आज हम बात करने वाले है indian police officers की bravery के कुछ ऐसे किस्से जिन्हें सुनकर आपको हमारी पुलिस पर proud होगा। जहां कुछ police officers की रिश्वतखौरी, बेइमानी और corrupted system है, वही कुछ officers ऐसे भी है जिन्होंने अपनी जान पर खेल कर लोगों को बचाया है।
हैदराबाद के नामपल्ली मे 21 साल की हुमेरा बेगम जो अपने 4 महीने के बच्चे को साथ में लेकर फुटपाथ पर सोई हुई थी। लेकिन सुबह जब उठी तो वो ये देखकर घबरा जाती है कि उसका चार महीने का बच्चा फैजान उसकी साएड में मौजूद ही नही है। हुमेरा ने पहले तो आस पास की जगह पर भागा-दौडी की, लोगों से पुछताछ करी, लेकिन उसे फैजान का कुछ पता नही चला। हार कर हुमेरा शिकायत दर्ज कराने के लिए नामपल्ली पुलिस स्टेशन पहुंची। पुलिस ने सूझ-बूझ का इस्तेमाल करते हुए, उनकी लोकेशन के पास लगे सीसीटीवी फुटेज को देखने ऐर फैजान को जल्द से जल्द ढुंढने का फैसला किया।
CCTV footage में फैजान का अपहरण करने वाले दोनों kidnappers कैद हो गए।
पुलिस जांच में पता चला है कि, हबीबनगर निवासी ऑटो driver और उसके दोस्त ने बुधवार की सुबह 2 बजे, फैजान खान का अपहरण किया, जब वह अपनी मां के बगल में शांति से सो रहा था। दोनों kidnappers ने बच्चे को रहमतनगर के MD Ghosh को बेचने का plan बनाया, जो कि एक बच्चा गोद लेना चाहता थे। लेकिन जब वो kidnapped बच्चे को लेकर ghosh के घर पहुंचे। तो ghosh ने कि उसके साथ कोई माता-पिता नहीं था, बच्चे को अंदर ले जाने से मना कर दिया।
पुलिस ने local लोगों की मदद से सीसीटीवी फुटेज से kidnappers की पहचान करी और अघापुरा के पास दरगाह शाह खामूश में एक के घर का पता लगाया। पुलिस ने kidnappers को पकड़ने और चार महीने के बच्चे को उसकी मां को वापस करने में केवल 16 घंटे लगाए। पुलिस ने शाम 6 बजे फैजान को उसकी माँ हुमेरा तक पहुंचाया और kidnappers को गिरफ्तार कर लिया।
हम नामपल्ली पुलिस को उनके quick action और investigation के लिए सलाम करते हैं।
Police की बहादुरी हमें एक बार और देखने को मिली। जब पुलिस, school में लगे bomb को लेकर भाग गया। ताकी 400 students और बच्चों की जान बचा सके।
एक दिन चितौरा गांव के पुलिस थाने में एक गुमनाम फोन कॉल आती है, जिसमें स्कूल में bomb होने की बात कही गई। Information मिलते ही पुलिस जल्दी से school पहुंची और काफी search करने के बाद उन्हे bomb मिला तो उन्होंने school को जल्दी close करने को कहा
और तब पुलिस officer आशीष ने सूझबूझ से campus में 400 लोगों की जान बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डालने का फैसला किया। उसने हिम्मत करके बम उठाया और करीब एक किलोमीटर दूर तक दौड़ता रहा। क्योंकी अगर बम फटता तो 500 मीटर के इलाके में नुकसान होता और उसे डर था कि, कहीं बम फट न जाए इसलिए वो इसे आबादी वाले इलाके से दूर ले गया और ये पहली बार नहीं था, जब अभिषेक ने इस तरह का साहस दिखाया है। उन्होंने एक बार पहले भी ऐसे ही बम को एक दूर इलाके में ले जाकर सैकड़ों लोगों की जान बचाई थी। और bomb को हाथ में लेकर भागना तो कोई हिम्मत वाला ही कर सकता है। इतना ही नही उत्तर प्रदेश के सिपाही भूपेंद्र तोमर ने तो अपनी family से उपर अपनी duty को चुन कर, सबको चौंका दिया है। उस दिन सुबह करीब 9 बजे उनकी टीम अपने उत्तर प्रदेश 100 quick response vehicle से पेट्रोलिंग ड्यूटी पर सहारनपुर से बड़ागांव पहुंची। तभी emergency Number बजा और पता लगा कि, एक मरा हुआ आदमी सड़क पर पड़ा था। फोन करने वाले ने कहा कि उसे कई बार चाकू मारा गया था। हेड कांस्टेबल भूपेंद्र और उनकी टीम location की ओर जा रहे थे कि तभी फिर फोन की घंटी बजी। इस बार ये call personal phone पर आया।
घर से आए इस कॉल ने constable bhupender को वहीं पर बांध दिया और उसकी दुनिया ताश के पत्तों की तरह बिखर गई क्योंकी उनकी बेटी की अचानक मौत हो गई थी। सदमे में, उन्होंने खुद को संभाला क्योंकि वह ड्यूटी पर था। उन्होंने अपने पिता की भावनाओं को पीछे छोडा और अपनी duty जारी रखने का फैसला किया। उसके साथियों ने बार-बार उसे घर जाने के लिए कहा। लेकिन वो एक मरते हुए आदमी की मदद करने के लिए आधे रास्ते में थे और अब वो बिना उसे बचाए वापस नही लौट सकते।
उन्होंने अपने आंसू रोके और उस घायल व्यक्ति के पास पहुंचे, उसे एक अस्पताल में भर्ती कराया और उसके बाद ही घर के लिए निकले। भूपेंद्र की बदौलत एक जान बच गई। उन्होंने भूपेंद्र को उनकी जान बचाने के लिए धन्यवाद दिया।