Amritlal के डाकू बनने की कहानी शुरू होती है 1916 से। 1916 में Gwalior रियासत के गणेश खेरा गांव मे किसान के यहां जन्म हुआ था। Amritlal पढ़ने में ठीक-ठाक था। इसीलिए schooling खत्म होने के बाद गांव के ही एक school में उसे नौकरी मिल गई और उसने वहां पढ़ाना लिखाना शुरू कर दिया ।
सब कुछ ठीक ही जा रहा था पर amritlal को हमेशा यह लगता था कि जो काम वह कर रहा है उसमें ज्यादा पैसे का scope नहीं है। शहर की एक दुकान उसने एक बार नजर भर कर देखी थी । जिसे देखकर उसका सबसे पहला ख्याल यही था किस दुकान में खूब पैसा होगा । अपने कुछ अमीर दोस्तों के साथ मिलकर उसने इस दुकान को लूटने का plan बनाया। पर दुकानदार ने उन्हें रंगे हाथों पकड़ लिया और पुलिस में complaint करवा दी। पुलिस ने सभी लड़कों को गिरफ्तार कर लिया पर बाकी सारे लड़के जल्द ही जेल से छूट गए।वह सभी लड़के ऊंची जात के थे और अच्छी पहुंच की वजह से पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया । पूरी चोरी का इल्जाम amritlal के सर पर आ गया।
यह सब सुनने के बाद amritlal को बहुत गुस्सा आया। उसे इस भेदभाव से बहुत घृणा हो गई और उसने एक पुलिस वाले पर हमला करके पुलिस station से दो rifle चुरा कर वहां से भाग जाने का निर्णय लिया। इसके बाद amritlal की मुश्किलें बढ़ने वाली थी।
अब एक जगह थी जहां उसे पनाह मिल सकती थी और वह था चंबल। चंबल में जब वह पहुंचा तो सबसे पहले जिस gang leader से उसकी मुलाकात हुई वह था गोपी पंडित। गोपी पंडित ने उसे अपनी gang में रख लिया । इसके बाद किसी भी criminal mastermind की तरह अमृतलाल ,गोपी पंडित की gang को training और लूट की पूरी planning के ideas देने लगा । पर ऐसी चोरी के दौरान गोपी पंडित को पुलिस ने पकड़ लिया और बाकी सब डाकू वहां से भाग गए। ऐसे gang ki पूरी जिम्मेदारी अमृतलाल के सर पर आकर रूकी।
कहा जाता है कि चंबल के डाकू अमृतलाल के आने से पहले लूट पात और डकैती ही करा करते थे । पर अमृतलाल ने चंबल को kidnapping का concept समझा दिया। अमृतलाल के 40 साल के लंबे criminal carrer में चंबल के डाकुओं को kidnapping के सारे हथकंडे सिखाएं। एक बार ऐसे ही किस्से में अमृतलाल ने 40 लोगों को kidnap कर लिया था। यह 40 लोग बहुत अमीर परिवार से आते थे और जब फिरौती देने के बाद इन 40 लोगों को छोड़ा गया तो अमृतलाल का इतना खौफ था कि 40 लोगों ने मना कर दिया कि यह लोग kidnap नहीं हुए थे और जंगल में केवल रास्ता भटक गए थे । जबकि हकीकत कुछ और थी।
और तो और अमृता लेक अकेला ऐसा चंबल का डाकू हुआ जिसने हथियार की कमी पड़ने पर पुलिस स्टेशन पर ही हमला बोल दिया।
अमृतलाल को पकड़ने के लिए UP Rajasthan l और MP तीनों प्रदेशों में मिलकर special team बनाई । पर इतना चालाक चोर था कि केवल चंबल के जंगलों और खाडियो तक सीमित नहीं था। जहां बाकी चोर, चोरी के बाद छुपने का ठिकाना ढूंढते थे वही अमृतलाल बड़े-बड़े शहरों में जाकर घुमक्कड़ी करता था । और पुलिस स्टेशन के आस पास ही रहता था क्योंकि वहां इसका होना पुलिस कभी guess नहीं कर पाती ।अपनी आखिरी दिनों में जब अमृतलाल बूढ़ा हो गया उसका शरीर जवाब देने लगा तब उसने खुद ही surrender कर दिया अपने आप ही के दिन जेल में काटे।
ऐसे ही खूंखार criminal की कहानी होने वाली है khalnayak 2।
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Apoorva