Jawan

यह कहानी है ब्रिगेडियर उसमान की. मोहम्मद उसमान का जन्म सन 1912 में यूपी (तब यूनाइटेड प्रोविंस) के आज़मगढ़ के बीबीपुर गांव में हुआ. यह वही समय था जब दिल्ली षड्यंत्र कांड हुआ| लॉर्ड हार्डिंग पर 23 दिसम्बर 1912 को चाँदनी चौक में एक जुलूस के दौरान एक बम फेंका गया था, जिसमें वह बुरी तरह घायल हो गए थे। इस अपराध के आरोप में बसन्त कुमार विश्वास, बाल मुकुन्द, अवध बिहारी व मास्टर अमीर चन्द को फाँसी की सजा दे दी गयी, जबकि रासबिहारी बोस गिरफ्तारी से बचते हुए जापान फरार हो गए| उसमान के पिता काज़ी मोहम्मद फारुक बनारस के कोतवाल थे. ब्रिटिश सरकार ने मोहम्मद फारुक के काम से खुश होकर उन्हें ‘खान बहादुर’ की उपाधि दी थी. उसमान की तीन बड़ी बहनें और 2 भाई थे. एक भाई गुफरान भी भारतीय सेना में ब्रिगेडियर के पद से रिटायर हुए. और दूसरे भाई सुभान पत्रकार थे. उस्मान बचपन में हकलाते थे. एक दिन उनके पिता उन्हें पुलिस के बड़े अधिकारी से मिलवाने ले गए. उस अंग्रेज अफसर ने उसमान से उनका नाम पूछा तो उस्मान ने हकलाते हुए जवाब दिया. हैरानी की बात यह है वो अंग्रेज अफसर भी हकलाता था. उसे लगा कि उस्मान उसकी नकल कर रहे हैं. और इसी बात पर वो अफसर काफी भड़क गया. उन्समान जब बड़े हुए तो उन्होंने सेना में भर्ती होने का मन बनाया और भर्ती भी हुए | लेकिन हमेशा ही उनका धर्म देशप्रेम के बीच आता रहा| बात 1947 की है| देश आज़ाद हो रहा था. और देश का बंटवारा भी. राज्य बंट रहे थे. लोग बंट रहे थे. और सेना भी. लेकिन उससे पहले जरूरत की देश में हिंसा और मारकाट रोकने की. सेना की दूसरी एयरबॉर्न डिवीज़न को तैनात किया गया ताकी हिंसा रोकी जा सके. मुल्तान, जैकबाबाद, लाहौर, अंबाला, रावलपिंडी और पंजाब की तमाम जगहों पर दंगे हो रहे थे. दूसरे विश्व युद्ध के बाद इतने सैनिकों को पहली बार हवाई रास्ते से पहुंचाया जा रहा था ताकी हालात पर काबू पाया जा सके. उस्मान ने सैनिकों के साथ इन शहरों को नापना शुरू किया. सेना के पहुंचने से फर्क पड़ा भी. इन पैरा यूनिट्स की तारीफ भी हुई. लेकिन उस वक्त देश बंट रहा था. बंटवारे के सेटलमेंट में सेनी की दूसरी एयरबॉर्न डिवीज़न का भी बंटवारा हुआ. डिवीज़न का हेडक्वाटर, 50 पैरा और 77 पैरा ब्रिगेड भारत के हिस्से में आई और 14 पैरा ब्रिगेड पाकिस्तान के हिस्से. सभी अफसरों और जवानों को यह बोल दिया गया था कि वो अपने मन मुताबिक देश को चुन सकते हैं. उस्मान बलूच रेजीमेंट में थे. धर्म से मुसलमान थे. और सेना के वरिष्ठ अधिकारी थे. तब तक वो ब्रिगेड कमांडर यानी ब्रिगेडियर के पद पर पहुंच चुके थे. लोगों को उम्मीद थी कि उस्मान पाकिस्तान जाना चुनेंगे. लेकिन उस्मान के फैसले ने सबको चौंका दिया. उस्मान ने भारत को चुना. उनकी रेजीमेंट के साथी अधिकारियों ने उस्मान के फैसले पर सवाल उठाए. उनसे दोबारा सोचने को कहा गया. मोहम्मद अली जिन्ना और पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली ने उस्मान को जल्दी प्रोमोशन का ऑफर दिया. उस्मान को पाकिस्तान सेना का अध्यक्ष बनने का भी ऑफर दिया गया. लेकिन उसमान ने किसी की बात पर ध्यान नही दिया. 