Delhi में जहांगीरपुरी के ‘D’ ब्लॉक में 40 साल के सुबोध बंसल एक जनरल स्टोर चलाते हैं और अपने परिवार के साथ रहते हैं। उनके परिवार में पत्नी अंजू बंसल और दो बच्चे, एक 13 साल की बेटी और एक 10 साल का बेटा है।
परिवार के लोगो को लगता है कि सुबोध पिछले कुछ समय से बहुत ज्यादा stressed रहते है। Anju devi को तो लगता है कि वो डिप्रेशन से जूझ रहे है। दरअसल, उन पर काफी कर्जा है और घर की financial हालत ठीक नहीं है। जनरस स्टोर से भी इतनी कमाई नही हो रही है, कि वो दोनो बच्चो की fees तक भर सके। जिसकी वजह से उनके दोनों बच्चों का नाम भी स्कूल से काट दिया गया है। घर की Financial condition खराब और कर्जदारों के दबाव के कारण Subodh मानसिक तनाव से गुजर रहा है।
Anji और बच्चे उनकी मजद करने के लिए उन्हे हमेशा support करते है, लेकिन फिर भी subodh को उसके बच्चो की पढाई की चिंता खाए जा रही थी।
बुधवार की रात सुबोध दुकान से लौटने के बाद, रोजाना की तरह खाना खाकर अपने कमरे में चला गया। Anju का आधी रात को मन घबकाने लगा तो वो अचानक उठ गई। और वो उठी तो उसने देखा कि Subodh ने खुद को फंदे पर लटका लिया है।
ये देखते ही अंजू की आंखो से आंसू निकलने लगे और मदद के लिए चीखने चिल्लाने लगी। उसकी चीख-पुकार सुनकर दूसरी मंजिल पर रहने वाले सुबोध का भाई, नीरज बंसल वहां पहुंचा तो देखा कि उसका भाई पंखे से लटका हुआ है और अंजू उसके पैरों को सहारा देने की कोशिश कर रही है। Neeraj के आने के बाद जल्दी से करीब 2:30 बजे PCR कॉल की गई और हेड कांस्टेबल विजय सिंह व एएसआई दिनेश सिंह ने जब एक औरत को रोते हुए अपने पति के फासी लगाने की बात सुनी, तो उन्हेन जल्दी से location की तरफ अपनी गाडी घुमाई। उस वक्त PCR में patrol कर रहे दिल्ली पुलिस के सिपाही को रात ढाई बजे फोन आया तो दोनों तुरंत मौके के लिए रवाना हो गए। कॉल मिलते ही हेड कांस्टेबल विजय सिंह चौहान और एएसआई दिनेश, महज 2 मिनट के अंदर उनके घर पर पहुंच गए। घर के अंदर से रोने और चिल्लाने की आवाजें बाहर तक सुनी जा सकती थीं। अंदर पहुंचे तो सुबोध बंसल फांसी के फंदे पर झूल रहे थे।
हेड कांस्टेबल विजय ने पहले फंदा काटा और सुबोध को नीचे लाकर जमीन पर लिटा दिया। सुबोध बेहोश था और शरीर में कोई हलचल नहीं थी। हेड कॉन्स्टेबल विजय ने उन्हें CPR देना शुरू किया और उन्हें मुंह से ऑक्सीजन दी। उधर, ASI दिनेश ने लुबोध के हाथ-पांव रगड़ने शुरू किए। करीब 3 मिनट लगातार CPR देने के बाद सुबोध का शरीर हिलने लगा और उनके दिल की धड़कन वापस आ गई। दोनों पुलिसकर्मियों ने उसे सीपीआर दिया और बिना देर किए उसे नजदीकी अस्पताल की इमरजेंसी में ले गए। जहां doctors ने सुबोध का इलाज शुरू किया।
अस्पताल के डॉक्टर ने बताया कि सही समय पर सीपीआर देने से ही सुबोध की जान बच पाई है। अगर एक मिनट की भी देरी होती, तो उसे बचाना मुश्किल हो जाता। बता दें कि फांसी के फंदे पर लटकने के कारण सुबोध सिंह के गर्दन की हड्डी और नसों में चोट के कारण उन्हे और इलाज की जरूरत पडी।
सुबोध के पूरे परिवार ने दोनो पुलिसकर्मियों का दिव ले धन्यवाद किया।
और दोनो officers की सही वक्त पर पहुचने और सही action लेने से impress होकर, DCP ने दोनो जवानों को सम्मानित करने का भी ऐलान किया। DCP उषा रंगनानी ने ASI दिनेश और हेड कांस्टेबल विजय सिंह चौहान का हौसला बढ़ाते हुए इनाम की घोषणा की है। और डीसीपी ने कहा कि हेड कांस्टेबल विजय सिंह चौहान पहले से ही सीपीआर और मेडिकल इमरजेंसी में trained थे और इसी वजह से सुबोध की जान बचाई जा सकी। और इससे पहले भी वो रक्त देकर एक अज्ञात मरीज की जान बचा चुके हैं।
और कुछ ऐसी ही true incidents और brave police officers की कहानी हमें balwan 2 में भी देखने को मिल सकती है।
Balwan film जिसमें actor suniel shetty ने एक बहादुर police officer का किरदार निभाया था, जिसने अपनी family और समाज को बचाने के लिए एक underworld don का खात्मा किया था।
तो क्यो ना balwan 2 में filmmakers हमारे police officers के ऐसे real incidents को फिल्म में दिखाकर, लोगो तक इन्हे पहुचाया जाए।