Don बना मंत्री part 3
रोमेश शर्मा जो अंडरवर्ल्ड का आदमी था, उसे नीरज कुमार और दिल्ली पुलिस के ज्वाइंट ऑपरेशन की कामयाबी के चलते गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन एक अंडरवर्ल्ड का आदमी भारत की राजनीति में कैसे घुस गया? और उसके इतने बड़े-बड़े कनेक्शन कैसे बने? चलिए जानते हैं आखिर कौन था रोमेश शर्मा।
यूपी के फूलपुर में जन्मा रोमेश शर्मा 60s के दशक में दिल्ली आ जाता है और सदर बाजार में पटरी लगा रुमाल बेचने का काम करने लगता है, लेकिन उसको जल्दी समझ में आ जाता है की ऐसे छोटे-छोटे कामों से उसके बड़े बड़े सपने कभी भी पूरे नहीं होने वाले। इसीलिए 1972 में वह मुंबई शिफ्ट कर जाता है, जहां उसकी मुलाकात वर्धराजन मुडालियर से होती है, मुंबई पर राज करने वाला अंडरवर्ल्ड डॉन जिसे वर्धाभाई के नाम से जाना जाता था। बहुत थोड़े समय में रमेश शर्मा वरदा का बिल्कुल खासम खास आदमी बन जाता है और 80 का दशक शुरू होते होते उसकी नजर पश्चिमी मुंबई के रियल स्टेट पर पड़ती है। सियार का दिमाग रखने वाला रोमेश शर्मा अब करोड़ों के मूल्य वाली प्रॉपर्टीज को हथियाने के लिए बहुत ही नायाब तरीका अपनाता है। पहले तो वो ऐसी विवादित संपत्ति को आईडेंटिफाई करता जिसके ऊपर अधिकार को लेकर कई पार्टीज आपस में लड़ रही हो, उसके बाद वह इन में से किसी एक पार्टी से उनका हिस्सा खरीद लेता और फिर अपने अंडरवर्ल्ड के गुंडों का प्रयोग कर उस प्रॉपर्टी पर दावा करने वाली बाकी पार्टी को धमकियां दिलवाने लगता है, इन धमकियों से परेशान हो कुछ दिनों में यह लोग एक मामूली रकम के बदले अपने अपने हिस्से उसके नाम कर देते और इस तरह रोमेश शर्मा करोड़ों रुपए के मकानों, दुकान और प्लाट का एकलौता मालिक बन जाता। मुंबई की एक ऐसी ही प्रॉपर्टी थी जुहू में sun-n-sand होटल के पास स्थित प्लॉट नंबर 507 रोमेश शर्मा ने बंदूक के जोर पर hdl मीडिया से प्लॉट केवल ₹2100000 में लिया था। एक विशालकाय sea फेसिंग प्लॉट जो उस समय भी कई 100 करोड रुपए की कीमत रखता था और आज तो इसकी कीमत हजारों करोड़ में है। रोमेश शर्मा मुंबई में धड़ाधड़ संपत्तियों पर कब्जे किए जा रहा था, की तभी 1988 में वर्धा भाई की मृत्यु हो जाती है और अभी उनकी चिता की आग भी शांत नहीं होती के रोमेश शर्मा दाऊद का गैंग ज्वाइन कर लेता है। कुछ साल बाद दाऊद के आदेश पर रोमेश शर्मा दिल्ली आ जाता है और यहां आते ही उसे समझ आ जाता है की राजनीति के सामने तो अंडरवर्ल्ड बच्चों का खेल है। अंडरवर्ल्ड आपको पावर तो देता है, लेकिन आप के सर पर हर समय कानून की तलवार भी लड़की रहती है। वही राजनीति आप को पावर देने के साथ-साथ इस तलवार से बचाने वाला कवच भी प्रदान करती है। दिल्ली में रोमेशी शर्मा नेताओं के लिए विवादित प्रॉपर्टी पर कब्जा करवाना शुरू कर देता है और इसके बदले उसे नेताओं की दोस्ती के साथ-साथ अच्छी खासी मोटी कमीशन भी मिलती है। नेताओं के साथ रहकर रोमेश शर्मा अब कूद एक नेता बनने का सपना देखने लगा था, और अपने इसी सपने को पूरा करने के लिए पहले वह चरण सिंह का लोक दल ज्वाइन करता है और फिर कुछ समय बाद मेनका गांधी का राष्ट्रीय संजय विचार मंच। कुछ ही समय के अंदर अंदर हालत यह हो जाती है की इस मंच में मेनका गांधी से कहीं ज्यादा समर्थक रोमेश शर्मा के होते हैं और वह जल्दी मेनका गांधी को उनके ही मंच से बाहर निकाल अपने पूरे लाव लश्कर के साथ कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर लेता है। यह वह समय था जब देश में कांग्रेस की सरकार थी, मतलब यह की अब रोमेश शर्मा को अपने अपराध का नंगा तांडव करने की खुली छूट मिल चुकी थी, पहले रोमेश शर्मा को कांग्रेस पार्टी के किसान सेल का अध्यक्ष बनाया जाता है और फिर AICC में भी जगह दे दी जाती है। लेकिन यह सिलसिला यहीं नहीं रुकता हमारी सरकार इस खादी पहनने वाले दाऊद के गुंडे को Y कैटेगरी की सुरक्षा भी उपलब्ध कराती है, सुरक्षा जिसके खर्च का बोझ मेहनत से चार पैसे कमाने वाले इस देश के नागरिकों को झेलना पड़ता है।
अब इसके आगे की स्टोरी में आपको नेक्स्ट वीडियो मै बताऊंगा। To be continued…
Divanshu