Drishyam 3

Thumbnail: एक raat में परिवार खत्म

हमारे यहां अक्सर यह कहा जाता है कि पुलिस अपना काम सही से नहीं करती और करती भी है तो बहुत सुस्त रफ्तार से करती है, जिसकी वजह से कई अपराधी कानून की गिरफ्त से बच जाते हैं, मगर वहीं दूसरी तरफ कुछ के ऐसे भी होते हैं जिसमें कि पुलिस अपना काम पूरी ईमानदारी से करती है और आज की कहानी भी एक ऐसी कहानी है जिसमें न तो कोई गवाह था और न ही कोई सबूत, लेकिन इसके बावजूद पुलिस ने जिस तरह से इस मामले की एक-एक कड़ी को जोड़ा और सिर्फ 3 दिन के अंदर मामले को सुलझा लिया. वह पुलिस इन्वेस्टिगेशन की एक मिसाल है।

कहानी उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले की है, अमरोहा में गांव है बावन खेड़ी, इस गांव में परिवार रहा करता था जिसके मुखिया के मास्टर शौकत अली थे, मास्टर शौकत अली के अलावा उस परिवार में 7 लोग रहते थे, जिनमें से एक थी उनकी पत्नी हाशमी, बड़ा बेटा aness बहू अंजुम इन दोनों का एक 10 महीने का बेटा अरश इसके अलावा छोटा बेटा राशिद, इकलौती बेटी शबनम और एक भांजी राबिया भी उन्हीं के साथ रहा करती थी, तो कुल मिलाकर उस परिवार में टोटल 8 लोग रहते थे पूरा परिवार अच्छा खासा पड़ा लिखा और पैसे वाला था। मास्टर शौकत अली जो थे वह एक सरकारी कॉलेज में लेक्चरर थे, उनका बड़ा बेटा अनीस जालंधर की एक कंपनी में इंजीनियर था, छोटा बेटा राशिद मेरठ से बीटेक कर रहा था और शबनम ने डबल m.a. कर रकी थी और एक प्राइमरी स्कूल में शिक्षा मित्र के तौर पर बच्चों को पढ़ाया करती थी। मतलब कि परिवार में किसी भी चीज की कोई कमी नहीं थी और पूरे बावन खेड़ी गांव में उस परिवार का बहुत रुतबा था। मगर फिर एक रात कुछ ऐसा हुआ जिसका असर न सिर्फ उस परिवार पर हुआ बल्कि उसने पूरे बावन खेड़ी गांव की सोच ही बदल कर रखदी। हुआ ये की 14 अप्रैल, 2008 की देर रात लगभग 2:15 बजे के आसपास उस घर की पहली मंजिल की बालकनी से शबनम ने अचानक से जोर-जोर से चिल्लाना और रोना शुरू कर दिया। शबनम की आवाज सुनने के बाद जो उनके पड़ोसी थे वह भाग कर शबनम के घर के पास पहुंचे, मगर जब उन्होंने घर के अंदर घुसने के लिए दरवाजा खोला तो दरवाजा अंदर से बंद था और शबनम अब भी जोर जोर से चिल्लाए जा रही थी। इसके बाद उससे कहा गया कि वह अंदर से दरवाजा खोले। तो वह ऊपर से नीचे आई और मेन गेट का दरवाजा खोल कर वापस ऊपर चली गई। पीछे पीछे पड़ोसी भी उस घर की पहली मंजिल पर पहुंचे, मगर जसे उपर पहुंचे उनके पैरों तले जमीन खिसक गई थी क्योंकि वहा 7 लाशे पड़ी थी और पूरे घर में खून ही खून बिखरा पड़ा था शबनम के मां-बाप, दोनों भाई, एक भाभी, एक ममेरी बहन, और एक 10 महीने का बच्चा जो कि शबनम का भतीजा था उन सभी की लाश उनके बिस्तर पर पड़ी हुई थी, और शबनम उन लाशों के बगल में बैठकर बेतहाशा रोए जा रही थी। इसके बाद जब Shabnam से पूछा गया कि यह सब कैसे हुआ तो उसने बताया कि रात को चोर-डाकू टाईप आदमी आए और सभी को मार कर चले गए। इसी दौरान एक पड़ोसी ने पुलिस को फोन लगा दिया और थोड़ी देर बाद ही पुलिस वहां पहुंच गई, पुलिस जब वहां पहुंची तो उनके हाथ पैर फूल गए क्योंकि