Kerala Police ने मारी raid!
मरयूर में कोई भी चंदन की Smuggling का साथी बन सकता है। कभी-कभी लोग एक-दो Bear के बदले में ही पेड़ों को काटने के लिए तैयार हो जाते हैं।
लेकिन अब जैसे जैसे smuggling बढती जा रही है, Forest Officers भी चोरी के पेड़ों को बरामद करने में माहिर होते जा रहे हैं। Forest watchers, जिन्हे जंगल में नजर रखने का काम दिया गया, वो expert trackers बन गए है। वो पेड़ को चोरों के छोड़े गए clues से फिर से खोज सकते हैं। ज्यादातर चोरी रात 2 बजे या 3 बजे के आसपास होती है। जब वो जंगल से गुजरते हैं, तो चोर अपनी कमर के चारों ओर पेट काटने का औजार, आरी को लपेट लेते हैं। 15 मिनट में उनका काम पूरा हो जाता है और वो अपने पीछे सिर्फ 1 फुट नीचे से पेड का हिस्सा छोड जाते है।
चंदन की चोरी सिर्फ जंगलों तक ही limited नहीं है। मरयूर residents जिनकी जगहो में चंदन के पेड़ हैं, वो उम्मीद कर सकते हैं कि चोर कभी भी हमला कर सकते हैं। Smugglers के पास हर जगह middlemen और informants होते हैं। जिन्हें हर पेड के की location के लिए reward मिलता है।
Smugglers का एक regular process है। वो चंदन के पेड़ के मालिक के पास जाते हैं और उसके सामने एक offer रखते है, जो कि खुद smugglers के ही favour में होता है।
फिर भी मालिक offer को accept ही करेगा। क्योकी वो जानता है कि चंदन का पेड देने से मना कर भी देगा, तो भी अगली सुबह उसे पेड गायब ही मिलेगा।
Forest officers और employees के पास उनकी कड़ी मेहनत के साथ, कुछ खुश करने के लिए भी है। जैसे कभी-कभी उनके सामने ऐसे मामले आते हैं जब inexperienced Smuggler, दुसरे पेडो को चंदन का पेड़ समझ कर काट कर ले जाते हैं। और इससे पहले कि वो अपनी नासमझी का एहसास करें, तब तक तो वो उन्ही गलत लकडियो को जंगल के रास्ते border पार ले जा चुके होते है।
हालांकि मरयूर जंगल से बाहर काम कर रहे ज्यादातर चंदन smugglers तमिलनाडु के रहने वाले हैं, वो इस बड़े खेल में सिर्फ मोहरे हैं। Forest department ने कहा कि रैकेट के मास्टरमाइंड ज्यादातर Northern Kerala में पाए जा सकते हैं।
2005 में केरल Government के state में Private sandalwood Factories को बंद करने के बाद से इन रैकेटों ने State borders पर चंदन की Factories बना ली हैं।हालांकी Factories के मालिकों को एक crisis का सामना करना पड़ा, जिसने तमिलनाडु और कर्नाटक में ज्यादातर चंदन के पेड़ों को मिटा दिया। Naturally, उनकी नजर मरयूर पर टिकी है, जो high quality वाले चंदन के पेड़ों के सबसे बड़े collection के लिए famous है। आंध्र प्रदेश में कई एकड़ में चंदन के पेड़ हैं, लेकिन वो blood-red रंग वाली दूसरी प्रजाति (Species) के हैं।
केरल forest department, regularly केरल के Gangs द्वारा हो रही Sandalwood Smuggling operations को रोकने का काम बखूबी कर रहा है। Divisional Forest Officer रंजीत ने कहा कि Department ने 2018 में smugglers के एक gang को पकड़ने के लिए एक खुफिया information पर कार्रवाई की। Officers को ये जानकर हैरानी हुई कि जब उन्होंने smugglers से जब्त documents का inspection किया, तो उन्हे वहा से एक बडी lead मिली। मलप्पुरम जिले की Gang, Gold और currency smuggling में भी शामिल थी। Gang से seize किए गए बैंक accounts से पता चला है कि उन्होंने तीन दिनों में पलापेट्टी बस्ती में एक नौजवान को 49,000 रुपये ट्रांसफर किए थे।
मलप्पुरम district का कोई व्यक्ति Idukki district की एक कॉलोनी में किसी व्यक्ति को इतना पैसा क्यों भेजेगा? जिस ATM से पैसे भेजे गए थे, उस पर forest department की नजर पड़ी लेकिन surveillance footage में पैसे भेजने वाले का चेहरा साफ नहीं दिख रहा था। Officers ने महसूस किया कि पैसा direct बैंक से उसी खाते में भेजा गया था। और deposit slip पर sign से पता चला कि उसी व्यक्ति का बैंक में account भी था।
Department ने एक infamous smuggler के बेटे, एक 19 साल के लडके पर focus किया, जिसे पहले आंध्र प्रदेश से चंदन की smuggling के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
Officers ने suspects पर बारीकी से निगरानी की और पाया कि चंदन की लकड़ी आंध्र प्रदेश में smuggle की जा रही है। उन्हें आंध्र के चित्तौर जिले में एक चंदन की फैक्ट्री के बारे में पता लगा। लगभग 20 forest officers, अपनी weapons के साथ आंध्र-तमिलनाडु border पर वेल्लोर (vellore) Forest station पहुंचे। वो चित्तौर के divisional forest officer के contact में थे।
