Balwan 2

47 old Vikas Dubey, उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए एक खूंखार criminal है, जिस पर गुरूवार रात कानपुर में 8 पुलिसकर्मियों की brutally हत्या करने का मुख्य आरोप है।

 लेकिन वही दुसरी तरफ उसी Vikas Dubey को, उसके गांव के लोग उसे एक दबंग नेता के रूप में देखते हैं, जो हमेशा जरूरतमंद लोगों की मदद करता है।

 कानपुर के बिकरू गांव के लोगो के अनुसार, दुबे के सभी political parties और यहां तक ​​कि local पुलिस वालो के साथ भी अच्छे संबंध थे।

दुबे का गांव में उनका ऐसा influence है कि एक भी निवासी ने दुबे के खिलाफ एक शब्द नहीं बोला। 

गाँव के लोग प्यार और इज्जत से दुबे को pandit ji कह कर बुलाते है। और जब गांव के लोगो से हुरूवार को हुए murder incident के बारे में पुछा गया तो Almost सबने इस बात को ignore करके ऐसे जाहिर किया, जैसे कुछ हुआ ही ना हो। 

लेकिन उन्होने उनके चहेते दुबे के बारे में ये बताया कि उनके सभी political parties से अच्छे connection बने रहते है।

गांव के एक आदमी ने कहा कि जब भी area में कोई चुनाव होता है तो दुबे उसके centre में रहते है।

और पिछले 15 साल से दुबे के परिवार के पास ग्राम प्रधान का पद बना हुआ है।

 उन्हेने ये भी कहा कि सभी political parties के नेता उसका support पाने के लिए कतार में लग जाते है।  इसलिए सोशल मीडिया पर political parties के नेताओं के साथ उनकी तस्वीरें वायरल रहती है।

गांव वालो का कहना था कि dubey uppar caste को target बनाकर होने वाली politics के लिए काफी popular थे, लेकिन उनके दुसरी जाति के लोगो के साथ भी अच्छे relations थे।

इसके लिए उन्होंने लखनऊ से लेकर दिल्ली तक तमाम political leaders से contact करने की कोशिश की थी।  उन्हें BSP और SP के नेताओं का करीबी माना जाता था, लेकिन अब वह BJP के साथ भी अपने संबंध सुधारने की कोशिश कर रहे हैं।

 

गाव वालो से जब ये पुछा गया कि वो अक्सर अखबारों में दुबे की criminal activity के बारे में पढ़ते हैं, तो इस पर गांव वालो ने साफ साफ कहा कि  उसने गांव में कभी किसी पर हमला नहीं किया। जब वो ग्राम प्रधान थे, तब भी वे अक्सर गरीबों की मदद करते थे। गरीबो की शादियों में काफी पैसा खर्च करके मदद भी करते थे।

एक औरत ने कहा कि दुबे ने उनकी बेटी की शादी के लिए financial मदद की थी।

जहाँ एक तरफ गाँव वालो के लिए dubey एक मसीहा है, वही दुसरी तरफ एक बयान के अनुसार, दुबे के खिलाफ कानपुर में हत्या से लेकर अपहरण और डकैती तक के 60 मामले दर्ज हैं।

पास के शिबली गांव के पूर्व जिला पंचायत सदस्य ने कहा कि दुबे पर 1991 में पहली बार हत्या का आरोप लगाया गया था, जब वह सिर्फ 17 साल का था।  इसके बाद उनके नाम पर हत्या, अपहरण, जमीन हड़पने आदि के कई आरोप लगते रहे।

 

सन् 2000 में ताराचंद इंटर कॉलेज के assistant Manager Siddheshwar pandey के murder case में भी  उसका नाम सामने आया था।

 उसी साल उस पर एक local resident रामबाबू यादव की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया गया था।

 2001 में, उन पर एक पुलिस स्टेशन के अंदर, former BJP state minister संतोष शुक्ला की हत्या का आरोप लगाया गया था।  बयान के मुताबिक दुबे इस मामले में conviction से बचने में कामयाब रहे, क्योंकि ज्यादातर witness मुकर गए थे।

  चार साल बाद, 2018 में, उस पर अपने ही चचेरे भाई अनुराग की हत्या का आरोप लगाया गया।

 अनुराग की पत्नी ने दुबे समेत चार लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कराई थी।  इस मामले में उन्हें उसी साल गिरफ्तार भी किया गया था, लेकिन इसी साल फरवरी में उन्हें जमानत मिल गई।

एक ने कहा कि दुबे ने हमेशा local पुलिस थानों के पुलिसकर्मियों के साथ close संबंध बनाकर रखे थे।  उनमें से कई ने उसके informer के रूप में भी काम किया करते थे। और हो सकता है कि इस बार भी किसी ने दुबे को पुलिस के आने की सूचना पहले ही दे दी हो।

 

दुबे के परिवार की बात करें तो और suspicious बात पता चली कि उसका परिवार कभी गांव में नही रहा। उनकी पत्नी और दो बच्चे लखनऊ के कृष्णानगर इलाके में रहते हैं। दुबे हमेशा अपने परिवार को गांव से दूर रखता था।  

और दुबे हमेशा 20-25 लड़कों के gang के साथ घूमता था।  उन्होंने आस-पास के area के युवाओं को अपनी टीम में शामिल करने का मन बनाया और वो उनका खर्चा भी उठाते थे।

 गांव में उनका एक महल जैसा घर है, जिसके main gate पर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। लेकिन पुलिस ने कहा कि दुबे ने crime scene से भागने से पहले सभी कैमरे disable कर दिए।

और अब यूपी पुलिस ने उसे पकड़ने के लिए बड़ा सर्च ऑपरेशन चलाया है।

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