फिल्म के अंदर सुल्तान एक blood bank खोलने के लिए पैसे इकट्ठा कर रहा होता है। जब वह अपनी अलमारी खोलता है, वहां पर उसने अलग-अलग डिब्बों में पैसे इकट्ठा किए होते हैं, लेकिन मेरी समझ में यह नहीं आया कि इतने सारे डिब्बों की जरूरत क्या थी। पैसे तो जनरली में भी जमा कर सकते हैं, डिब्बे में ही रखना जरूरी थोड़ी है। सुल्तान इतने सारे डिब्बे लेने की जगह, सुल्तान उन पैसों को भी बचा लेता, तो और पैसे बच जाते डोनेशन के लिए और बार-बार डोनेशन कलेक्ट करने के लिए बॉक्स की जरूरत है ही, तो एक बॉक्स में डोनेशन कलेक्ट करो, और घर आकर पैसे निकाल लो, और उसी बॉक्स में दोबारा पैसे कलेक्ट कर लो। मतलब हर बार बॉक्स बदलने की जरूरत थोड़ी है। मजा तो तब आता है जब इसके अगले सीन में प्रो रेसलिंग के चेयरमैन सुल्तान से पूछता है कि कितने पैसे इकट्ठा हुए हैं। ऐसे जमा करते करते, सुल्तान जवाब देता है 235,000, यानी कि सुल्तान को पता है कि कितने पैसे जमा हुए हैं। क्योंकि मुझे अब तक लग रहा था कि सुल्तान पैसे वाले बॉक्स को घर लाकर सिर्फ रख देता है, लेकिन सुल्तान एक-एक पैसा गिनता है। तभी उसने बताया, ना 235,000। मतलब सुल्तान बॉक्स को घर लाता है, उससे पैसे निकालता है, और गिनता है, और गिन कर वापस डिब्बे में ही रख देता है, क्योंकि? 1 मिनट बाकी डिब्बों से जैसे-तैसे गिन लिया, लेकिन गुल्लक से कैसे निकाला, मतलब सुल्तान ने गुल्लक तोड़कर पैसे निकालकर गिने और फिर नया गुल्लक खरीद कर उसमें डाल दिए। Bollywood be like हमारे यहां ऐसा ही होता है। Pro Wrestling League” भारत में चल रही है और ज्यादातर ऑडियंस इंडियन हैं। उसके बावजूद भी, जब ऑडियंस सुल्तान को हारते हुए देखते हैं, तो सामने वाले प्रतियोगी का हौसला बढ़ता है। और जब सुल्तान सामने वाले रेसलर को मारने लगता है, तो सभी उसका नाम लेने में जुट जाते हैं। मतलब, audience का सही है जो मारेगा उसे सपोर्ट करो। लेकिन इसके बावजूद, एक बात बोलनी होगी: फाइट मूवी के अंदर दिखाई गई प्रो रेसलिंग लीग में उसके मूव्स को काफी अच्छे डिटेल्स के साथ दिखाया गया है, जिससे फाइट दिखने में भी काफी मजा आया ऑडियंस को। और यही नहीं, ऑडियंस में एक “रोमियो लवर” का पोस्टर लेकर आता है, जो सुल्तान का निकनेम है। और यह निकनेम उसे तब मिला था जब उसने “जग घुमिया” सॉन्ग गाया था। इसके बाद, अगले सीन में जब प्रो रेसलिंग लीग का फाइनल मैच होता है, तो कॉमेंटेटर कहते हैं कि “यह मैच हम लोग माइक नीचे रख कर देखेंगे”। अब अगर कॉमेंटेटर माइक नीचे रखकर मैच देखेंगे, तो कमेंट्री क्या सुल्तान करेगा? मतलब, इन्हें जिस बात के पैसे मिल रहे हैं, वह भी अगर यह नहीं करेंगे, तो फिर कौन करेगा? और सबसे बड़ी गलती मुझे यह लगी है कि इस मूवी में, सुल्तान एक भी फाइट, एक भी मैच नहीं हारता। मतलब, आप खुद मुझसे बताओ, क्या आपने कोई ऐसा स्पोर्ट्समैन देखा है जो कभी भी एक मैच भी नहीं हारा? चाहे वह कितना भी अच्छा प्लेयर क्यों ना हो। दंगल मूवी को ही देख लो। दंगल मूवी के अंदर, गीता को इतनी अच्छी ट्रेनिंग मिलती है, फिर भी गीता कितने बार मैच हार जाती है। क्योंकि सामने वाला पहलवान भी तो तैयारी करके आया होता है। ऐसा तो थोड़ा ही होता है कि आप उठे मैट पर गए और सामने वाले पहलवान को पेल कर आ गए। एक sports drama film में जितना जरूरी होता है एथलीट की सफलता दिखाने के साथ-साथ उसके मैच हारने के बाद का दुख, संघर्ष और आलोचना भी दिखाना होता है। “एम एस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी” में दिखाया गया था, और “दंगल” मूवी में भी दिखाया गया। इसीलिए यह दोनों मूवी ना केवल ऑल टाइम ब्लॉकबस्टर बन गई हैं, बल्कि एवरग्रीन भी हो गई हैं, और “सुल्तान 2” के मेकर्स को इस बात पर ध्यान देना होगा कि सुल्तान की बेटी का मैच हारने के बाद स्ट्रगल दिखाएं, क्रिटिसिजम दिखाएं, और उससे उबरकर मैच जीतते हुए दिखाएं, तभी एक स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म का original aim पूरा होगा।
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