अपने खड़े और भी न जाने कितने दोस्तों के guns के साथ निकलने का इंतजार कर रहे थे। करण की टुकड़ी ने तब यह डिसाइड किया कि यह सबसे अच्छा मौका है इन पर अटैक करने का।
धुंध का फायदा जिस तरह टेररिस्ट ने उठाया था । उसी तरह करन और उसके साथियों ऑफिसर भी रेत पर लेटकर कोनी के बल आगे बढ़े और थोड़ी थोड़ी दूरी पर पोजीशन ली। पर क्योंकि यह सब उन्हें बहुत ही में करना पड़ रहा था अब तक और तेरे रस भी गुफा से बाहर निकल चुके थे पर अच्छी बात यह थी कि उनमें से किसी को भी अंदाजा नहीं था कि इंडियन आर्मी के ऑफिशल्स उनकी मौत बनकर सामने खड़े हैं। Senior officer का इशारा मिलते ही एक साथ सब ने रेलवेज पर अटैक किया पहले राउंड फायरिंग के बाद जहां दो टेररिस्ट वहीं जमीन पर मारे गए वहीं बाकी सब में छुपकर जगाए ले ली और दूसरी तरफ से भी गोलीबारी होने लगी। Karan के senior officer ने उसके कुछ साथियों को धीरे-धीरे आगे बढ़कर फायर करने को कहा और करण से कहा कि वह पीछे रहकर ही उनको cover दे। करण का मन इस बात पर बहुत मचल गया और वह भी अपने साथियों के साथ सामने से टेररिस्ट उसका मुकाबला करना चाहता था पर उसे अपनी ट्रेनिंग की बात याद थी किसी भी तरीके से अपने सीनियर्स की बात नहीं डालनी है इसलिए उसने वैसा ही किया जैसा उसे कहा गया था। इसका फायदा यह हुआ कि जहां करेंगे साथी धीमे-धीमे आगे बढ़े वही terrorist को Karan की गोलियों का सामना करना पड़ा। मदत आने तक करण की टुकड़ी ने सभी टेररिस्ट को धूल चटा दी थी।
Jab lieutenant Karan को उसकी बहादुरी के लिए उसके सभी साथियों के साथ पुरुस्कार से नवाजा गया तब उसने से पूरा किस्सा सुनाया जिसे सुनके j
उसके जूनियर को प्रेरणा मिली।
ऐसे ही जाबाज जवान की कहानी होगी Shahrukh Khan starrer Jawan।
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Apoorva