77 पैरा ब्रिगेड की कमान संभाल रहे ब्रिगेडियर उसमान को आदेश मिला कि अब वो 50 पैरा की कमान संभालें और परांजपे को रिलीव करें. 50 पैरा तब नौशेरा में डटी थी. लेकिन लगभग चारों तरफ से पाकिस्तानियों ने घेरा हुआ था. झंगड़ गिर चुका था. और 24 दिसंबर की सुबह पाकिस्तानी सेना ने नौशेरा पर हमला बोल दिया. 25 दिसंबर को मोहम्मद अली जिन्ना का जन्मदिन होता था. और पाकिस्तानी सेना नौशेरा जिन्ना को तोहफे के तौर पर देना चाहती थी. कुछ ही दिनों के अंतराल पर कबाइलियों ने पाक सेना की मदद से नौशेरा पर तीन दफा अटैक किया. लेकिन ब्रिगेडियर उस्मान के सैनिकों ने नौशेरा पर कब्जा नहीं होने दिया.
इस दौरान ब्रिगेडियर उसमान को एक और मुश्किल का सामना करना पड़ा. उनके जवानों का भरोसा जीतना. वो मुस्लिम थे और ब्रिगेड के ज्यादातर जवान हिंदू थे. उसमान ने फूल प्रूफ बनाया. उन्होंने कोट पर ऑपरेशन का कोड वर्ड ‘कीपर’ रखा. जनरल करियप्पा को सेना में इसी नाम से जाने जाते हैं. कोट नौशेरा से 9 किलोमीटर नॉर्थ ईस्ट में बसा था. और वहां से नौशेरा पर तीन तरह से नज़र रखी जा सकती थी. उसमान ने 3 पैरा MLI को दाहिनी तरफ से पथरडी और उपर्ला डंडेसर पर कब्जा करने के लिए भेजा. और 2/2 पंजाब को उसी समय कोट पर अटैक करने का आदेश दिया गया.
इधर आर्मी की मदद के लिए इसी समय एयरफोर्स ने जम्मू एयरबेस से उड़ान भरी. 3 पैरा MLI ने पथरडी और उपर्ला डंडेसर पर आसानी से कब्जा कर लिया. इधर 2/2 पंजाब ने 1 फरवरी, 1948 को सुबह साढ़े 6 बजे कोट पर हमला किया. आधे घंटे में भारतीय सेना ने कोट खाली करा लिया. 7 बजकर 10 मिनट पर कोट जीतने का ऐलान कर दिया.

Comment Your Thoughts.....

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Related Post

Sherkhan

Sherkhan

शेरखान मूवी को लेकर सोहेल खान इतने एक्साइटेड है कि उन्होंने मूवी की प्लानिंग पहले ही कर ली थी। सोहेल ने ऑडियंस को ये बात

Read More »
sherkhan

Sherkhan

तकरीबन 10 साल के बाद शेरखान मूवी के प्रोड्यूसर सोहेल खान ने मूवी को लेकर फिर बातें शुरू की हैं। अभी हाल में एक रिपोर्टर

Read More »
Rambo, tiger shroff,Bollygrad Studioz bollygradstudioz.com

Rambo

Thumbnail: दाओ पर America की image? आज की कहानी 4 ऐसे कैदियों की है जिन्होंने अनब्रेकेबल जेल को ब्रेक कर दिया था लेकिन उनमें से

Read More »

Bollygrad Studioz

Get the best streaming experience

Contact Us

41-A, Fourth Floor,

Kalu Sarai, Hauz Khas,

New Delhi-16

 

011 4140 7008
bollygard.fti@gmail.com

Monday-Saturday: 10:00-18:00​

Get Connected