Chinese mafia और Sandlewood!
लाल चंदन की smuggling कितनी बढती जा रही है ये तो हम सब जानते ही है। अकेले 2021 में, 117 smuggling के मामले registered थे और officers 508 करोड़ रुपये के 51 टन red सैंडर्स को ज़ब्त किया था।
लाल चंदन सबसे ज्यादा कीमत वाली लकड़ी है, जो अभी Air Cargo, seaport और land routes के इस्तेमाल से देश से बाहर निकलती है और जिसमें local, national और international लोगो शामिल होते है।
लेकिन सबसे ज्यादा अगर लोल चंदन की कही demand है तो वो है china. और इस बात की surity 2015 में मिली थी।
साल 2015 में पुलिस ने दो चीनी लाल चंदन smugglers को गिरफ्तार किया। पुलिस ने जब मामले की पूरी जांच की तो बेंगलुरु से लाल चंदन की Smuggling करने का अद्भुत तरीका सामने आया।
2015 की चार महीने में लाल चंदन की smuggling में यह चौथी गिरफ्तारी थी।
आंध्र प्रदेश से smuggling करके लाए गए लाल चंदन को कर्नाटक लाया जाता था। फिर होसकोटे (Hoskote) के पास small quantity में लाल चंदन के लट्ठे फेंके जाते थे। उसके बाद वो लकडी के लट्ठे मिलों को दिए जाते थे, जहां उनसे फर्नीचर बनाया जाता था। जब लाल चंदन से furniture तैयार कर लिए जाते थे, उसके बाद में chinese smugglers उन्हे वहां से उठाते थे।
लाल चंदन से बना फर्नीचर तैयार करने के बाद, ये smuggler उसे उठाकर देश से बाहर ले जाते थे, furniture के रूप में लाल चंदन को smuggle करना काफी आसान हो जाता था, क्योकी किसी को पता नही लगचा था कि furniture, banned लकजी से बना हुआ है। Furniture बनाकर red sanders की smuggling करना एक full proof plan था।
पिछले चार महीनों में पुलिस ने लाल चंदन की smuggling में कम से कम 4 लोगों को पकड़ा था। पकड़े गए सभी चार व्यक्ति चीन से थे और लाल चंदन की Smuggling के एक बड़े रैकेट में शामिल थे।
ज्यादातर China के students होते थे, जिन्हे smugglers इस लाल चंदन के smuggling के धंधे में फंसा लेते थे। और investigation में पता चला कि बेंगलुरु में बहुत सारे ऐसे chinese national थे, जो लाल चंदन के trade में शामिल थे।
जबकि लाल चंदन के लिए बेंगलुरु के अंदर ही एक Major Market है, फिर भी देश के कई हिस्सों में भी इसकी smuggling के incidents सामने आए थे। और तभी पुलिस को फर्नीचर के रूप में लाल चंदन की लकड़ी, कुछ buyers को बेचे जाने के सबुत मिले थे।
लाल चंदन के कई उपयोग होते हैं और specially चीनी इसे पवित्र मानते हैं। पुलिस officers का भी कहना है कि लाल चंदन की लकड़ी की सबसे ज्यादा मांग चीन में है और इसका इस्तेमाल अलग-अलग कामों में किया जाता है।
South India में काम करने वाले चीन के smugglers को local support भी मिलता था। क्योकी Red sanders की smuggling का धंधा होता ही इतना profiatble है, कि हर कोई पहली बार risk लेने और ना पकडे जाए तो उसे आदत बना ही लेते है। ये एक तरह से addictive business है, जो एक बार profit मिला तो फिर इसे छोडना मुश्किल हो जाता है। और इसलिए local लोग भी पैसे के लालच में फंस जाते थे। Local लोग ही हैं, जो लाल चंदन की लकड़ी को, लकडी का कटाई वाली मिलों में ले जाने में मदद करते थे।
आंध्र प्रदेश की जेलों में लाल चंदन की smuggling के लिए लगभग 2,000 लोगों को गिरफ्तार किया गया था और अप्रैल 2015 में पुलिस ने एक घटना में 20 लकड़हारों को मार गिराया था।
लेकिन फिर भी इस illegal trade में कोई कमी नही आई। Andhra Pradesh के southern districts से लाल चंदन के पेडो की कटाई से लेकर उनकी tamilnadu के border और port के रास्ते से smuggling continuously हो रही थी। तो सवाल ये था कि ये smuggling आखिर हो कहां के लिए रही थी?
