चंबल के सभी डाकुओं की कहने में एक बात हमेशा common होती है। ये लोग समाज, पैसे और system से ठोकर खाए होते है । किसी underworld don की तरह ऐश का जीवन नही होता। सबसे कट के रहते है। चंबल के बीहड़ में जो भी गया वो बागी बन कर गया। चंबल के इतिहास में आखिरी डाकू जिसका नाम सबसे famous हुआ वो था Dadua डाकू का।
Shiv Kumar Patel aka Dadua चित्रकूट के एक गांव मे पैदा हुआ । B बचपन अच्छा बीता और 17 अट्ठारह साल की उम्र तक दावेदली गांव मे सब ठीक था। एक रोज पास ही के गांव के एक बड़े जमींदार जिसका नाम था Jagannath ने Shiv के पिता को गांव में नंगा कर दौड़ाया और इसके बाद उनकी हत्या कर दी । यह बात जब शिव कुमार पटेल को पता चली तो उसने अपने पिता का बदला लेने की कसम खाई ।
इसके बाद में मौका देखकर Jagannath के घर पहुंचा है और उसके आठ और लोगों को मार दिया। सीधे-साधे शिव कुमार पटेल की जुर्म की शुरुआत सीधे 9 कतलो से होती है। कत्ल करने के बाद वह वही जाता है जहां हर बागी को पनाह मिलती है ,यानी चंबल।
समय बीत रहा और कुछ महीनों बाद उसे समझ आ गया था कि अब उसकी तकदीर में केवल चंबल ही है और यही उसने तय किया कि वह अपनी खुद की gang बनाएगा। gang members उसे ददुआ नाम से बुलाने लगे।
चंबल के जिस इलाके में ददुआ ने अपनी gang बनाई थी वहां तेंदू के पत्ते बहुत अधिक मात्रा में उगते थे। इसी तेंदू के पत्ते से व्यापारी बीड़ी और सिगरेट का व्यापार करते थे । ददुआ डाकू ने अपना सबसे पहला शिकार इन्हीं तेंदू के पत्ते के व्यापारियों को बनाया। हर डाकू की तरह ददुआ ने भी kidnapping से लेकर extortion सब कुछ किया । लेकिन धीरे-धीरे उसकी छवि थोड़ी बदलने लगी। वह तेंदू के पत्तों को harvest करने वाले मजदूरों को उनका हक दिलाने के लिए व्यापारियों से भिड़ जाता। यदि कोई जमींदार किसी गरीब की जमीन हड़प लेता तो उसको भी न्याय दिलवा था। पर यह robinhood इतना खूंखार था कि इससे इसका हर दुश्मन डरता था क्योंकि यह किसी को भी नहीं बख्शा था।
ददुआ के बारे में कहा जाता है कि उसके मुखबरी करने का मतलब यह था कि मुखबेर ने ये सोच लिया था कि वह अब मरने ही वाला है। ददुआ अपने किसी भी मुखबेर को नहीं छोड़ता था चाहे वह कहीं भी जाकर छुप जाए।
इसीलिए 32 साल चंबल पर राज करने के बाद भी पुलिस के पास ददुआ की एक photo तक नहीं थी। शायद इसीलिए वह कभी भी पुलिस के हाथ नहीं आ पाया।
क्योंकि चंबल का इलाका UP और MP के border से होते हुए जाता है इसीलिए अकेले UP की सरकार ने ददुआ डाकू को पकड़ने के लिए करीबन ₹60cr तक खर्च कर दिए थे पर ददुआ ना तो मिला और ना ही उनका कोई भी operation कभी सफल हुआ ।
एक बार ददुआ डाकू बहुत मुश्किल में पड़ गया और पुलिस ने उसे चारों तरफ से घेर लिया। उस वक्त ददुआ ने मन ही मन में यह मन्नत मांगी की अगर आज वह पुलिस से बच गया तो महाकाल का मंदिर बनवा आएगा। किस्मत की बात यह रही कि ददुआ किसी तरह पुलिस से बच गया । उसने चित्रकूट के पास ही मंदिर बनवाया और ऐलान भी किया कि उसका उद्घाटन करने वह स्वयं भी आएगा ।
पुलिस को इस बात की पूरी खबर थी पुलिस ने आसपास के सभी गांवों में चक्का जाम कर दिया और मंदिर के आसपास की पूरी security रखी। इसके बावजूद ददुआ डाकू, पंडित के भेष में आया उद्घाटन किया ,पूजा भी कि, अभिषेक भी किया और पुलिस को चकमा देकर निकल भी गया।
ऐसे ही खूंखार criminal ki कहानी होने वाली है khalnayak 2
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