Divisional Forest officer को, वेल्लोर में डेरा डाले हुए केरल के Officers की condition पर दया आ रही थी, फिर भी Field officer उनके साथ cooperate करने को तैयार नहीं थे। उन्होंने उसी रात factory पर छापा मारने के केरल के Officers की request को reject कर दिया। केरल के officers factory के चारों ओर निगरानी में खड़े थे, क्योंकि उन्हें लग रहा था कि चंदन को रातोंरात वहां से transfer किया जा सकता है। उनके पास जानकारी थी कि केरल से smuggling करके लाई गई चंदन की लकड़ी इसी factory में है।
अगले दिन Andhra forest department से केवल एक officer जांच के लिए आया। केरल forest officers ने मौके का फायदा उठाया और उन्होंने जबरदस्ती factory को खोल दिया। मरयूर की government factory की तुलना में, Andhra की ये factory बहुत बडी थी। और ये Factory Sandalwood के stock से भरी थी।
हालांकि, आंध्र में local officers ने कहा कि फैक्ट्री legal regulations के तहत अच्छी तरह से काम कर रही थी। लेकिन जब फ़ैक्टरी manager ने कुछ documents दिखाए तो उनमें inventory report और actual stock मेल नहीं खा रहे थे। और investigation में पता चला कि Factory का owner केरल का रहने वाला था। जो की फरार चल रहा था।
Experts मरयूर के चंदन के स्टॉक की आसानी से पहचान कर सकते हैं, क्योंकि ये High quality का है। ऐसी चंदन की लकड़ी कहीं और आसानी से नहीं मिल सकती।
केरल की टीम ने चोरी किए गए consignment को बरामद तो कर लिया, लेकिन State Borders के पार चंदन के लठ्ठो के transport पर control करने वाले strict regulations के कारण वो उन्हें वापस अपने state में नहीं ले जा सके।
तो लकडियो को आंध्र forest department के पास safely रखा गया है। इसे केरल वापस ले जाने के efforts जारी हैं।
केरल Forest department हर तीन साल में मरयूर में चंदन के पेड़ों की calculation करता है। Last census 2019 में किया गया था। उसके हिसाब से 59,784 पेड़ थे। केरल में काटा गया कोई भी चंदन का पेड़, चाहे वह सरकारी जमीन पर हो या private property पर, उन्हें मरयूर में चंदन के (डिपो) depot में stock किया जाता है, जो कि पुरे state में एक ही है।
चंदन को वजन से मापा जाता है। अगर एक मीटर लंबे लट्ठे का वजन 5 किलोग्राम से ज्यादा होता है, तो उसे first grade के रूप में classify किया जाता है, जिसे Vilayat Buddha कहा जाता है।
और भले ही लट्ठे का वजन 5 किलोग्राम हो, लेकिन लकड़ी में दरारें हैं, तो इसे second grade के china Buddha के रूप में classify किया गया है। 2 किलोग्राम वजन के लट्ठे Third Grade के पंजम (Panjam) कहे जाते हैं। चंदन के लट्ठों की कुल 15 categories हैं।
चंदन के पेड़ों को काटने की कोई time limit नहीं है। लकडी को एक मीटर लंबे टुकड़ों में काटने और पॉलिश करने से पहले डिपो में अलग-अलग categories में classify किया जाता है। ये काम skilled artists द्वारा किया जाता है, क्योंकि कीमती पेड़ का कोई भी हिस्सा बर्बाद नहीं होने दिया जा सकता है।
चंदन की top दो categories बेहद expirenced artists द्वारा संभाली जाती हैं। कटे और पॉलिश किए गए लट्ठों को नंबर दिए जाते है और डिपो के अंदर रखा जाता है, जिस पर कडी security होती है। चमकते जगमगाते डिपो के आसपास surveillance कैमरे लगे हैं। forest department हर साल स्टॉक की auction करता है। खरीदार तमिलनाडु, कर्नाटक, गोवा और यहां तक कि पश्चिम बंगाल से भी आते हैं।
सबसे बड़े चंदन के खरीदार कर्नाटक के मैसूर सैंडल (Mysor Sandals) हैं। चंदन की नीलामी में केरल के कुछ मंदिर भी भाग लेते हैं। गुरुवायुर में श्री कृष्ण मंदिर को नीलामी में हिस्सा लिए बिना ही हर साल 5 टन चंदन की supply की जाती है।
सैंडलवुड की value ने Marayur में Mafia Operations को फैला दिया है। क्योंकी Forest department ने जंगल में एक चंदन की Smuggler की Dead body को बरामद किया। Department को उस के बाद एक और Dead body मिली, जो की Madhavan की थी। Madhavan जिसके खिलाफ case forest department में पहले से ही registered था।
तो ये थी, Kerala के Idukki district के Marayur town की कहानी, जिसमें चंदन की smuggling का इतना बोलबाला है कि हर कोई अपना पेट भरने के लिए चंदन के पेडो को काटने और उन्हे smuggle कराने में मदद करने के लिए तैयार हो जाता है।
Sandalwood smuggling Mafia ने अपना खौफ बस्ती के लोगो के दिलो में बैठा रखा है। और उसके साथ साथ जहाँ ये थोडे से पैसो के लिए ये crime करते है, वही दुसरी तरफ बाकी smugglers है जो चंदन की लकडी का असली फायदा उठाते है।
Sandalwood smuggling के बारे में कुछ ऐसी ही और intresting किस्से हमें pushpa 2 में भी देखने को मिल सकते है।