Pathaan

Noor Inayat Khan, Mysore ruler Tipu Sultan के Royal पीढी से थी, जिसकी वजह से उन्हे Muslim Princess कहा जाता था। उनके पिता Indian muslim थे, जिनके दादा खुद Tipu sultan थे और उनकी माँ एक American थी।

और वही Muslim princess फिर नाज़ियो के खिलाफ लडने के लिए एक British Spy बनी।

Noor ने World War 2 के दौरान Britain के लिए एक Spy के रूप में काम किया था।

उन्होने Special Operations Executive (SEO) के France section में एक  Wireless operator के रूप में काम किया था। जो की अपने आप मे एक खतरनाक काम था। 

 

Assistant section officer के रूप में promote होने के बाद, नूर को Paris भेजा गया जहाँ उसे अपने Partner Emil Garry (एमिल गैरी) से मिलना था, जिसका nickname Cinema था। Emil यानी सिनेमा एक Sub- circuit का Leader था, जो Noor की Spy operations में मदद करेगा।

 

Noor को जब Intelligence officer Vera Atkins (वेरा एटकिन्स) से अपनी Family और विधवा माँ की assurance मिल गई कि अगर वो mission पर गायब हो गई तो vera उन्हे झुठे दिलासे में नही रखेगी। और जब ये Confirm हो जाए कि Noor मर चुकी है, तभी उसकी माँ तक ये बात जानी चाहिए।

इस Conversation के बाद Noor का confidence और Courage और बढ गया था।

 

Paris पहुचने पर Noor ने circuit के Organizer को Contact किया और नकली कागजात का इस्तेमाल करते हुए बच्चों की नर्स कि नई Identity को अपनाया।

Noor जल्द ही, Madeleine (मेडेलीन) एक बच्चो की नर्स बन गई थी।

उसकी कुछ कमियों के बावजूद, नूर की fluent फ्रेंच और वायरलेस ऑपरेशन में उसकी competency ने और उसके साथ experienced agents की कमी के साथ मिलकर, उसे नाजी के कब्जे वाले फ्रांस में काम करने के लिए एक desirable candidate बना दिया था।

 

24 जून 1943 से Prosper Network जिसके लिए  नूर को रेडियो ऑपरेटर के रूप में भेजा गया था, Germans को क्षसकी भनक लग गई और उन्होने Checking करनी शुरू कर दी। कई सारे operators जे की Secret Agents थे, Germans ने उ ेह पकडना शुरू कर दिया।

 नूर लंदन के रेडियो contact में बनी रहीं।  और जब James Buckmaster (जेम्स बकमास्टर), डो कि SEO के France section का Leader था, उसने Noor को कहा कि क्योकी situation खराब चल रही है तो उसे घर भेजने का इंतजाम किया जाएगा।

लेकिन Noor ने साफ साफ मना करते हुए कही कि वो  वो यही रहना पसंद करेगी।

उनके इस brave decision की वजह ये थी कि वो जानती थी कि उस वक्त पेरिस में Noor अकेली रेडियो ऑपरेटर बची थी।  

James, Noor जो कि एक shy और डरी सी लडकी हुआ करती थी, लेकिन उस crucial वक्त पर उसकी बहादुरी को देखकर उन्होने बहुत proud feel किया।

 

और वो भी इसके लिए सहमत हो गए, लेकिन फिर भी उन्होंने safety के लिए Noor को सिर्फ Signals recieve करने को कहा, और उन्हें Transmit करने से मना कर दिया था। 

 

Noor काफी वक्त तक नाज़ियो से छिपी रहने और अपने Nurse के Character play करने में कामयाब रही। लेकिन एक साथी की गलती ने उनकी पूरी जिंदगी और सारी मेहनत को दाव पर लगा दिया था।

नूर इनायत खान कि जासूसी के बारे में रेनी गैरी (Renee Garry) रेनी गैरी ने जर्मनों को बता दिया  था।  Emile Garry यानी Cinema जो कि sub circuit की Leader थी, Renee Garry उसकी बहन थी। और सिनेमा उस वक्त नेटवर्क में इनायत खान के  organiser थे।  एमिल हेनरी गैरी को बाद में गिरफ्तार किया गया और सितंबर 1944 में मार दिया गया था। 

और उसकी बहन रेनी गैरी के SEO agents को betray करने और secret information देने की वजह से 500 pounds का fine लेकर छोड दिया गया था। 

 हालाकी युद्ध के बाद, उस पर मुकदमा चलाया गया था, लेकिन एक वोट से वो jail जाने से बच गईं। 

 

लेकिन Noor के सामने अब मुश्किलो खडी थी। 13 अक्टूबर 1943 को नूर को गिरफ्तार किया गया और paris में SD Headquarters में उनसे पूछताछ की गई। और इस interrogation के दौरान Noor ने दो बार भागने की कोशिश की।  Paris में SD के former head ने war के बाद गवाही दी कि उन्होंने गेस्टापो ( Gestapo) को एक भी जानकारी नहीं दी, और लगातार झूठ बोलती रही।

Gestapo उस वक्त Naazi germany की secret political police थी।

 

