Nahi मानी हार ?

इंसान के साथ हो रहे अन्याय को न्याय व्यवस्था द्वारा न्याय देने की परंपरा हमेशा से चली आई है। लेकिन कुछ लोग होते हैं जो अपने साथ हुए अन्याय के बाद न्याय व्यवस्था पर भरोसा नहीं कर पाते। जो लोग कानून को हाथ में ले कर अपना बदला खुद लेते हैं, उनकी समाज में दो तरहा की छवि बन जाती है।दस्यु रानीफूलन देवी एक ऐसा ही नाम है, जो सोचने पर मजबूर कर देती है कि उसके बारे में कैसी राय बनाना उचित रहेगा। कुछ के लिए फूलन देवी सच में देवी थीं, तो कुछ के लिए आज भी वह एक कुख्यात डकैत और कई लोगों की हत्यारन हैं।

10 अगस्त 1963 का दिन यूपी के जालौन जिले के गांव गोरहा के मल्लाह देवी दीन के लिए नई मुसीबत लेकर आया था। मुसीबत इसलिए थी क्योंकि उसके घर बेटी ने जन्म लिया था। अगर बेटा हुआ होता तो जश्न का माहौल होता। अब बेटी ने जन्म लिया था तो चिंता से मल्लाह का सिर फटा जा रहा था। चिंता उसको पालने की, चिंता उसको बड़ा करने की और चिंता उसकी शादी की। देवी दीन ने अपनी बेटी का नाम रखा फूलन।

शुरुआत में पिता देवी दीन को भी इस बात का अंदाजा नहीं रहा होगा कि जिस बेटी का जन्म उसके लिए खास नहीं था, उसकी मृत्यु का दिन इतना खास हो जाएगा कि पूरे देश में हडकंप मच जाएगा। अपने मांबाप के छः बच्चों में फूलन दूसरे नंबर पर थी। वह दब्बू और शांत नहीं थी, वह एकदम अलग थी। इतनी अलग कि सहीगलत की लड़ाई के लिए वह किसी से भी भिड़ जाती थी।

फूलन के पिता देवी दीन कड़ी मेहनत के बाद घर का खर्च चला पाते थे। सम्पत्ति के नाम पर उनके पास केवल एक एकड़ ज़मीन थी। उनके पिता की मृत्यु के बाद उनका बड़ा भाई घर का मुखिया बना तथा अपने बेटे माया दीन के साथ मिलकर उसने देवी दीन के हिस्से की ज़मीन भी हड़प ली। जब फूलन को इस बात का पता लगा कि उसके चाचा ने उसकी ज़मीन पर कब्ज़ा कर लिया है, तो वह उनसे भिड़ गई। कहते हैं कि ज़मीन के लिए चाचा से बात इतनी ज्यादा बिगड़ गई थी कि हाथापाई तक पहुंच गई। मामला यहीं नहीं सुलझा अपने हक़ के लिए फूलन अपने खेत के बीचोंबीच धरने पर जा बैठी। इस पर उन्हें अपनों का गुस्सा भी झेलना पड़ा, लेकिन वह नहीं मानी।

फूलन के उग्र स्वभाव से उनके पिता को अधिक चिंता होने लगी। पिता की इसी चिंता ने फूलन की  जिंदगी को एकदम से मोड़ दिया। महज 11 साल की उम्र में उनके पिता ने उनका विवाह एक अधेड़ व्यक्ति के साथ तय कर दिया। शुरुआत में फूलन ने इसका विरोध किया फिर अपनी नियति मानकर इसे स्वीकार कर लिया। फूलन के पिता ने उसके अच्छे भविष्य को लेकर यह कठोर फैसला लिया था, किन्तु, सही मायने में उन्होंने फूलन को जलती हुई आग में तपने के लिए छोड़ दिया था।

