Drishyam 3

Thumbnail: Nepal शाही परिवार हत्याकांड

यह कहानी तब की है जब नेपाल में राजतंत्र हुआ करता था यानी कि राजा रानी और उनका साम्राज्य, हिमालय की गोद में बसा नेपाल एक ऐसा देश है जिसको बहुत ही शांति पसंद देश माना जाता है, पर साल 2001 में यहां एक ऐसा हत्याकांड हुआ, जिसने ना सिर्फ नेपाल बल्कि पूरी दुनिया में अशांति फैला दी थी, क्योंकि उस हत्याकांड में पूरा नेपाल शाही परिवार खत्म हो गया था। इस हत्याकांड को दरबार हत्याकांड के नाम से भी जाना जाता है और कहते हैं कि अगर ये कत्ल-ए-आम नहीं हुआ होता… तो शायद नेपाल में आज भी लोकतंत्र की बजाय राजा का ही शासन होता। इस कहानी में लोगो का गुस्सा है, उनका प्यार है, सत्ता की लड़ाई है, नफरत है, रिश्ते है, षड्यंत्र है, एक कहानी के अंदर दूसरी कहानी है और यहां तक कि एक सदियों पुराना श्राप भी है।

कहानी शुरू होती है साल 2001 के नेपाल से और उस समय का नेपाल आज के नेपाल से बिल्कुल अलग था क्योंकि साल 2001 में नेपाल में राजशाही हुआ करती थी, हालांकि पूरी तरह से राजशाही नहीं थी क्योंकि उस वक्त नेपाल में राजशाही के अलावा संविधान और संसद भी मौजूद थे, पर फिर भी… सबसे बड़ा शासक और सबसे ज्यादा शक्तियां राजा के पास ही थी। साल 2001 में जब यह नरसंहार हुआ था, उस समय नेपाल के राजा का नाम था राजा बीरेंद्र बीर बिक्रम शाह, राजा वीरेंद्र, उनकी पत्नी रानी ऐश्वर्या, उनके बड़े बेटे युवराज दीपेंद्र बीर बिक्रम शाह, जो कि क्राउन प्रिंस भी थे और उनके छोटे बेटे राजकुमार निरंजन बीर बिक्रम शाह नेपाल की राजधानी काठमांडू में अपने शाही महल नारायणहिती दरबार में रहते थे।

बिक्रम संवत 2058 जेष्ठ 19 यानी 1 जून 2001 की रात इस नारायणहिती महल के त्रिभुवन सदन में डिनर पार्टी चल रही थी उस पार्टी में राजा बिरेंद्र के परिवार और उनके रिश्तेदारों को मिलाकर कुल 22 शाही मेहमान मौजूद थे और क्योंकि यह एक शाही लोगों की प्राइवेट पार्टी थी, इसलिए उसमें शाही मेहमानों के अलावा किसी भी बाहर के इंसान को आने की मंजूरी नही थी। यहां तक की महल के जो सुरक्षाकर्मी और राजा के बॉडीगार्ड थे उन्हें भी जिस जगह पार्टी होती थी वहां रुकने की इजाजत नहीं थी। रात करीब 8:50 पर अचानक महल के अंदर जिस त्रिभुवन में ये पार्टी चल रही थी वहां से गोली चलने की आवाज आती है। वहां से कुछ दूरी पर महल के जो सुरक्षाकर्मी और राजा के जो बॉडीगार्ड थे, पहले तो उन्हे कुछ समझ में नहीं आता। इतने में उन्हें फिर से गोली चलने की आवाज आती है और इस पर गोली चलने की आवाज लगातार आ रही थी, ऐसा लग रहा था जैसे कोई मशीन गन चला रहा हो, इसके बाद महल के सभी bodyguard त्रिभुवन के तरफ भागते हैं और इस बीच लगातार फायरिंग की आवाज आ रही थी। तकरीबन 5-7 min मिनट की लगातार फायरिंग के बाद रात 8:57 पर दो सिंगल शॉट पिस्तौल की फायरिंग होती है और फिर ये फायरिंग का सिलसिला बंद हो जाता है। इसी बीच महल के सभी बॉडीगार्ड त्रिभुवन सदन में पहुंचते हैं, मगर वह जैसे ही अंदर दाखिल होते हैं उनके होश उड़ जाते हैं क्योंकि पूरे कमरे में खून खून ही था। त्रिभुवन सदन के billiards room में जहां पार्टी हो रही थी, उसके फर्श पर 11 लोग खून में लिपटे पड़े थे और उन 11 लोगों में से एक… नेपाल के राजा बिरेंद्र भी थे। उसके बाद जब सुरक्षाकर्मी बाहर गार्डन की तरफ गए तो उन्हें वहां से 3 और घायल लोग मिले उन तीनों में से एक रानी थी, एक युवराज दीपेंद्र थे, और एक राजकुमार निरंजन थे। उसके बाद सभी घायलों को उठाकर गाड़ी में रखा जाता है और वह लोग तुरंत हॉस्पिटल की तरफ निकलते हैं। सबसे आगे राजा बिरेंद्र की गाड़ी चल रही थी क्योंकि वह नेपाल के राजा थे और उन्हें बचाना सबसे ज्यादा जरूरी था, अच्छी बात यह थी कि कई गोलियां लगने के बावजूद भी उनके शरीर में हरकत हो रही थी। करीब 12 से 15 मिनट बाद राजा बिरेंद्र की गाड़ी नारायणी दरबार से लगभग 4-5 किलोमीटर दूर… काठमांडू के आर्मी हॉस्पिटल में पहुंचती है और उनके पीछे एक-एक कर बाकी की गाड़ियां भी पहुंचती है, जिनमें दूसरे घायल थे।

