Gangster Hashim baba की ये कहानी किसी Film से कम नहीं है । Gangster Hashim baba के जुर्म की दुनिया में पहले कदम से लेकर उसकी मौत तक का सफर रोचक रहा है। यह gangster संजय दत्त की तरह बड़े बड़े पहाड़ रखता था और आंखों में काजल भी लगाता था और कोई भी देखकर ही बता सकता था कि यह संजय दत्त की movie khalnayak से बहुत ज्यादा inspired था। दिल्ली केस खलनायक के ऊपर दिल्ली पुलिस ने 50 लाख का इनाम भी रखा था और 50 लोगों की commando टीम की मदद से ही पुलिस उसे गिरफ्तार करने में कामयाब हो पाई थी।
हाशिम बाबा दिल्ली में gambling की शुरुआत करने वाला सबसे पहला criminal था। इसके बाद उसने बहुत सारी kidnapping और murders को अंजाम दिया । जिसकी वजह से इसका वर्चस्व पूरे ही यमुनापार की पूर्व दिल्ली में फैल गया। पर हाशिम बाबा हमेशा ही दिल्ली के एक ऐसे इलाके में रहना चाहता था जो थोड़ा संकरा हो । जैसे कि जाफराबाद क्योंकि यह ज्यादा population वाला area था जहां संकरी गलियां थी । इन्ही संकरी गलियों की वजह से वह कई सालो तक दिल्ली पुलिस की नजरो मे धूल झोंखता रहा।
और पुलिस उसे आसानी से नहीं पकड़ पाती। अपने शुरुआती दिनों में Hashim baba ने Nasir gang के साथ मिलकर अपने कुख्यात हरकतों को अंजाम दिया ।
इन्हीं के साथ शामिल होकर इसने कई murders को अंजाम दिया। हाशिम बाबा का और उसकी gang का criminal record इतना ज्यादा बढ़ चुका था कि लोग रोजमर्रा के जीवन में पुलिस complaint करने पहुंच जाते थे और उसके बाद भी उन्हें फिरौती, मर्डर, की धमकियां नहीं रुकती थी । दिल्ली पुलिस भी hashim बाबा को पकड़ने की पूरी कोशिश कर रही थी पर हाशिम बाबा उनके पकड़ में नहीं आ रहा था। और तभी हाशिम बाबा की मुलाकात होती है दिल्ली के कुख्यात gangster Abdul Nasir से। Abdul की gang में शामिल होने के बाद hashim बाबा की ताकत और भी ज्यादा बढ़ जाती है । पर hashim बाबा का बुरा समय उस समय से आने लगा जब किसी मामले में Nasir की गिरफ्तारी हो जाती है और उसे तिहाड़ जेल में बंद कर दिया जाता है। ऐसे में gang चलाने की पूरी जिम्मेदारी हाशिम बाबा पर आ जाती है ।
Hashim बाबा, अब्दुल नासिर की gang की कमान संभाल लेता है। और पूरी पूर्वी दिल्ली के अंदर बड़ी बड़ी वारदातों को फिर अंजाम देने लगता है कुछ समय बाद ही लोग अब्दुल नासिर को भूल चुके थे और हाशिम बाबा उनका नया सरदार बन चुका था। जब जेल के अंदर भी Nasir को जब ये बात पता चलती है अपनी एक अलग gang बनाकर hashim Baba से gangwar कर लेता है।
हाशिम बाबा के बारे में कहा जाता है कि जब भी बह अपने सामने अपने हाथ से किसी को गोली मारता था तो वह हमेशा सर के बीचो-बीच गोली मारता था ताकि पहचान रहे की गोली हाशिम बाबा ने मारी है। हाशिम बाबा को पकड़ने के लिए दिल्ली की 50 teams दिल्ली में लगातार घूम रही थी और अलग से commando भी उतार दिए गए थे। पर hashim पुलिस की पकड़ में नहीं आ रहा था और तभी अचानक 11 नवंबर को एक intercept call पर पुलिस को पता चलता है कि पुरुष किसी महिला से कह रहा होता है कि hashim बाबा ठीक 3:00 बजे उसके घर आएंगे और इसके बाद पुलिस ready जाती है। और 50 teams इकठ्ठा होती है और उस इलाके में तैनात हो जाती है । हाशिम बाबा दरअसल अपनी पत्नी zoya से मिलने जा रहा था। Zoya उसकी दूसरी पत्नी होती है ।
जब अपनी पत्नी से मिलकर वह बाहर निकलता है तो सादी वर्दी में खड़े कई पुलिस वाले उसे घेरकर उसे surrender करने के लिए कहते हैं पर हाशिम बाबा खुद को surrender करने से इंकार करके पुलिस पर firing करने लगता है। गोलीबारी सुनकर उसकी पत्नी zoya बाहर आती है और उसको बचाने की कोशिश करती है। Civilian को सामने आया देख पुलिस वाले firing रोक देते हैं पर इस firing के दौरान हाशिम बाबा के पैर में गोली लगती है और इसी के साथ में अपने आप को surrender कर देता है। फिलहाल हाशिम बाबा जेल में बंद है। पर कहा जाता है की veh आज भी वही से बैठ कर अपनी गैंग चला रहा है।
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Apoorva