फूलन के ससुराल वाले ठीक नहीं थे। उसके पति का भी उसके प्रति ठीक व्यवहार नहीं था। जल्द ही ये सब फूलन की बर्दाश्त से बाहर हो गया और वह भागकर अपने घर लौट आई। उसे उम्मीद थी कि उसके अपने लोग उसकी मदद करेंगे, लेकिन हुआ उल्टा। फूलन मासूम थी लेकिन उसके दुश्मन बहुत ही शातिर थे। उसके चचेरे भाई ने इस मौके का फायदा उठाकर एक झूठे आरोप में उसे जेल भिजवा दिया। वहां भी उसे शारीरिक शोषण झेलना पड़ा। जैसेतैसे वह जेल से निकलने में सफल रही। किसी तरह उसका जीवन स्थिर हो जाए, इसके लिए पिता ने कोशिश करके उसे दोबारा से उसके पति के घर भेज दिया, किन्तु उनका व्यवहार फूलन के प्रति नहीं बदला और उसे मजबूरन दोबारा ससुराल छोड़ना पड़ा। परिस्थितियों से तंग आकर फूलन एक ऐसे रास्ते पर निकल पड़ी, जहां से वापसी संभव नहीं थी।

Phoolan Devi की कहानी: जिसने पहले दर्द सहा, फिर हथियार उठाया और बिछा दीं लाशें

By धीरज झा

Phoolan Devi की कहानी जिसने पहले दर्द सहा फिर हथियार उठाया और बिछा दीं लाशें

इंसान के साथ हो रहे अन्याय को न्याय व्यवस्था द्वारा न्याय देने की परंपरा हमेशा से चली आई है। लेकिन कुछ लोग होते हैं जो अपने साथ हुए अन्याय के बाद न्याय व्यवस्था पर भरोसा नहीं कर पाते। जो लोग कानून को हाथ में ले कर अपना बदला खुद लेते हैं, उनकी समाज में दो तरहा की छवि बन जाती है।दस्यु रानीफूलन देवी एक ऐसा ही नाम है, जो सोचने पर मजबूर कर देती है कि उसके बारे में कैसी राय बनाना उचित रहेगा। कुछ के लिए फूलन देवी सच में देवी थीं, तो कुछ के लिए आज भी वह एक कुख्यात डकैत और कई लोगों की हत्यारन हैं। कोई आम राय बनाने से आइए पहले उनके जीवन के पहलुओं को टटोलने की कोशिश करें।

बचपन से ही बागी थे फूलन देवी के तेवर

11 साल की उम्र में हो गई थी फूलन देवी की शादी

फूलन देवी कैसे बनी डकैत (Bandit Queen Phoolan Devi)

हथियार उठा लेने भर से फूलन की परिस्थियां नहीं बदली थीं

बदले की आग ने खत्म कर दी कई लोगों की ज़िंदगी

शर्तें रखी और कर दिया आत्म समर्पण

इस तरह खुला राजनीति का रास्ता

बचपन से ही बागी थे फूलन देवी के तेवर

10 अगस्त 1963 का दिन यूपी के जालौन जिले के गांव गोरहा के मल्लाह देवी दीन के लिए नई मुसीबत लेकर आया था। मुसीबत इसलिए थी क्योंकि उसके घर बेटी ने जन्म लिया था। अगर बेटा हुआ होता तो जश्न का माहौल होता। अब बेटी ने जन्म लिया था तो चिंता से मल्लाह का सिर फटा जा रहा था। चिंता उसको पालने की, चिंता उसको बड़ा करने की और चिंता उसकी शादी की। देवी दीन ने अपनी बेटी का नाम रखा फूलन।

शुरुआत में पिता देवी दीन को भी इस बात का अंदाजा नहीं रहा होगा कि जिस बेटी का जन्म उसके लिए खास नहीं था, उसकी मृत्यु का दिन इतना खास हो जाएगा कि पूरे देश में हडकंप मच जाएगा। अपने मांबाप के छः बच्चों में फूलन दूसरे नंबर पर थी। वह दब्बू और शांत नहीं थी, वह एकदम अलग थी। इतनी अलग कि सहीगलत की लड़ाई के लिए वह किसी से भी भिड़ जाती थी।

फूलनकेपितादेवीदीनकड़ीमेहनतकेबादघरकाखर्चचलापातेथे।सम्पत्तिकेनामपरउनकेपासकेवलएकएकड़ज़मीनथी।उनकेपिताकीमृत्युकेबादउनकाबड़ाभाईघरकामुखियाबनातथाअपनेबेटेमायादीनकेसाथमिलकरउसनेदेवीदीनकेहिस्सेकीज़मीनभीहड़पली।

