Shoaib और mastan कहने को चचेरे भाई थे पर हर चीज साथ साथ किया करते था। एक माध्यम वर्गीय परिवार में पले बढ़े shoaib और mastan दोनों बचपन से ही अपने अब्बू और उनके भाई की मदद दुकान पर कराया करते थे। Stationary की एक छोटी दुकान से उनका पूरा घर चला करता था। दोनों ही पास के एक school में पढ़ा करते थे । पर पढ़ने लिखने में दोनों का ही कुछ खास ध्यान नहीं था । पिता इस बात से कई दफा नाराज रहा करते थे कि पढ़ने लिखने में दोनों का ध्यान नहीं है पर फिर समझा-बुझाकर किसी को पढ़ाया तो नहीं जा सकता था।
दोनों का मन cricket खेलने में खूब लगता था तो एक समय बाद उनकी बात मान ली और cricket में ही आगे बढ़ाने का निर्णय लिया। शहर के stadium में दोनों का दाखिला करा दिया और एक coach के अंदर दोनों को रोज training के लिए भेज दिया जाता। पर वो कहते है ना को किस्मत को कोई मात नही दे सकता।
Stadium मे खेलते वक्त shoaib और mastan को पता चला की coach को कोई आदमी एक बड़ा सा bag देकर गया है। जिसके बाद से ही coach बहुत गुस्सा है वह अपने dressing room की तरफ जा ही रहे थे तभी उन्हें coach की जोर जोर से चीखने की आवाज आई । Phone पर किसी को गालियां देते हुए कह रहे थे कि यह नकली नोट उनके हाथ में थमा कर वह इंसान बच नहीं पाएगा ।
Shoaib और mastan को नहीं समझ आया कि वह किस से बात कर रहे थे पर उन्हें पहली बार नकली नोटों के बारे में पता चला। घर आकर उन्होंने जब बड़ों से सवाल किया कि नकली नोट क्या होते हैं तो मजाक में उनके पिता ने कह दिया किस दुनिया में अमीर लोग होते हैं उन्हीं के पास नकली नोटों का पेड़ होता है जिससे नकली नोट निकलते रहते हैं और वह और अमीर बनते जाते हैं । यह छोटी सी बात दोनों के दिल मैं रह गई ।
समय बीतता गया और शोएब और मस्तान दोनों ही बड़े हो गए। Cricket ठीक ही चल रहा था पर उससे केवल खर्चा बढ़ ही रहा था कम नहीं हो रहा था। पिता का हाथ बटाने के लिए दोनों ने पास की एक factory में काम करना शुरू कर दिया जहां कागज के बड़े posters print किए जाते थे। दोनो को idea aya कि क्यों न नकली नोट print किए जाए। पर यह इतना आसान नहीं था । Internet के जमाने में दोनों ने खूब research की । सही तरीके का कागज त्यार करके , रात को factory के extra चाबी बनवा कर वहां 500 के नोट print करने लगे।
जब पहला जाली नोट print करने के बाद petrol pump वाले ने उन्हें नहीं पकड़ा तो दोनों का confidence बढ़ गया और दोनों ने नौकरी छोड़ दी। पहली बार print किए हुए पैसों से बड़ी printing machine खरीदी और उसे एक truck में रखकर रफूचक्कर हो गए। दोनों को पता था कि आज नहीं तो कल पोल तो खुल जाने वाली है। इसीलिए अभी से भागना शुरू किया था कि पुलिस से हमेशा चार कदम आगे रहे।
जैसे ही पुलिस ने नकली नोटों की इस racket के बारे में जाना तभी investigation चालू की और उन्हें दोनों को पकड़ने में ज्यादा देर नहीं लगी दरअसल मस्तान के पिता ने ही उनकी सही location खुद ही पुलिस को बता दी थी।
ऐसे ही con artists की कहानी होने वाली है bade miyan chote miyan 2
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Apoorva