वहां का मंजर ही कुछ ऐसा था। जो सात लाशे वहां पड़ी थी उनमें से अगर 10 महीने के बच्चे को छोड़ दिया जाए तो सभी लाशों के गले को किसी धारदार हथियार से काटा गया था। पुलिस ने वहां पहुंचकर सबसे पहले तो क्राइम सीन को सील किया और फिर अपने सीनियर को इसकी जानकारी दी. सुबह होते होते यह खबर पूरे इलाके में आग की तरह फैल गई और शबनम के घर के अंदर और बाहर लोगों का तांता लग गया। जिसने भी उस घटना के बारे में सुना वह अंदर तक काप गया और जब उन्होंने परिवार की इकलौती बची बची शबनम को रोता देखा तो उनकी आंखें भी नम हो गई, सभी के मन में शबनम के लिए हमदर्दी और पुलिस और प्रशासन के लिए गुस्सा पनपने लगा। जिस तरीके से एक घर के अंदर 7 लोगों को मौत के घाट उतारा गया उसे देखते हुए लोगों ने वहां की कानून व्यवस्था, पुलिस और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करनी शुरू कर दी। लोगों का गुस्सा देखते हुए वहा की प्रशासन ने हसनपुर थाने के इंचार्ज को तुरंत सस्पेंड कर दिया, और इस केस को इंस्पेक्टर R.P. गुप्ता को दे दिया, जो कि अमरोहा पुलिस स्टेशन के SHO थे क्योंकि उनकी इमेज लोगों के बीच काफी अच्छी थी। इंस्पेक्टर R.P. गुप्ता 15 अप्रैल 2008 की सुबह सुबह घटना वाली जगह पहुंच गए। मगर उन्होंने जैसे ही उन लाशों के ऊपर पड़ी चादर को देखा तो उनके दिमाग में एक चीज खटकी, पर फिर उन्होंने लाशों का पंचनामा कर के सभी लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया, इसके बाद उन्होंने उस घटना में इकलौती बची शबनम से पूछताछ करने का फैसला किया, मगर शबनम का रो रो कर बुरा हाल था और जाहिर सी बात है कि जिस ने एक साथ अपने परिवार के सभी लोगों को खो दिया उसकी हालत क्या होगी वह आप अच्छे से समझ सकते हैं। इधर पुलिस के लिए परेशानी ये थी कि शबनम के अलावा और कोई भी ऐसा नहीं था जो कुछ बता सके, इसलिए किसी तरह पुलिस ने शबनम से थोड़ी बहुत बात करने की कोशिश की… तो शबनम ने बताया कि रात को नीचे बहुत गर्मी हो रही थी इसलिए वह सोने के लिए ऊपर छत पर चली गई। आधी रात के करीब कुछ लोग पीछे की दीवार के जरिए पहली मंजिल पर पहुंचे और सभी को मार कर वापस मेन गेट से बाहर भाग गए। पुलिस ने शबनम का शुरुआती बयान दर्ज करने के बाद उनके पड़ोसी से भी बयान लिया। फिर आगे की तफ्तीश शुरू की मगर case के IO यानी इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर R.P. गुप्ता को शबनम के बयान से एक और चीज खटकी और वह यह कि पड़ोसियों ने बताया कि रात को जब वो पहुंचे तो घर का मेन गेट अंदर से बंद था और शबनम ने अपने बयान में बताया कि वह सभी कातिल main गेट से बाहर भागे थे। तो अब सवाल ये था कि गेट अंदर से किसने बंद किया? इसके बाद पुलिस पीछे की उस दीवार के पास पहुंची जहां से शबनम ने बताया कि वो चोर उस घर में दाखिल हुए थे। वो पीछे की जो दीवार थी उसकी ऊंचाई, जमीन से करीब 14 फीट ऊंची थी और उस दीवार पर बिना सीडी कोई भी ऐसे ही नहीं चढ़ सकता था। मगर पुलिस को वहां से ना तो कोई सीढ़ी मिली और ना ही दीवार पर सीढ़ी का कोई निशान। इसके अलावा शबनम ने बताया था कि उस रात बहुत ज्यादा