RRRR

Thumbnail title- Patel जी के आंदोलन आए काम ?

 

RRRR- Jyoti Arora 

 

वल्लभभाई झावेरभाई ,जो आगे चलकर आज़ाद भारत के एक ऐसे स्वतंत्र सैनिक के रूप में उभरे और जिनको भारत और विश्व में sardar patel के नाम से भी जाना जाता है , और जिन्होंने भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया था ,उसी patel का नडियाद, गुजरात “जो की अपने खाने के लिए और अपनी विरासत के लिए इतना famous है और अपने इसी आकर्षणों की वजह से gujarat को ‘The Land Of Legends” भी कहा जाता है और वही एक लेवा पटेल जाति में  patel का जन्म  में हुआ था।वो jhaverbhai patel एवं ladba devi की चौथी संतान थे। patel ने अपनी early schooling उनकी शिक्षा स्वाध्याय से की थी और बाद में london जाकर उन्होंने barrister की पढाई करके की सोची क्योंकि वो वापिस आकर अहमदाबाद में वकालत करना चाहते थे क्योंकि महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर वो भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में भाग  लेना चाहते थे और ठीक वैसा ही किया। स्वतंत्रता आन्दोलन में सरदार पटेल का सबसे पहला और बड़ा योगदान 1918  में kheda संघर्ष में हुआ था ,जब भारत में mumbai में flu महामारी ने सबको अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया था,तभी गुजरात का खेडा division भी उन दिनों भयंकर सूखे की चपेट में था। बेचारे किसानों ने अंग्रेज सरकार से भारी कर में छूट की मांग की थी और  जब ये बिनती accept नहीं की गई थी तो sardar patel , gandhi ji एवं अन्य लोगों ने किसानों का नेतृत्व किया और उन्हे कर न देने के लिये daily basis motivate करने में लग गये पर last में सरकार झुकी और उस साल करों में राहत दी गयी। यह सरदार पटेल की पहली सफलता थी।  उसी महान स्वतंत्रता सेनानी की चाल वही पर रुकी नहीं बल्कि वो और आगे बढ़ते चले गये और उनकी दूसरी सफलता ,bardoli satyagraha , भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौरान वर्ष 1928 में गुजरात में हुआ एक famous किसान आंदोलन था, जिसका नेतृत्व वल्लभभाई पटेल ने ही किया था और उस time पर सरकार ने किसानों का लगान 30 percent बढ़ा दिया था। पटेल ने इस लगान वृद्धि का जमकर विरोध किया था क्योंकि सारी रणनीति उनके आंदोलन के ख़िलाफ़ जा रही थी और  सरकार ने इस सत्याग्रह आंदोलन को कुचलने के लिए कठोर कदम उठाए, पर last में मजबूर होकर उसे किसानों की मांगों को मानना पड़ा और इसी satyagrah  आंदोलन के सफल होने के बाद वहां की औरतों से vallabhbhai patel को ‘sardar” की उपाधि प्रदान  दी गई थी।

 