इस सवाल का जवाब भी मिल गया जब तमिलनाडु सरकार ने सारी जब्त लाल चंदन की लकडी की E- Auction करवाई।
300 टन का consignment, चीनी कंपनियों ने 62 करोड़ रुपये में लिया थी, जो कि state की उम्मीद से दोगुनी कीमत थी।
Directorate of Revenue Intelligence (DRI) के officers का कहना है कि जब भी आंध्र प्रदेश या तमिलनाडु की सरकारें रेड सैंडर्स लकडी बेचती हैं, तो उसके खरीददार उन्हे china में ही बेचते है।
शेषचलम पहाड़ी में हुए encounter, जिसमें लाल चंदन के 20 smugglers मारे गए थे, उससे बाजार में लाल चंदन की मांग एक बार फिर से सामने आ गई थी।
एक टन लाल चंदन की लकड़ी लगभग 10 लाख रुपये में बिकती है और तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के बीच इस रैकेट को चलाने वाले चीनी माफिया की इसकी major demand है।
हालांकि ये scientifically certified नहीं है, लेकिन लाल चंदन की demand का एक main कारण ये हो सकता है कि ये nuclear radiation के लिए सबसे अच्छा absorb करने वाला तत्व है।
ये तो fact है कि इस रैकेट में चीन की इतनी बड़ी भूमिका है, clearly क्योंकि 2013 से भारतीय पुलिस ने 55 chinese nationals को गिरफ्तार किया था, जिनके पास लाल चंदन की लकड़ी थी।
और सालो से चल रही जांच से पता चला है कि लाल चंदन की लकड़ी बिल्कुल rare लकडी है। जो हर जगह normal लकडी की तरह नही मिलती। ये केवल आंध्र प्रदेश में पाई जाती है और ये major reasons में से एक है कि Chinese से चलाई जाने वाली माफिया ने Seshachalam Forest range पर अपनी नजरें गड़ा रखी हैं।
Chinese Mafia को largely श्रीलंका से operate किया जाता है। Chinese mafia ने तमिलनाडु के कई smugglers को जंगलों से उपज काटने और smuggle करने के लिए लगाया है। बदले में ये smuggler इसे ज्यादा से ज्यादा कीमतों पर बेचते हैं और न केवल चीन में बल्कि जापान, middle East और United States Of America में भी इसका एक Major Market है।
एक बार जब लकडी को forest area से smuggling कर के बाहर ले जाया जाता है, तो इसका एक बड़ा हिस्सा specially तमिलनाडु के कोडीकरराय में बंदरगाहों पर ले जाया जाता है और श्रीलंका में भेज दिया जाता है। वहां से फिर International route को follow किया जाता है।
जबकि तमिलनाडु में बंदरगाहों से Smuggling की activities को ट्रैक करना बेहद मुश्किल हो रहा है, Indian Security Agencies को Airports से लाल चंदन या लाल चंदन की Smuggling करने वाले चीनी माफिया पर नज़र रखने में सफलता मिली है।
लगभग 30,000 किलोग्राम की बड़ी बरामदगी केवल दिल्ली और मुंबई airports में की गई है। 2013 में officers ने अकेले दिल्ली Airport से 18,000 किलोग्राम लाल चंदन जब्त किया है।
और इनमें से हर मामले में ये पाया गया कि एक Chinese national लाल चंदन की smuggling देश से बाहर कर रहा था।
चीनी माफिया ने हमेशा अपनी तस्करी के तौर-तरीकों में सुधार किया है, क्योंकि Indian security Agencies ने उनकी activities पर ब्रेक लगा दिया था। पहले smuggling खुल्लम-खुल्ला होती थी, जहां पानी के जरिए बड़ी मात्रा में smuggling आराम से की जाती थी।
हालांकि security के बढने की वजह से, Chinese Mafia ने पकड़े जाने के risk से बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को small quantity में red sanders ले जाने के लिए तैयार किया गया।
और हर बार जब भी security में कोई बदलाव होता है तो chinese mafia भी उससे बचने के रास्ते को ढुंढने में देर नही लगाती है।
हालांकि लाल चंदन की Smuggling को रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन smugglers लगातार अपना फायदा उठा रहे हैं। लाल चंदन की smuggling को रोकने के लिए specially आंध्र प्रदेश में रेड सैंडर्स एंटी स्मगलिंग टास्क फोर्स की स्थापना भी की गई थी।
और इस फोर्स के अफसरों का कहना है कि Smugglers और police का चूहे बिल्ली का खेल बन गया है। ये smugglers बड़ी तादाद में जुट जाते हैं और जितना हो सके लूट ले जाते हैं।
इसके अलावा ये smugglers जिन्हें माफिया तैनात करती हैं, वो सभी one time operatives होते है। वो एक ऑपरेशन के लिए आते हैं और फिर देश छोड़ देते हैं। इसकी वजह से specially किसी एक व्यक्ति पर रिकॉर्ड बनाना मुश्किल होता है।
अब तो E- auction में चीन के खरीदार directly भाग ले रहे हैं।
लकड़ी का use mainly फर्नीचर, musical instruments और छोटी गुड़िया बनाने के लिए किया जाता है। डीआरआई के officers का कहना है कि इसके अलावा, लकड़ी से निकाली गई डाई का use कई industries में भी किया जाता है। और traditional चीनी दवाओं में भी लाल चंदन की लकड़ी का use किया जाता है।
Directorate general of foreign trade और Union ministry of commerce and industry से मंजूरी मिलने के बाद 299.732 टन C Grade और non-grade में लाल चंदन की लकड़ी को नीलामी के लिए रखा गया था।
नीलामी में दस bidders ने भाग लिया। हालांकि, वहां भी चीनी कंपनियों ने सबसे ज्यादा कीमत की बेली लगाकर पूरा lot हासिल करने में कामयाबी हासिल की थी। Non-grade वाली लकड़ी की कीमत 26 लाख रुपये प्रति टन और C ग्रेड की लकड़ी की कीमत 47 लाख रुपये प्रति टन थी।
रेड सैंडर्स की पिछली नीलामी 2014 में की गई थी जब 105 टन की लकडी का नीलामी की गई थी।
कुल मात्रा में से 35 टन लकड़ी के लट्ठे थे, जिन्हें forest department ने जब्त कर लिया था और 70 टन को custom officers ने जब्त कर forest department को सौंप दिया था।
लेकिन कहा जाता है कि उस नीलामी से बहुत कम Amount मिली थी, क्योंकि उस वक्त उनमे कुछ ही international buyers थे।
Red sanders की Smuggling में सबसे बडा हाथ china का रहा है, ये real life में हो रहे इन incidents से साफ पता चलता है। तो हो सकता है ति Pushpa फिल्म जो पूरी ही red Sanders की smuggling पर based है, तो उसके next part pushpa 2 में हमें कुछ chinese mafia के पैतरे भी देखने को मिल जाए।