साल 1991 का वह दिन, जहां एक होटल के कमरे में आईने के सामने एक लड़की दुल्हन बनकर बैठी थी। पर दुल्हन के जोड़े में खूबसूरत दिखने वाली उस लड़की के चेहरे मुस्कुराहट नहीं बल्कि एक डर था। रो-रो कर उसका बुरा हाल हो चुका था क्योंकि वह यह शादी करना ही नहीं चाहती थी। जबरदस्ती उसकी शादी किसी से करवाई जा रही थी। तभी वो कुछ सोच रही थी कि, शायद कोई फरिश्ता आए और उसे वहां से ले जाए।
और तभी किसी ने जोर से दरवाजा खोला और बंद भी किया। लड़की ने मुड़कर देखा तो सामने खड़ा था एक शख्स, जिसके हाथ में थी गन। पर पता नहीं उस शख्स को देखकर वो लड़की डरी नहीं बल्कि उसे ऐसा लगा कि, यही वह शख्स है जो उसे बचाने आया है। और वह शख्स भी उसकी तरफ देखता ही रह गया, जिसका नाम था विजय दांडेकर।
विजय एक एनकाउंटर स्पेशलिस्ट थे। उनका जन्म 28 सितंबर 1933 को इंदौर में हुआ। वो एक सच्चे, ईमानदार पुलिस ऑफिसर थे और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट भी। उस दिन उनके पीछे कुछ गुंडे पड़े थे और उनसे थोड़ी देर छूपने के लिए वह उस होटल रूम में घुस गए थे।
उन्होंने जैसे ही उन गुंडों को वहा से दूसरी ओर जाते हुए देखा, वह तुरंत ही बाहर आने लगे, पर तभी लड़की ने उनका हाथ थाम लिया। विजय उसकी नजर से समझ गए थे कि, उस लड़की पर जोर जबरदस्ती हो रही है।
फिर क्या, थोड़ी देर बाद विजय होटल की उस धूमधाम और भीड़ से चालाकी से निकलकर अपनी गाड़ी की ओर चले गए। फिर लड़की भागती हुए वहां पर आई और विजय के साथ बड़े यकीन के साथ गाड़ी में बैठ गई।
लड़की का वो हाल देखकर विजय मायूस हो गए थे। उन्हें उसकी बहुत ज्यादा फिक्र हो रही थी, इसीलिए वह उसे Mumbai पुलिस डिपार्टमेंट ले गए। उस लड़की ने वहां पर जाकर थोड़ा सा आराम किया, फिर विजय ने उसे पानी दिया। लड़की को विजय का यह बर्ताव और फिक्र काफी अच्छी लगी।
दूसरी ओर विजय उन गुंडों पर ध्यान रख रहे थे, जो उनके पीछे-पीछे आ रहे थे क्योंकि अब उन्हें सिर्फ खुद को ही नहीं, बल्कि उस लड़की को भी बचाना था। पर यह सिर्फ फिक्र नहीं थी, कही ना कही वो उससे प्यार करने लगे थे।
फिर जब लड़की और विजय ने एक दूसरे को देखा, वह दोनों समझ गए थे कि वह एक दूसरे के प्यार में है। पर तभी खिड़कियों की कांच टूटी और हमले होने लगे। वहां पर आए 3 गुंडे। उन तीनों गुंडों ने फायरिंग करना शुरू कर दी और उसी बीच एक गोली लगी उस लड़की को। उसे देखकर विजय के पैरों तले जमीन ही खिसक गई और उसे संभालते हुए विजय ने चिल्लाते हुए उन तीनों गुंडों का एनकाउंटर कर दिया।
विजय ने उस लड़की को बचाने की पूरी कोशिश की, ambulance को फोन भी किया, पर कोई फायदा नहीं हुआ। उस लड़की ने उनके सामने ही दम तोड़ दिया और उसकी मौत हो गई।
वो दिन विजय आज तक नहीं भूल पाए और इसी के चलते उन्होंने कभी किसी से शादी नहीं की, ना ही प्यार किया।
इस छोटे से वाकया को हमने सुना भी होगा, पर इस ऑफिसर की सारी बातें और पहचान किसी को पता नहीं है। कुछ लोग कहते हैं कि, वह एक अंडरकवर ऑफिसर थे। अगर ऐसा होगा, तो फिर उनका असली नाम शायद विजय दांडेकर नहीं हो सकता क्योंकि अंडरकवर ऑफिसर की पहचान बताई नहीं जाती।
वैसे अब टाइगर श्रॉफ की फिल्म बागी 4 आने वाली है। तो हो सकता है कि, टाइगर विजय की तरह एक एनकाउंटर स्पेशलिस्ट बने और उसी बीच उनकी लव स्टोरी अधूरी रह जाए।
Trupti