   स्वतंत्रता आंदोलन के time पर ,जब sardar patel भारत का नेतृत्व कर रहे थे,उस time पर भारत में केवल 562 देसी रियासतें थी । patel ने आजादी के ठीक पहले ही V.P menon साथ मिलकर कई देसी राज्यों को भारत में मिलाने का काम करना शुरू कर दिया क्योंकि उनके हिसाब से जब तक भारत का area बहुत बड़ा नहीं हो जाता और जब तक सभी देसी राज्य भारत में नही मिला जाते तब तक आज़ादी दिलाना possible भी हो पाएगा और इसलिए patel और menon ने देसी राजाओं को बहुत समझाया कि उन्हे ऐसे में स्वतंत्रता देना आसान नहीं होगा। इसके परिणामस्वरूप तीन को छोडकर बाक़ी सभी राजवाडों ने अपनी मर्ज़ी से भारत में ख़ुद का विलय करने का offer accept कर लिया । इसके बाद सिर्फ़ केवल jammu-kashmir , junagarh तथा hyderabad states के राजाओं ने ऐसा करने से मना कर दिया ।jungarh पास एक छोटी रियासत थी और चारों ओर से भारतीय भूमि से घिरी थी और ये ज़मीन पाकिस्तान के आसपास नहीं थी लेकिन इसके बावजूद भी वहाँ के नवाब ने 15 अगस्त 1947 को पाकिस्तान में विलय की घोषणा कर दी हालाँकि उस  राज्य की सबसे अधिक जनता हिंदू थी और भारत चाहता rha कि उस state का विलय उसके साथ हो  और नवाब के विरुद्ध बहुत विरोध हुआ तो भारतीय सेना जूनागढ़ में प्रवेश कर गयी। नवाब भागकर पाकिस्तान चला गया और 9 नवम्बर 1947 को जूनागढ भी भारत में मिल गया। फरवरी 1948 ,जब भारत में विलय प्रभावी हो चुका था उस समय में वहाँ जनमत संग्रह कराया गया, जो भारत में विलय के favour में रहा। हैदराबाद भारत की सबसे बड़ी रियासत थी, जो चारों ओर से भारतीय भूमि से घिरी थी और  वहाँ के निजाम ने पाकिस्तान के साथ से स्वतंत्र राज्य का दावा किया और अपनी सेना बढ़ाने लगा। वह ढेर सारे हथियार आयात करता रहा और ऐसे में patel का चिंतित होना वाजिब था और atlast भारतीय सेना 13 सितंबर 1948 को हैदराबाद में प्रवेश कर गयी। तीन दिनों के युद्ध के साथ बाद निजाम ने surrender कर दिया और नवंबर 1948 में भारत में विलय का offer accept कर लिया। नेहरू ने काश्मीर को यह कहकर अपने पास रख लिया कि यह समस्या एक international problem है। कश्मीर समस्या को संयुक्त राष्ट्रसंघ में ले गये और अलगाववादी ताकतों के कारण कश्मीर की समस्या दिनोदिन बढ़ती गयी लेकिन  5 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री मोदीजी और गृहमंत्री अमित शाह जी के प्रयास से कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाला अनुच्छेद 370 और 35(अ) समाप्त हुआ। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बन गया और सरदार पटेल का भारत को अखण्ड बनाने का स्वप्न साकार हुआ। 31 अक्टूबर 2019 को जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख के रूप में दो केन्द्र शासित प्रेदश अस्तित्व में आये। 

 

स्वतंत्र भारत के first prime minister पं. नेहरू व प्रथम उप प्रधानमंत्री sardar patel में आकाश-पाताल का अंतर था। हालाँकि दोनों ने इंग्लैण्ड जाकर बैरिस्टरी की डिग्री हासिल की थी लेकिन patel वकालत में पं॰ nehru से बहुत आगे थे और उन्होंने सम्पूर्ण ब्रिटिश साम्राज्य के students में first rank हासिल किया था। पटेल ने भी ऊंची शिक्षा पाई थी परंतु उनमें किंचित भी अहंकार नहीं था। वे स्वयं कहा करते थे, “मैंने कला या विज्ञान के विशाल गगन में ऊंची उड़ानें नहीं भरीं। मेरा विकास कच्ची झोपड़ियों में गरीब किसान के खेतों की भूमि और शहरों के गंदे मकानों में हुआ है।” पं॰ नेहरू को गांव की गंदगी, तथा जीवन से चिढ़ थी। पं॰ नेहरू अन्तरराष्ट्रीय ख्याति के इच्छुक थे तथा समाजवादी प्रधानमंत्री बनना चाहते थे।

 

