Robinhood के बारे में तो आप सब जानते ही होंगे। बचपन में हम सब ने इसकी कहानी सुनी है कैसे यह चोर था जो अमीरों से चुरा कर सोना गरीबों में बांट दिया करता था। कई बार बॉलीवुड में कुछ सिमिलर रोज पर मूवीस बनाई जा चुकी है । जब भी किसी मूवी में किसी नेगेटिव कैरेक्टर को थोड़ा अच्छा दिखाना होता है तो बॉलीवुड इसी आइडिया का सहारा लेता है चाहे वह केजीएफ हो या दबंग सभी मूवीस में सेंट्रल कैरेक्टर को अच्छा दिखाने के लिए उसे रॉबिनहुड का दर्जा दे दिया जाता है पर आज हम बात करने वाले हैं असली Robin hood की।
Vijay vempati केरला के गांव में रहने वाला एक आम किराने की दुकान चलाने वाला व्यक्ति हुआ करता था पिता के गुजरने के बाद विजय ने अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट की पढ़ाई बीच में बीच में ही छोड़ दी और किराने की दुकान पर फुल टाइम ध्यान देने लगा उसके परिवार में उसकी मां और एक छोटा भाई था। किराने की दुकान से उन सब का पालन पोषण बढ़िया हो रहा था कई बार विजय अपनी दुकान पर हाय लोगों जैसे पर ध्यान देता कैसे कुछ लोग बोरा भर भर के ले जाते अरुण वह भी कम लगता है कुछ लोग आधे 1 किलो सामान को भी मैंने आज तक किसी भी तरह खींच देते।
जहां विजय अपने परिवार का पालन पोषण करने में संतुष्ट था वही छोटे भाई के कॉलेज के एडमिशन के लिए उसे कुछ और पैसों की जरूरत थी जिसके चलते उसने गांव के नामी जमींदार से एक बड़ी रकम लोन पर उठाए और बदले में उसके यहां उसकी समझदारी के अकाउंट को जांचने का काम शुरू कर दिया। यह काम विजय के लिए ठीक भी थ क्योंकि उसने आता तो था ही साथ ही साथ इसके लिए उसे रोज वहां जाने की जरूरत नहीं पड़ती है हफ्ते में दो-तीन दिन जाकर भी ज्यादा से ज्यादा काम निपटा जाता। यही विजय ने पहली बार देखा कि किस तरह जमींदार गांव के अनपढ़ लोगों से मोटी रकम धोखे से कमा रहे हैं। तो फिर ऐसी काली रकम को किसी तरह सफेद करने के लिए विजय जैसे लोगों को काम पर रखते हैं कई लोग तो ऐसे भी थे जिनकी पुष्टि भी उनके बरसों पहले लिए गए लोन को चुका रही थी।
इसलिए विजय ने पहली बार एक गरीब किसान की मदद करने के लिए धोखे से कुछ पैसे जमींदार के अकाउंट से हेरफेर कर कर निकाल दिया और उस किसान की मदद कर दी। इसकेे चलते जहां विजय थोड़ा सुकून मिला वहीं उसे बहुत guilt भी हुआ कि उसने धोखाधड़ी की है। शायद वह सुकून जो से मिला दे उस दिल को बहुत जल्द होगा पागल कर गया जिसके चलते विजय ने थोड़े थोड़े समय पर बिना नोटिस हुए कई बूढ़े किसानों का कर्जा उतारने में मदद किया। पर वह कहते हैं ना कोई भी झूठ अच्छा चाहे बुरा लंबा नहीं चलता। उसी तरह जमींदार के यहां कुछ 9 साल लगातार काम करने के बाद विजय पकड़ा गया जिसके बाद जमींदार और उसके आदमियों ने विजय को बहुत मारा और उसे पुलिस के हवाले करने की सोची पर जैसे यह बात गांव वालों को पता चली गई गांव वाले विजय की मदद के लिए सामने आ गए और विजय को और पिटने नहीं दिया।
अब जमींदार को यह समझ आ चुका था कि विजय को गांव वालों के सामने तो नहीं मारा जा सकता है ना ही पुलिस में दिया जा सकता है क्योंकि अगर वह पुलिस में complaint करता है तो सबसे पहले वह खुद arrest होगा। ऐसे में जब से विजय को लगता कि शायद अब मामला शांत हो गया है तब तक किसी न किसी तरीके से उस पर आकस्मिक अनजान हमले होने लगते यहां तक कि उसकी मां और उसके भाई पर भी हमले कई बार दोहराए गए। क्योंकि विजय सब हमलो से तंग आ गया था उसने खुद को पुलिस के सामने सरेंडर करने की ठानी।
गांव वालों ने विजय की सारी बात सुनी और उसका साथ देने के लिए lawyer hire किया जिसने कोर्ट के सामने पूरा मामला पेश किया। मामले की पूरी सुनवाई के बाद जहां जमींदार की प्रॉपर्टी जप्त कर ली गई और कई गांव वालों के लोन माफ हो गए वही विजय को भी धोखाधड़ी के केस में लंबे समय तक जेल में है ना पड़ा।
वाकई विजय वेमपत्ति का case सच मे इंडियन Robinhood का केस है।
ऐसे ही दिलदार खलनायक की कहानी होने वाली खलनायक २ ।
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Apoorva