लोग कहते हैं कि बेटी हो या बहू वो घर को बना भी सकती है और बरबाद भी कर सकती है, इसी कहानी पर मेकर्स को फिल्म बनानी ही चाहिए क्योंकि इस कहानी से जितना अच्छा रिस्पॉन्स और प्यार मिलेगा तो कहीं ना कहीं ये अपने के पार्ट वन की रिकॉर्ड भी तोड़ सकती है। दीनदयाल अपने आंगन में बैठे थे तबी उनके दोस्तों में से किसी एक दोस्त ने बोला कि दिनदयाल तुम अपने बेटे सूरज की शादी कब कर रहे हो जिसपर दीनदयाल ने कहा कि वो अभी फिल्हाल सोच रहे है और उनको इंतजार है एक ऐसी लड़की की जो उनके घर बहू नहीं बेटी बन कर आए और अपने हाथों से इस कुटिया जैसी घर को महल बना दे। सूरज ने बी.ए. तक पढ़ा कर रखी थी और वो दिल्ली में एक मामुली क्लर्क की पोस्ट पर काम करता था। सूरज एक अच्छा और संस्कारी लड़का था वो कभी अपने परिवार के खिलाफ नहीं जाता था और एक आज्ञाकारी बेटा होने का पूरा फ़र्ज़ निभाता था। दीनदयाल के दो बेटे थे बड़ा बेटा सूरज और दूसरा बेटा पंकज। पंकज अपने बड़े भाई से बिलकुल अलग था और वो अक्सर खुद में ही मगन रहता था और उसमें बॉडी बिल्डिंग का भी बहुत शौक था इसलिए जीतना खाना वो खाता था शायद ही उसके घर में कोई खाता होगा, ये स्टोरी लाइन मूवी के लिए नई हो सकती है ताकी दर्शकों के मन में एक जिज्ञासा जागे और वो बहुत रुचि के साथ एन्जॉय करें। सूरज अब अपने छुटियों में घर आने वाला था, और कहीं नहीं कहीं ये एक अच्छा मौका था दीनदयाल जी के लिए सूरज से शादी के बारे में बात करने का। सूरज आते ही अपने घर के कमो में बिजी हो गया था, सूरज ऐसा था कि वो घर में सब से घूल मिलकर रहा करता था यहां तक की पड़ोसियों को भी अपना ही मानता था। एक दिन पडोसी के काम से वो दिल्ली के बड़े नेता के यहां गया था, जब उसका वह काम खत्म हो गया और वो वापस आ गया तो उस नेता ने सूरज के बारे में पता लगाने के लिए अपने आदमियों से कहा क्यूकीं उस नेता को सूरज पसंद आ गया था अपनी बेटी रूबी के लिए, ये सीन थोड़ा हट कर हो सकता है फिल्म का एक स्ट्रांग पॉइंट दिखाने के लिए।
अब किया था अब बातें आगे बढ़ी और पंकज की शादी बहुत धूम धाम से हुई, जब रूबी अपने ससुराल आई तो वो वहां के रूप में खुद को ढालने में व्यस्त हो गई क्योंकि रूबी जिस घर से आई वो घर, घर नहीं महल था और सूरज का घर एक घोपड़ी से कम नहीं था। फिर भी रूबी ने अपना कर्तव्य निभाते हुए अपने सुसुरल को अपना घर मानि और उसके रंग में रंगना शुरू कर दिया था। सूरज काम से हफ्ते में सिर्फ दो दिन के लिए घर आया करता था और जबसे उसकी शादी हुई थी वो उस वक्त भी नहीं बदला था, लेकिन उसी तरह सूरज भी अपने जमींदारियों के वजह से घर से बाहर दिल्ली में रहा करता था, जिस तरह सन्नी देओल अपने घर वालों से दूर थे। अब आता है फिल्म का वो टर्निंग प्वाइंट जब मेकर्स, दर्शकों को आसानी से उत्साहित कर सकते है। एक दिन रूबी कड़पे धो रही थी जिसके बाद उसे उस कपड़े को प्रेस भी करना था और टाइम पर बाकी सारे घर के काम भी खत्म करने थे। रूबी ने कपड़े धो लिए और अब बारी थी उससे प्रेस करनी की जब रूबी ने पंकज के कपड़े प्रेस करना शुरू किया तो उसे याद आया कि गैस पर सब्जी चढा रखी है जिससे बंद करने के लिए वो भागी और जब वो वापस आकर देखी तो उसे देखने के लिए मिला कि पंकज का वो शर्ट जल चुका था जिसके बाद रूबी को समझ नहीं आया कि क्या किया जाए। शाम हुई पंकज घर आया और उसमें रूबी से वो शर्ट मांगी पहनने के लिए जिस्पर रूबी ने उससे सचाई बता दी जिसे पंकज का गुस्सा फूट गया और उसने रूबी को खड़ी खोटी सुना दी। उस वक्त तो रूबी ने कुछ भी नहीं बोला और अब वो सूरज के इंतजार में खुद को घर में बंद कर ली थी। आखिरी कार सूरज आया उसे सारी बातें रूबि ने बता दी जिससे सूरज ने पंकज को इस हद तक दांट दिया कि पंकज घर छोड़ कर जाने के लिए तैयार हो गया था। बाद में पंकज को अपनी गलतियों का ऐहसास हुआ और घर से जाने से पहले उसने अपने भैया और भाभी से माफ़ी मांगी और जब वो जाने लगा तभी उसकी भाभी ने उसे रोक लिया और उसे माफ़ कर दिया जिसे देखते हुए दिनदयाल जी ने कहा की उनकी ज़िंदगी कि नांव अब पार लग गई हैं ऐसी बहू पाकर। ये कहानी हो सकती है आने वाली फिल्म अपने 2 की, आपको ये कहानी कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताइएगा और तब तक आप अपना ध्यान रखिए और हमेशा मुस्कुराते रहिए ।
Chandan Pandit