नूर ने पूछताछ के दौरान अपनी activities के बारे में बात नहीं की लेकिन SD को उसकी नोटबुक मिल गई।   हालाकी ये security regualtions के खिलाफ था, लेकिन नूर ने SOE operative के रूप में भेजे गए सभी messages को कॉपी कर लिया था।  हालाँकि नूर ने किसी भी secret code को reveal करने से इनकार कर दिया था, लेकिन जर्मनों ने उसकी नकल करते हुए झूठे meassages भेजना शुरू कर दिया और SEO से काफी information ले ली थी। 

 

 इसके अलाना, फ्रांस में F सेक्शन के एयर-लैंडिंग officer ने paris में SD headquarters को सचमुच SOE के secrets बता दिए थे।  और ये Air landing officer बाद में D- Day के एक comples betrayal के Plan में एक participant के रूप में, secret intelligence service, SIS, जिसे आमतौर पर MI6 के रूप में जाना जाता है, के लिए काम करने लगा था।

और अब जब SEO की सारी information इतनी आसानी से मिल रही थी तो, फ़्रांस में भेजे गए तीन और एजेंटों को जर्मनों ने उनकी पैराशूट लैंडिंग पर ही पकड़ लिया, और उन्हे बाद में मार दिया गया था

 

Locally recruited एक SOE एजेंट तानिया को नूर की गिरफ़्तारी का पता चल गया था और उसने अपने fiance से कहकर लंदन में एक message भेजा, जिसमें उसने Noor के पकड़े जाने के बारे में बताया था और headquarter को Medeleine से किसी भी transmission पर विश्वास ना करने की चेतावनी दी थी। 

 

 लेकिन SEO कर्नल ने उस message को नज़रअंदाज़ कर दिया, क्योंकि वो नहीं जानता था कि Tanya कौन थी।  और उस message को seriously ना लेने की वजह से नूर के रेडियो से जर्मन transmissions को genuine माना जाता रहा, जिससे SOE एजेंटों की unnecessary मौत होने लगी, जिसमें खुद Tanya भी शामिल थी।

जब वेरा एटकिंस, Intelligence officer ने missing SEO agents की मौत की जाँच की तो, उसने शुरू में नूर को Tanya समझ लिया। क्योकी Noor और Tanya दोनो की Appearance same थी। लेकिन Vera भी Tanya के बारे में नही जानती थी, तो vera को लगा कि Noor को मार दिया गया। 

 

लेकिन 25 नवंबर 1943 को, नूर SD Headquarters से साथी SOE एजेंट के साथ भाग गई, लेकिन जल्द ही दोबार से पकडी गई।

 छत के पार भागते ही Aircred alert बजना शुरू हो गया। जिसकी वजह से सारे कैदियो की. Counting होती थी जिससे भागते हुए कैदी के बारे में पता चल जाता था।   

Noor के पकडे जाने के बाद उससे Future में कभी आषभागने की कोशिश ना करने के लिए एक official document पर Sign करने के लिए कहा गया, लेकिन Noor ने साफ इंकार कर दिया।

 नूर को 27 नवंबर 1943 को जर्मनी में Safe custody के लिए  एक एकांत कारावास में डाल दिया गया। और  दस महीने तक उसे वहीं रखा गया, उसके हाथों और पैरों में बेड़ियाँ डाल दी गईं थी।

 

नूर को हिरासत मे बहुत खतरनाक के रूप में classify किया गया था और ज्यादातर जंजीरों में जकड़ा हुआ था।  Noor पूरे वक्त Uncooperative बनी रही और अपने काम या अपने साथी के बारे में कोई भी जानकारी देने से इंकार करती रही, हालाँकि उसकी कारावास से और बाकी के कैदी रात में उसके रोने की आवाज़ सुन सकते थे। 

लेकिन फिर भी Noor ने अपने कप के base पर message scratch करके लिखा, और नूर नोरा बेकर का नाम और अपनी मां के घर का लंदन का पता देते हुए, अपनी पहचान के बारे में दुसरे कैदी को inform कर दिया था।

 

नूर इनायत खान को अचानक उसके साथी एजेंटों के साथ (दचाऊ) Dachau Concentration camp में transfer कर दिया गया था और अगली सुबह, 13 सितंबर 1944 को सुबह चारो Agents को मार दिया गया था।

 चारों कैदी Dachau conceptartion camp में आए, जहां उन्होंने एक रात बिताई थी। फिर उन्हें बाहर लाया गया, जहां Shooting होनी थी।  

यहां उन्हें मौत की सजा देने की घोषणा की गई। 

और ये सुनते ही चारों कैदी के चेहरे पीले पड़ गए थे।

चारो SEO agents को मारे जाने से पहले अपने घुटने टेकने का आदेश दिया गया था, एक के बाद एक गर्दन के पीछे गोली मार दी गई। तीन Agents तो पहले Shot में ही नर गए लेकिन Noor inayat khan में अभी भी जान और Fight दोनो बाकी थी। ये देखकर उन्होंने Noor Inayat Khan को एक बार और shoot किया।

 

Noor Inayat Khan एक Musician, एक Writer, एक Muslim princess जो बाद में British spy princess बन गई।

Inayat khan की कहानी और उनकी personality से inspired एक Female Spy Princess का character बनाया जा सकता है। जो Smart, Sharp minded हो, और Noor Inayat की तरह महात्मा गाँधी की follower हो।

और हो सकता है कि Pathaan film में हमें ऐसा ही कोई character देखने तो मिले।

 

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