कौन है Paratrooper Sanjog Chettri?
एक लडका जो एक ऐसे area में रहता है, जो developed नही है और जँहा future के लिए कोई रास्ता मीलो दूर दूर तक नही दिखाई देता। जिसके घर में गरीबी एक ऐसा मुद्दा है, उससे उभरना मुश्किल है।
ऐसे में आपको क्या लगता है , वो कैसे अपना career बनाएगा?
एक stable job, जिससे वो अपने घर चला सके, right!!
लेकिन उस लडके ने stable job की जगह एक ऐसा career चुना जिसमें हर कदम पर बलिदान, बहादुरी और loyalty की जरूरत पडती है।
26 जनवरी 1982 को पैदा हुए, संजोग छेत्री जैसे Nation service के लिए ही धरती पर आए थे।
Sanjog Chettri ने अपने पिता को बहुत कम उम्र में खो दिया था, उनकी बहन और उन्हें उनके पिता के बड़े भाई ने गोद लिया था।
Sanjog Chettri 19 साल के थे, जब उन्होने army join करी थी। बाद में उन्होंने 9 Para Special forces को चुना। यूनिट में पहले दिन से, वो जानते थे कि अब वो legendary warriors के घर में आए है। 9 para special force unit में 4 अशोक चक्र हैं, उन्हें 1971 के युद्ध के थिएटर से battle honor मिला है, जहां उन्होंने भारत के chamb region को बचाया था। कारगिल war में Mushko valley के zulu ridge पर कब्जा करने पर उन्हे “बहादुरों में सबसे बहादुर” का लेबल दिया गया था। और para 9 unit में शामिल होना किसी भी soldier के लिए एक गर्व की बात है, और हमेशा रहेगी।
यह गर्मियों का एक regular दिन था, soldiers किसी भी call of duty के लिए पूरी तैयारी के साथ, आराम से बैठे थे। 22 जून, 2003 को राजौरी सेक्टर के सुरनकोट area को red zone declare किया गया था। जैसे ही खबर मिली 9 पैरा टीमों को भेजा गया।
Teans जल्दी से जल्दी वहां पहुचने की कशिश करती है। एक पल जंगल एक दम शांत था, दुसरे ही पल आतंकवादियों ने पैराट्रूपर्स पर भारी गोलाबारी करके जंगल की शांति को भंग कर दिया। अपने साथी सैनिकों के लिए खतरे को भांपते हुए, संजोग ने 100 गज रेंगने के बाद पहाड़ के ठिकाने पर हमला किया और एक आतंकवादी को मार गिराया। टीम इधर-उधर बिखर गई और कवर ले लिया गया। क्योकी अचानक गोलाबारी की वजह से वो अपना सिर भी नही उठा पा रहे थे। और संजोग छेत्री को पता था कि अगर वे कवर में बने रहे तो वो जिंदा नहीं रहेंगे।
Sanjog Chettri ने आतंकवादियो की तरफ ग्रेनेड फेंकी और अपनी राइफल से लगातार फायरिंग करके extreme superiority दिखाते हुए गुफा की ओर बहुत साहसी, लेकिन लापरवाह तरीके से कदम बढाए। उन पर दोलियाँ चली और दाहिने कंधे में गोली लगने के बावजूद भी उसने 2 आतंकवादियो की मौके पर ही मौत कर दी।
जैसे जैसे injury का असर हो रहा था, sanjog अपनी body से control खो रहा था। और दुर्भाग्य से वो गुफा के entrance पर गिर गया, आतंकवादियों ने उसे कई बार गोली मारी लेकिन एक भारतीय soldier को सिर्फ गोलियों से नहीं मारा सकता। जब तक उसके अंदर साँस रहेगी वो तब तक अपनी duty पूरी करेगा। छेत्री ने अपने आखिरी लम्हो में अपने हाथ में खंजर लेकर एक आखिरी बार उठाया और एक perfect aim लगया। उसके इस shot ने आतंकवादियों को पूरी तरह से सदमे में भेज दिया था। पैराट्रूपर्स भी हैरान थे कि छेत्री जिसे कुछ सेकंड पहले गोली मार दी गई थी, वो फिर से हमला कर रहा था, और उसने शांति से आराम करने से पहले 1 और आतंकवादी को मार गिराया।
पैराट्रूपर्स संजोग छेत्री केवल 21 वर्ष के थे और वो अशोक चक्र के 4 receivers में से एक थे, जो 9 पैरा special force के लिए peacetime gallantry award है।
छेत्री के साहस को देखने के बाद उसके साथी soldiers ने 13 और आतंकवादियों को मार गिराया और 1 पाकिस्तानी trained आतंकवादी को पकड़ लिया। इस ऑपरेशन को ऑपरेशन सर्प विनाश के नाम से जाना जाता है, जिसमें Indian army ने 21 लोगों को मारा, और एक संजोग छेत्री का नाम देश की सेवा करते हुए शहीद हुए वीर जवानो में नाम आ गया।
पैराट्रूपर संजोग छेत्री के परिवार में उनकी बहन संगीता हैं, जिन्हें उनके भाई का अशोक चक्र peacetime gallantry award मिला।
तो ये थी Paratrooper Sanjog Chettri की कहानी, जिसने अपने देश की रक्षा के लिए बडी बहादुरी और साहस से, मरते दम तक आतंकवादियो ता सामना किया। और उन्हे मार गिराया।
ऐसी ही कहानी से inspired कोई किस्सा हमें फिल्म Rambo में भी देखने को मिल सकता है।
जो Paratrooper Sanjog Chettri की बहादुरी को देश के कोने कोने तक पहुचाएगा।