देश की स्वतंत्रता के बाद sardar Patel उप प्रधानमंत्री के साथ प्रथम गृह, सूचना तथा रियासत विभाग के मंत्री भी थे। सरदार पटेल की महानतम देन थी 562 छोटी-बड़ी रियासतों का भारतीय संघ में विलीनीकरण करके भारतीय एकता का निर्माण करना। विश्व के इतिहास में एक भी व्यक्ति ऐसा न हुआ जिसने इतनी बड़ी संख्या में राज्यों का एकीकरण करने का साहस किया हो। 5 जुलाई 1947 को एक रियासत विभाग की स्थापना की गई थी। एक बार उन्होंने सुना कि बस्तर की रियासत में कच्चे सोने का बड़ा भारी क्षेत्र है और इस ज़मीन को हैदराबाद की निजाम सरकार खरीदना चाहती है। उसी दिन वे परेशान हो उठे। उन्होंने अपना एक थैला उठाया, menon को साथ लिया और चल पड़े। वे उड़ीसा पहुंचे, वहां के 23 राजाओं से कहा, “कुएं के मेढक मत बनो, महासागर में आ जाओ।” उड़ीसा के लोगों की सदियों पुरानी इच्छा कुछ ही घंटों में पूरी हो गई। फिर नागपुर पहुंचे, यहां के 38 राजाओं से मिले। इन्हें “salute state” कहा जाता था, यानी जब कोई इनसे मिलने जाता तो तोप छोड़कर सलामी दी जाती थी। patel ने इन राज्यों की बादशाहत को आखिरी सलामी दी। इसी तरह वे काठियावाड़ पहुंचे। वहां 250 रियासतें थी। कुछ तो केवल 20-20 गांव की रियासतें थीं। सबका एकीकरण किया। एक शाम मुम्बई पहुंचे। आसपास के राजाओं से बातचीत की और उनकी राजसत्ता अपने थैले में डालकर चल दिए। पटेल पंजाब गये। पटियाला का खजाना देखा तो खाली था। फरीदकोट के राजा ने कुछ आनाकानी की। सरदार पटेल ने फरीदकोट के नक्शे पर अपनी लाल पैंसिल घुमाते हुए केवल इतना पूछा कि “क्या मर्जी है?” राजा कांप उठा। आखिर 15 अगस्त 1947 तक केवल तीन रियासतें-कश्मीर, जूनागढ़ और हैदराबाद छोड़कर उस लौह पुरुष ने सभी रियासतों को भारत में मिला दिया। इन तीन रियासतों में भी जूनागढ़ को 9 नवम्बर 1947 को मिला लिया गया तथा जूनागढ़ का नवाब पाकिस्तान भाग गया। 13 नवम्बर को सरदार पटेल ने सोमनाथ के भग्न मंदिर के पुनर्निर्माण का संकल्प लिया, जो पंडित नेहरू के तीव्र विरोध के पश्चात भी बना। 1948 में हैदराबाद भी केवल 4 दिन की पुलिस कार्रवाई द्वारा मिला लिया गया। न कोई बम चला, न कोई क्रांति हुई, जैसा कि डराया जा रहा था।

 

गृहमंत्री के रूप में वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने भारतीय नागरिक सेवाओं (आई.सी.एस.) का भारतीयकरण कर इन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवाएं (आई.ए.एस.) बनाया। अंग्रेजों की सेवा करने वालों में विश्वास भरकर उन्हें राजभक्ति से देशभक्ति की ओर मोड़ा। यदि सरदार पटेल कुछ वर्ष जीवित रहते तो संभवत: नौकरशाही का पूर्ण कायाकल्प हो जाता।

सरदार पटेल जहां पाकिस्तान की छद्म व चालाकी पूर्ण चालों से सतर्क थे वहीं देश के विघटनकारी तत्वों से भी सावधान करते थे। विशेषकर वे भारत में मुस्लिम लीग तथा कम्युनिस्टों की विभेदकारी तथा रूस के प्रति उनकी भक्ति से सजग थे। अनेक विद्वानों का कथन है कि सरदार पटेल बिस्मार्क की तरह थे। लेकिन लंदन के टाइम्स ने लिखा था “बिस्मार्क की सफलताएं पटेल के सामने महत्वहीन रह जाती हैं। यदि पटेल के कहने पर चलते तो कश्मीर, चीन, तिब्बत व नेपाल के हालात आज जैसे न होते। पटेल सही मायनों में मनु के शासन की कल्पना थे। उनमें कौटिल्य की कूटनीतिज्ञता तथा महाराज शिवाजी की दूरदर्शिता थी। वे केवल सरदार ही नहीं बल्कि भारतीयों के दिलो के सरदार थे।

 

RRRR – JYOTI ARORA 

 

This is a story of a freedom fighter of our nation and these people who fought for our freedom,independence are so valuable in our life because we can learn so many things from them . This kind of story and these kinds of people you can see in RRRR so keep watching and stay tuned.

 

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