Adipurush

Aadipurush

Thumbnail

श्री ram जन्म

बालकांड:-, बहुत समय पहले की बात है सरयू नदी के किनारे कोस्ला नाम का राज्य था जिसकी राजधानी अयोध्या थी, अयोध्या के राजा का नाम दशरथ था जिनकी 3 पत्नियां थी उनके पत्नियों का नाम था, कौशल्या, केककी और सुमित्रा। राजा दशरथ बहुत समय तक निसंतान थे और अपने सूर्यवंश की वृद्धि के लिए अपने उत्तराधिकारी के लिए बहुत चलते थे राजा दशरथ ने अपने कुलगुरू ऋषि वशिष्ठ की सलाह मानकर पुत्र कमेटी यज्ञ कराया, उस यज्ञ के फल स्वरुप राजा दशरथ के चार पुत्र प्राप्त हुए, उनकी पहली पत्नी कौशल्या से प्रभु श्री राम, केककी से भारत और सुमित्रा से लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म हुआ, उनके चारों पुत्र दिव्य शक्तियों से परिपूर्ण और यशस्वी थे उनको राजकुमारों की तरह पाला गया और उनको शास्त्रों और युद्ध कला की सीख भी दी गई जब प्रभु श्री राम 16 वर्ष के हुए तब तक एक बार ऋषि विश्वामित्र राजा दशरथ के पास आए और अपने यज्ञ में विघ्न उत्पन्न करने वाले राक्षसों के आतंक के बारे में राजा दशरथ को बताया, ऋषि विश्वामित्र की बात सुनकर राजा दशरथ उनकी सहायता करने के लिए तैयार हो गए, ऋषि विश्वामित्र ने इस कार्य के लिए राम और लक्ष्मण का चयन किया, राम और लक्ष्मण ऋषि विश्वामित्र के साथ उनके आश्रम गए उनके ञयज्ञ में विघ्न डालने वाले राक्षसों का नाश किया। इससे ऋषि विश्वामित्र प्रसन्न होकर राम और लक्ष्मण को अनेक दिव्य अस्त्र प्रदान करते हैं जिन से आगे चलकर प्रभु श्री राम और लक्ष्मण अनेक दानवों का नाश करते हैं। दूसरी तरफ मिथिला नरेश थे जो कि निसंतान थे संतान प्राप्ति के लिए वह बहुत चिंतित थे उन्हें एक गहरा कुंड में बच्ची मिली तब राजा जनक की खुशी का ठिकाना ना रहा, राजा जनक उस बच्ची को भगवान का वरदान मानकर अपने महल में ले गए, उन्होंने उसका नाम सीता रखा। राजा जनक अपनी पुत्री सीता को बहुत अधिक प्रेम करते थे, सीता धीरे-धीरे बढ़ी हुई सीता गुण और अद्वितीय सुंदरता से परिपूर्ण थी, जब सीता विवाह योग्य हुई तब राजा जनक अपने प्रिय पुत्री सीता के लिए उनका स्वयंवर करने लगे, राजा जनक ने सीता के स्वयंवर में शिव का धनुष उठाने का और उस पर प्रत्यंचा चढ़ाने की शर्त रखी सीता के गुण और सुंदरता की चर्चा पहले ही चारों तरफ फैल चुकी थी, सीता स्वयंवर की बात सुनकर राजा सीता स्वयंवर में भाग लेने के लिए आने लगे, ऋषि विश्वामित्र भी श्री राम और लक्ष्मण के साथ सीता स्वयंवर में पहुंचे। जब सीता से शादी करने की इच्छा लिए दूर-दूर के राजा, महाराजा स्वयंवर में एकत्रित हुए तो स्वयंवर आरंभ हुआ सारे राजाओं ने शिव धनुष उठाने की कोशिश की लेकिन उठा नहीं पाए तब ये देखकर राजा जनक बहुत चिंतित हो गए तब उन्होंने ऋषि विश्वामित्र से कहा कि वह उनकी चिंता को दूर करें और ऋषि विश्वामित्र ने अपने शिष्य राम से इस धनुष को उठाने के लिए कहा, प्रभु राम अपने गुरु को प्रणाम करके उठे और उन्होंने धनुष को बड़ी सरलता से उठा लिया और उस पर प्रत्यंचा भी चढ़ा दी। प्रत्यंचा चढ़ाने लगे तो धनुष टूट गया राजा दशरथ की शर्त के अनुसार प्रभु श्रीराम से सीता का विवाह हुआ।

Divanshu

 

 

Comment Your Thoughts.....

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments

Related Post

Bahubali 3 , Prabhas , By Rashmi bollygradstudioz.com

Bahubali 3

Aaj tak duniya bhar mein jitne bhi war huye hai usse kisi ka bhi koi faida nhi hua hai, jo team harti hai uske bhi

Read More »

KGF 3

Humare desh me gold ki smuggling lagataar badhte jaa rahi hai aur iska main kaaran desh me sone pe lagne waala 15% tax rate hai.

Read More »
BAHUBALI 3

Baahubali 3

बाहुबली the conclusion के end में दिखाया गया है कि महेंद्र बाहुबली भल्लालदेव को मार देते हैं लेकिन भल्लालदेव के पिता bijal dev का end

Read More »

Bollygrad Studioz

Get the best streaming experience

Contact Us

41-A, Fourth Floor,

Kalu Sarai, Hauz Khas,

New Delhi-16

 

011 4140 7008
bollygard.fti@gmail.com

Monday-Saturday: 10:00-18:00​