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Thumbnail :- navniet हंसराज कॉलेज क्यों गया?
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By vareena Tandaniya
दोस्तों जैसे कि आपने पिछली कहानी में देखा नवनीत की अध्यापिका navniet के घर आती है जिसे देखकर उसकी मां बहुत डर जाती है। किंतु उसकी अध्यापिका कहती है कि उन्हें नवनीत को बाहर पढ़ाई के लिए bhejna चाहिए।
अगला दृश्य दिखाया जाता है जहां पर नवनीत के पिता रात के समय घर आते हैं तो नवनीत की माता navniet के पिता मनोहर से बात करती है और कहती हैं जी आज नवनीत की अध्यापिका घर आई थी। नवनीत के पिता मनोहर कहते हैं। क्यों कोई जरूरी काम था क्या उन्हें? क्या नवनीत ने कुछ गलत किया था। नवनीत की मां कहती है नहीं वह तो कहने आई थी कि हमारा बच्चा बहुत होशियार है और इसके अच्छे भविष्य के लिए हमें इसे गांव से बाहर किसी शहर में के स्कूल में भेजना चाहिए तो आपका क्या विचार है तो नवनीत का पिता मनोहर कहता है कि चलो अगर हमारे बच्चे का भविष्य सुधर सकता है तो इसमें क्या ही बुराई है। मैं कल ही navniet ko बाहर शहर में पढ़ने का बंदोबस्त करता हूं। तब नवनीत की माता कहती हैं कि हमारा बच्चा भी इंग्लिश में बात करेगा? Navniet ka पिता मनोहर कहता हैं। हां, यह भी एक दिन इंग्लिश में बात करेगा और देखना इसका सपना मोटर गाड़ी का एक दिन जरूर पूरा होगा। कुछ दिनों बाद का दृश्य दिखाया जाता है। जब नवनीत के पिता और नवनीत दिल्ली जा रहे होते हैं। और वहां पर navniet ke pita उसका एडमिशन ek हिंदी मीडियम स्कूल में करवाते हैं। school जाकर नवनीत 6th क्लास में होता है। वहां मैडम उससे पूछती है कि क्या तुम्हें एबीसीडी आती है, navniet kehta hai जी मुझे क ख ग तो अच्छे से आता है लेकिन ए बी सी to master g ne hume sikhaya he nhi तब मैडम navniet se कहती है कि पहले तुम्हे एबीसीडी सीखना होगा। फिर 6thक्लास में आकर नवनीत एबीसीडी sikhta है। उसके बाद जब वह 11 क्लास में होता है तो वह नॉन मेडिकल लेता है और जब उसकी 12वीं हो जाती है
उसके बाद navniet दिल्ली के हंसराज कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए जाता है। वहां पर jakar navniet क्लर्क से एडमिशन फॉर्म मांगता है तो क्लर्क उसकी शक्ल देखकर पहले तो बड़ा हैरान हो जाता है कि इतने बड़े कॉलेज में यह लड़का क्या ही कर लेगा। वह उस लड़के को पूछता है कि बेटा तुम इस college mai फॉर्म लेने क्यों आए हो तो navniet कहता है कि मुझे इस कॉलेज में पढ़ाई करनी है। तब वह क्लर्क अपनी सीट से उठकर बाहर आता है और नवमी के हाथ में कुछ पैसे रखता है और सामने खड़ी बस देख कर उसे कहता है। बेटा सामने वह बस दिख रही है। नवनीत कहता है हां, sir वह बस dikh रही hai mujhe है। वह क्लर्क navniet को कहता है कि यह लो कुछ पैसे और इन पैसों को लेकर तुम उस बस में बैठ कर अपने घर वापस चले जाओ इतने बड़े कॉलेज में तुम कैसे पढ़ोगे तुम इस कॉलेज में पढ़ने लायक नहीं हो yahan ki pdai bhoot mushkil hai यह बात सुनकर navniet की आंखों में पानी भर आता है और वह उदास होकर वापस चला जाता है और जैसे ही वह उदास होकर बस में बैठता है, उसकी आंखों में से हल्का हल्का पानी बह रहा होता है जिसे देखकर आसपास के लोग भी उससे पूछते हैं कि बेटा क्या तुम्हारा परस चोरी हो गया है तब नवीन कहता है कि नहीं, मेरा परस चोरी नहीं हुआ है। उस दिन नवनीत के दिल पर इतनी गहरी चोट लगती है कि नवनीत मन ही मन सोचता है कि अब तो कुछ बडा करके दिखाऊंगा।
नवनीत को हंसराज कॉलेज में एडमिशन तो नहीं मिलता लेकिन उसे आसपास की ही किसी छोटे से कॉलेज में इंजीनियरिंग में ही दाखिला मिल जाता है। वहां पर नवनीत अपनी पढ़ाई पूरी करता है। navniet के पास इतने पैसे नहीं होते कि वह किताबें खरीद सके, इसलिए वह किताबों को फोटोस्टेट करवा कर या कभी कबार वह किताबें अपने दोस्तों से या लाइब्रेरी से भी ले लिया करता था। ऐसा करके नवनीत अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करता है। अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करते-करते नवनीत आईपीएस की पढ़ाई भी करना शुरू कर देता है और कुछ टाइम बाद नवनीत का आईपीएस का एग्जाम भी पूरा हो जाता है और वह एक आईपीएस ऑफिसर बन जाता है।
दोस्तों क्या लगता है आपको क्या होगा आगे की कहानी में जाने के लिए बने रहे हमारे साथ और हमें कमेंट करके जरूर बताइएगा। कैसी लगी आपको हमारी यह कहानी!

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