हॉस्पिटल पहुंचते ही डॉक्टर सबसे पहले राजा बिरेंद्र का इलाज शुरू करते हैं और किसी तरह उन्हें बचाने की कोशिश करते हैं, मगर अफसोस कि राजा बच नहीं पाते और हॉस्पिटल पहुंचने के कुछ मिनटों बाद ही रात 9:15 पर दम तोड़ देते हैं। उस रात एक के पीछे एक कुल 14 लोग हॉस्पिटल पहुंचे थे, जिनमें से राजा बिरेंद्र हॉस्पिटल पहुंचने के कुछ मिनटों में ही दम तोड़ चुके थे, इसके अलावा आठ लोगों को हॉस्पिटल पहुंचते ही death घोषित कर दिया जाता है। उन 8 लोगों में राजा की पत्नी ऐश्वर्या, उनका छोटा बेटा राजकुमार निरंजन, उनकी इकलौती बेटी राजकुमारी श्रुति , उनके सगे और सबसे छोटे भाई राजकुमार धीरेंद्र, उनकी दो सगी बहने राजकुमारी शांति और राजकुमारी शारदा, उनके बहनोई और राजकुमारी शारदा के पति कुमार खड़का और उनकी चचेरी बहन राजकुमारी जयंती थी। बाकी के बचे पांच घायल लोग का तुरंत इलाज शुरू किया जाता है, मगर उन 5 लोगों में से जो सबसे महत्वपूर्ण इंसान था और जिसकी जान की कीमत सबसे ज्यादा थी, वह थे क्रॉउन प्रिंस दीपेंद्र, हालांकि बाकी के 4 घायल लोगों की जान भी उतनी ही कीमती थी जितनी कि युवराज दीपेंद्र की, मगर क्योंकि युवराज दीपेंद्र को नेपाल का अगला राजा बनना था और उनकी हालत में बाकी के घायलों से ज्यादा सीरियस थी, इसलिए उनकी जान बचाना बहुत जरूरी था। युवराज दीपेंद्र के अलावा, जो बाकी के चार घायल लोग थे उनमें राजा बिरेंद्र की सगी और सबसे छोटी बहन राजकुमारी शोभा, उनकी बेटी श्रुति के पति कुमार गोरख, उनके छोटे भाई राजकुमार ज्ञानेंद्र की पत्नी और उनकी चचेरी बहन ketaki थी। इन चारों घायलों के इलाज के बाद डॉक्टर ने इनको खतरे से बाहर करार दिया मगर युवराज दीपेंद्र की हालत अभी भी क्रिटिकल थी। क्योंकि वैसे तो उन्हें सिर्फ एक ही गोली लगी थी, मगर वह गोली सीधे उनके सर में लगी थी, एक 9 MM की गोली उनके उल्टे कान के पीछे से घुसकर सीधे कान के ऊपर से बाहर निकल गई थीं, जिसकी वजह से वो कोमा में चले गए थे, इसलिए उन्हें आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया था।

