राजस्थान के फुलेरा में अभिजीत और गौरव नाम के 2 दोस्त रहते थे । दोनों दोस्त साथ school जाते साथ साथ खाते और साथ साथ पढ़ाई करते थे अभिजीत बड़ा होकर collector बनना चाहता था और गौरव देश की सेवा करने के लिए फौजी बनना चाहता था ।
अभिजीत सवर्ण जाती और अमीर घराने का लड़का था वहीं दूसरी और गौरव दलित समाज और गरीब घराने का लड़का था। लेकिन उन दोनों के बीच में दोस्ती बहुत गहरी थी । उन दोनों के बीच में कभी भी अमीरी गरीबी या फिर जात-पात नहीं आती।
समय बीतता रहा कुछ सालों बाद दोनों की बारवी पूरी हो गई । अभिजीत collector बनने के लिए शहर चला गया । गौरव के पास शहर जाकर पढ़ाई के पैसे ना थे इसलिए गौरव ने सोचा कि गांव में रहकर ही army की तैयारी करें । गौरव ने जी लगाकर army की tayari ki। काफी मेहनत के बाद आखिरकार गौरव भारतीय सेना में selection हो गया । गौरव ने बात अपने पिता को बताई तो उसके पिता खुशी से झूम उठे ।
Army join होने के बाद गौरव के घर की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार आया । गौरव के पिताजी ने अपना नया घर बनवा लिया और गौरव की शादी के लिए रिश्ता ढूंढने लगे । लेकिन यह बात मोहल्ले में रहने वाले कुछ लोगों को 10 गांव में दो समूह के लोग रहते थे । पहले स्वर्ण जाति के लोग और दूसरे दलित जाति वालों को बड़े घर के लोगों के नाम से पुकारते थे। सालों से बड़े घर के लोग दलितों को दबा कर रखते थे । वह बिल्कुल नहीं चाहते थे कि कोई दलित उनसे आगे निकले ।।
बड़े घर के लोगों ने बेवजह के कानून बना रखे थे। जैसे कोई भी दलित उनके कुवे से पानी नहीं भर सकता , या शादी के दौरान कोई भी दलित घोड़ी पर नहीं बैठ सकता । स्वर्ण जाति का समूह काफी ताकतवर था उनके परिवार में कोई थानेदार था तो कोई सरपंच इसलिए कोई भी उनसे नही उलझता था। ये सभी लोग गौरव के परिवार की तरफ से जलने लगे और इस चीज को देखते हुए उन्होंने एक बैठक बुलाई।
दूसरी तरफ गौरव का रिश्ता तय हो गया । गौरव शादी के लिए छुट्टी लेकर घर आया । धीरे धीरे शादी की सारी तैयारी हो गई।
आखिरकार गौरव की शादी का दिन आ गया । सब लोग बड़ी धूम-धाम से नाचते गाते हुए बारात लेकर निकले । जब बारात बड़े घर के मोहल्ले के सामने से गुजरी बड़े लोगों ने उन्हें रोक लिया। पर उनके विरोध दिखाने पर भी गौरव घोड़ी से नहीं उतरा। फिर क्या था यह बात बड़े घर के लोगों से को हजम नहीं हुई। और दोनो पक्षों में जबरदस्त हाथापाई हुई जिसमें गौरव को काफी चोट लगी । गौरव अपनी समस्या लेकर थानेदार के पास जाने का सोचा। गौरव पास के पुलिस स्टेशन पहुंचा।
पर वह भी उसे कोई मदद नहीं मिली। गौरव ने थानेदार की बात सुनकर वापस घर जाने का निर्णय किया। जैसे तैसे शादी कर ली । कुछ समय बाद गौरव वापस अपनी नौकरी पर चला गया । गौरव के जाने के बाद बड़े घर के लोगों ने गौरव की पत्नी और उसकी बहन को बहुत परेशान किया । गौरव के मोहल्ले में कुछ लोग ऐसे थे जो चाहते थे कि गौरव का परिवार परेशान होकर वहां से चला जाए ताकि दूसरे दलितों को पता चले कि जो लोग पढ़ते हैं उनका क्या हश्र होता है।
बड़े घर के लोगों ने गौरव के पिता की जमीन पर कब्जा जमाना शुरू कर दिया । आते जाते उसकी छोटी बहन को छेड़ने लगी। 6 महीने बाद गौरव दुबारा घर आया और उसके पिता ने उसे सारी बात बताई।इस बार गौरव ने सोचा कि वह वहां के collector साहब के घर जाकर उन सब लोगों की शिकायत करेगा। गौरव बड़ी मुश्किल से collector office पहुंचा। उस समय हरी राम सिंह वहां के collector थे जिनका कुछ दिनों में transfer होने वाला था। गौरव collector से मिला और उसने उन्हें सब बताया। पर वहा भी उसे मदद नहीं मिली । वहा से आते समय गौरव सोचने लगा जिस देश की हम दिन रात सेवा करते हैं वह देश के फौजी के साथ न्याय भी नहीं कर सकता।
गौरव की छुट्टियों का समय खत्म होती जा रही थी। वहीं दूसरी तरफ चौधरी और उसके आदमी गौरव को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे। 1 दिन गौरव और मणिराम सेठ के बीच हाथापाई हो गई । उसी समय वहां के नए collector नए जिले का दौरा करने निकले थे। जब उन्होंने यह सब देखा तो वह अपनी गाड़ी से बाहर आए। Collector कोई और नहीं गौरव का दोस्त अभिजीत वर्मा था।
अभिजीत ने गौरव की पूरी बात सुनी और तुरंत पुलिस वालों के खिलाफ action लेने का वादा किया। इसके बाद अभिजीत ने सभी स्वर्ण जाति के लोगों को खूब फटकार लगाई और गौरव पिता की जमीन भी उन्हें वापस करवाई।।
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Apoorva