Hindu-Muslim की love stories का mostly क्या अंजाम होता है ये हमें indian cinema की Gadar, Veer-zara, Kedarnath जैसी कई फिल्मों में clearly दिखाया गया है। लेकिन फिर भी कुछ love stories ऐसी है जिसमें उनके प्यार की जीत हुई है। रास्ते में आई हर रूकावट का सामना करते हुए जिन्होने अपनी एक नई दुनिया बसाई। जहां पर धर्म की लडाई नही, बस इंसानियत और प्यार है।
ऐसी ही एक कहानी जिसमें 4 लोगो का एक परिवार, जिन्होने अपने घर का नाम ‘हम’ रखा है। अब इस ‘हम’ नाम के पिछे का beautiful reason, दो धर्म का जोड, दो इंसान का प्यार और दो परिवार की मिटती दूरी है! कैसे? चलिए जानते है!
दशहरा का त्योहार था और सब लोग नीचे रावन दहन देखने के लिए इकट्ठा हुए। और तब राहुल ने उसे पहली बार देखा था। राहुल boarding school में पढता था, तो वो नही जानता था कि वो लडकी कौन है जिससे उसकी नजरे ही नही हट रही थी। उसने पहले कभी उसे यहां नही देखा था, लेकिन कुछ वक्त बाद पता चला कि उसकी नींदे चुराने वाली लडकी Fatima है जो कि उसकी पड़ोसी है, हालाकी उन दोनो के बीच कोई बात चीत नही हुई। 1976 में राहुल रायपुर वापस आ गया। और 2 साल तक वो एक-दूसरे की बस झलक देखते रहे। लेकिन वह भी एक crime जैसा लगता था, क्योंकि फातिमा मुस्लिम थी और राहुल हिंदू। और वो लोग जानते थे कि उनके बीच की जो chemistry है उसे नजरअंदाज करना ही बहत्तर होगा।
राहुल और फातिमा दोनो जब भी रास्ते में आते जाते मिलते तो हर बार ना चाहचे हुए भी उनकी नजरे मिलने लगी। और end में, Fatima ने मामला अपने हाथो में लिया और राहुल को एक letter लिखा, जिसमें उसने राहुल का nickname ‘चुन्नू’ use करते हुए बताया कि वो राहुल को पसंद करती है।
राहुल जो मुश्किल से दुरी बनाना की कोशिश कर रहा था, जब फातिमा ने खुद ही पहल कर दी तो उसे मना करना, राहुल के बस में नही था।
और ऐसे शुरू हुई उनकी Forbidden love story। तीन साल तक उन्होने एक दुसरे को letters लिखे। और जब भी फातिमा शहर से बाहर होती थी, राहुल उसका इंतजार करता और घंटों एक जगह बैठा रहता था!
और फिर एक दिन दोनो ने मिलने की हिम्मत कर ही ली। और वो अपने दोस्तो के साथ फिल्म के लिए मिले, और बस फिर मिलते ही गए।
लेकिन एक बार फातिमा के भाई ने उन्हे देख लिया और उसे घर से निकाल दिया गया।
राहुल ने उसके माता-पिता से बात की, उनसे request की तो उन्होंने उसे वहाँ से जाने के लिए कह दिया। राहुल के माता-पिता का response भी अच्छा नहीं थी।
लेकिन राहुल ने हार नही मानी और उनसे कहा कि वो फातिमा से शादी करना चाहता है। उनके माता-पिता एक-दूसरे को सालो से जानते थे, फिर भी, धर्म उनके बीच आ गया। उनके पिता मिले और उन्होने तय किया कि ‘दोनो को समझा लेंगे’।
और उन दोनो की हर request, हर बात को पूरी तरह ignore कर दिया गया। जैसे राहुल और फातिमा के बीच कुछ है ही नही।
और तब राहुल ने तय किया कि वो इस तरह से हार नही मानेगा।
तब तक, राहुल अपना business भी set कर चुका था और office के नजदीक 2 फ्लैट किराए पर ले रहा था।
राहुल ने मौका देखा और फातिमा को लेकर भाग गया।
उनकी शादी के दिन, वह रोजाना की तरह कॉलेज के लिए निकली। वहां से वो आर्य समाज गए, शादी की और फिर नागपुर चले गए। उन्होने अपने माता-पिता को पत्र लिखे थे जो उन दोनो के नागपुर पहुँचने के बाद उनके दोस्तों ने उन्हें दे दिए।
और उन्ही किराए पर लिए गए एक फ्लैट में रहने लगे। फातिमा के पापा राहुल से मिलने आए और आराम से Fatima का ध्यान रखने को बोलकर चले गए। एक बार राहुल के मम्मी-पापा भी आए। लेकिन फिर भी, रिश्तेदारों ने हमें ताना मारे। राहुल के चाचा ने तो यहां तक कह दिया कि वो उसकी दोबारा शादी करा देंगे।
लेकिन राहुल और फातिमा ने सब कुछ नज़रअंदाज़ कर दिया और जब उनकी बेटी का जन्म हुआ, तो उन्होने रायपुर छोड़ने का फैसला किया। क्योकी वो इस सबका असर उनके बच्चो पर नही पडने देना चाहते थे। ताने देने वाले कभी चुप नही होंगे और वो नही चाहते थे की उनके बच्चो पर इन तानो की परछाई नही चाहते थे। वो एक शहर से दूसरे शहर घूमते रहे और end में गोवा में बस गए- तब तक, वो 4 लोगों का परिवार बन चुके थे!
राहुल और फातिमा के 44 सालो के एक साथ रहने के दौरान, धर्म कभी सामने नहीं आया। वो सभी त्योहार घर पर मनाते हैं। पूजा भी करते है और नमाज भी पढते है। राहुल vegetarian है, लेकिन बाकी सब non-vegetarian हैं। लेकिन फिर भी वो एक-दूसरे की मान्यताओं का सम्मान करते हैं। और इसलिए उन्होने अपने घर का नाम ‘हम’ रखने का फैसला किया- हिंदू के लिए ‘ह’ और मुस्लिम के लिए ‘म’। क्योंकि ‘हम’ में धर्म के लिए कोई जगह नहीं है- बस प्यार है… बस हम हैं।’