जब फूलन को इस बात का पता लगा कि उसके चाचा ने उसकी ज़मीन पर कब्ज़ा कर लिया है, तो वह उनसे भिड़ गई। कहते हैं कि ज़मीन के लिए चाचा से बात इतनी ज्यादा बिगड़ गई थी कि हाथापाई तक पहुंच गई। मामला यहीं नहीं सुलझा अपने हक़ के लिए फूलन अपने खेत के बीचोंबीच धरने पर जा बैठी। इस पर उन्हें अपनों का गुस्सा भी झेलना पड़ा, लेकिन वह नहीं मानी।

11 साल की उम्र में हो गई थी फूलन देवी की शादी

फूलन के उग्र स्वभाव से उनके पिता को अधिक चिंता होने लगी। पिता की इसी चिंता ने फूलन की  जिंदगी को एकदम से मोड़ दिया। महज 11 साल की उम्र में उनके पिता ने उनका विवाह एक अधेड़ व्यक्ति के साथ तय कर दिया। शुरुआत में फूलन ने इसका विरोध किया फिर अपनी नियति मानकर इसे स्वीकार कर लिया। फूलन के पिता ने उसके अच्छे भविष्य को लेकर यह कठोर फैसला लिया था, किन्तु, सही मायने में उन्होंने फूलन को जलती हुई आग में तपने के लिए छोड़ दिया था।

फूलन के ससुराल वाले ठीक नहीं थे। उसके पति का भी उसके प्रति ठीक व्यवहार नहीं था। जल्द ही ये सब फूलन की बर्दाश्त से बाहर हो गया और वह भागकर अपने घर लौट आई। उसे उम्मीद थी कि उसके अपने लोग उसकी मदद करेंगे, लेकिनहुआउल्टा।फूलनमासूमथीलेकिनउसकेदुश्मनबहुतहीशातिरथे।उसकेचचेरेभाईनेइसमौकेकाफायदाउठाकरएकझूठेआरोपमेंउसेजेलभिजवादिया।

वहां भी उसे शारीरिक शोषण झेलना पड़ा। जैसेतैसे वह जेल से निकलने में सफल रही। किसी तरह उसका जीवन स्थिर हो जाए, इसके लिए पिता ने कोशिश करके उसे दोबारा से उसके पति के घर भेज दिया, किन्तु उनका व्यवहार फूलन के प्रति नहीं बदला और उसे मजबूरन दोबारा ससुराल छोड़ना पड़ा। परिस्थितियों से तंग आकर फूलन एक ऐसे रास्ते पर निकल पड़ी, जहां से वापसी संभव नहीं थी।

20 साल की उम्र में फूलन को अगवा कर उसका बलात्कार किया गया। इससे पहले शादी के नाम पर भी वो कई साल से इसी पीड़ा को झेलती आ रही थी। पुलिस की मदद लेने का अंजाम वह पहले ही भुगत चुकी थी सो इस बार उसने हथियार उठाने का फैसला कर लिया। फूलन के जीवनी पर आधारित फ़िल्मबैंडिट क्वीनमें लिखा है कि वह 20 साल की उम्र में अपने एक रिश्तेदार की मदद से डाकुओं के गिरोह में शामिल हो गई।

हथियार उठाने के बाद सबसे पहले फूलन अपने पति के गांव पहुंची, जहां उसने उसे घर से निकाल कर लोगों की भीड़ के सामने चाकू मार दिया और सड़क किनारे अधमरे हाल में छोड़ कर चली गयी। जातेजाते फूलन ने ये ऐलान भी कर दिया कि आज के बाद कोई भी बूढ़ा किसी जवान लड़की से शादी नहीं करेगा।  हथियार उठा लेने भर से फूलन की परिस्थियां नहीं बदली थीं।

आपको बता दें इस बार RRRR की कहानी इन्ही फूलन देवी की कहानी से inspired हो सकती है।

By – Nikhil

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