इधर नेपाल की जनता को इस हत्याकांड के बारे में कोई खबर नहीं थी क्योंकि इस घटना के तुरंत बाद नारायणहिती महल के बाहर जाने वाली सभी कम्युनिकेशन लाइन को बंद कर दिया गया था। मगर फिर अगले दिन यानी 2 जून 2001 को इस घटना के 14 gante बाद सुबह लगभग 11:00 बजे नेपाल रेडियो के कार्यक्रम को रोककर यह ऐलान किया जाता है कि “कल रात 9:15 पर राजा बीरेंद्र बीर बिक्रम शाह का देहांत हो गया और अब उनकी जगह नेपाल का अगला राजा दीपेंद्र बीर बिक्रम शाह को घोषित किया जाता है” इसके बाद बाकी के जिन जिन लोगों की मौत हुई उनके बारे में भी बताया गया। यह खबर सुनते ही नेपाल के लोग सन्न रह गए, उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि आखिर एक रात में पूरा परिवार कैसे खत्म हो सकता है। पूरा नेपाल सदमे में चला गया था क्योंकि वह सभी लोग राजा बिरेंद्र को बहुत प्यार करते थे। नेपाल के लोगों उन्हें साक्षात भगवान विष्णु का अवतार मानते थे और वह भगवान अब उनसे छीन गया था, सभी लोग रो रहे थे बिलख रहे थे, वहीं दूसरी तरफ नए राजा दीपेंद्र अब भी जिंदगी और मौत से लड़ रहे थे, इसलिए लोग उनकी सलामती के लिए दुआ भी कर रहे थे।

इस हत्याकांड की खबर बहुत बड़ी थी, इसलिए देखते ही देखते ये खबर पूरी दुनिया में आग की तरह फैल गई, दुनिया भर से मीडिया के लोगों का नेपाल में जमावड़ा लग गया। शुरुआत में इस हत्याकांड को एक घटना बताया गया और कहा गया, कि यह दुर्घटना ऑटोमेटिक हथियार के एक्सीडेंटल फायरिंग की वजह से हुई है। मगर नेपाल के लोगों को इस बात पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं हुआ। उस वक्त के प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला ने भी इसे एक दुर्घटना ही करार दिया और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की, उसके बाद फिर उसी दिन यानी 2 जून 2001 की शाम करीब 4:00 बजे राजा बिरेंद्र, रानी ऐश्वर्या और उनके बाकी के परिवार वालों की शव यात्रा शुरू हुई। ये शव यात्रा आर्मी हॉस्पिटल से शुरू होकर करीब 8 किलोमीटर दूर पशुपतिनाथ मंदिर तक चली। उस शब यात्रा को देखने और उसमें शामिल होने के लिए ऐसा लग रहा था मानो पूरा नेपाल सड़कों पर उतर आया हो। देश के लाखों लोगों ने राजा के सम्मान में अपने सर मुंडवा लिए थे, और किसी भी नाई ने इसके लिए कोई पैसा नहीं लिया, शाम को बागमती नदी के किनारे आरे घाट पर सभी शाही लोगों का पूरे विधि विधान से अंतिम संस्कार किया गया।

और किसने खतम किया इस शाही परिवार को यह गुथी सुल्जाएँगे हम next video में और कुछ इसी तरह की कहानी होने वाली है drishyam 3 की तो बने रहे हमारे साथ और इस video पर हमें अपने views ज़रूर दे।

Divanshu

 

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