गर्मी होने की वजह से वह उपर छत पर सोने चली गई थी, जबकि उसके घर में पंखा भी था और इनवर्टर भी और जब पुलिस जांच के लिए घर की छत पर पहुंची तो उन्हें वहां कोई बिस्तर वगैरह नहीं मिला। इसी दौरान पोस्टमार्टम की रिपोर्ट भी आ गईं और पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि मरने से पहले किसी भी इंसान ने कोई हाथापाई नहीं की थी और सबसे हैरान करने वाली जो रिपोर्ट आई वो ये थी कि, 10 महीने के बच्चे को छोड़कर सभी 6 लोगों को मरने से पहले किसी तरह की कोई नशीली चीज दी गई थी। क्योंकि उन सभी 6 लोगों के पेट में सूजन मिली थी और पेट के अंदर की स्किन भी लाल पड़ गई थी। जो 10 महीने का बच्चा था उसे कोई नशीली चीज नहीं दी गई थी और उसकी मौत दम घुटने की वजह से हुई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट देखने के बाद स्पेक्टर R.P. गुप्ता को जो लाश के ऊपर पड़ी चादर देखकर जो शक हुआ था वह बिल्कुल सही निकला। लाशों के ऊपर जितनी भी चादर थी वह बिल्कुल सही ढंग से पड़ी थी, जिसका मतलब था कि किसी ने भी मरने से पहले कोई विरोध नहीं किया था। जबकि एक मरने वाला इंसान किसी भी कीमत पर खुद को बचाने की पूरी कोशिश करता है, उसके जिस्म पर खुद को बचाने के निशान भी होते हैं और उनके ऊपर पड़ी चादर भी बिक्री हुई होती है। मगर इस केस में ऐसा कुछ भी नहीं मिला क्योंकि वह सभी पहले से ही बेहोश थे। इसके अलावा एक सवाल यह भी उठ कि जब उस रात घर में सभी लोग मौजूद थे और एक बार के लिए यह मान भी लिया जाए कि किसी बाहर वाले ने धोखे से उन्हें नशीली चीज दी थी, तो फिर शबनम इसे कैसे बच गई? खैर, इसके बाद जब पुलिस ने पूरे घर की दोबारा जांच की तो उन्हें बेहोशी की दवा का एक खाली पत्ता भी मिल गया। तो अब तक हुई तफ्तीश में साफ था कि शबनम ने अपने बयान में जो कुछ भी कहा, वह हालात के हिसाब से मैच नहीं हो रहे थे और पुलिस को यह बात खटक रही थी कि ऐसा क्यों? और इस क्यों का जवाब सिर्फ शबनम ही दे सकती थी, पुलिस चाहती थी की शबनम से अच्छे से पूछताछ की जाए, मगर पुलिस की दिक्कत ये थी कि वह शबनम के साथ कड़ाई से बात नहीं कर सकती थी, क्योंकि अगर पुलिस ऐसा करती तो हो सकता था, कि वहां का माहौल और बिगड़ सकता था। पुलिस ने एक शबनम से बात करने की कोशिश भी की पर शबनम के साथ मौजूद लोगों ने इसका विरोध किया, इसलिए पुलिस भी थोड़ा माहौल शांत होने का इंतजार करने लगी। इसी बीच हुआ ये कि बहुत ज्यादा रोने धोने की वजह से शबनम की तबीयत अचानक से बिगड़ गई, इसलिए डॉक्टर को उसका चेकअप करने के लिए बुलाया गया और जब डॉक्टर ने शबनम का चेकअप किया तो एक नई चीज सामने आई पता चला कि Shabnam प्रेग्नेंट है और उसकी कोख में 7 हफ्ते का बच्चा पल रहा है। शबनम की प्रेगनेंसी वाली बात जब पुलिस को पता चली तब उनके मन में कई और सवाल घूमने लगे, जिसका जवाब सिर्फ और सिर्फ शबनम के ही पास था।

और ऐसे ही एक केस पर based होने वाली है drishyam 3 की स्टोरी, तो आपको क्या लगता है कैसी होगी ये फ़िल्म? Let us know in the comments.

Divanshu

 

 

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