5 soldiers फँसे border पर!
Year 1947, Indian history का वो साल है, जिससे हमारे heavy sentiments जुडे है। जिसमें Britishers ने India और Pakistan का बटवारा कराया और हमें britishers से आजादी मिली। अब freedom कितने खून खराबे के बाद मिली, ये तो हम जानते ही है, लेकिन उसके बाद भी India और Pakistan के बीच किसी ना किसी मुद्दे पर झगडा चलता रहता है, जिनमें से एक मुद्दा, जो सबसे top पर रहा है, वो है Kashmir का मुद्दा।
लेकिन देखा जाए तो Kashmir के अलावा और भी ऐसे conflict issues थे, जिनका असर गहरा रहा है। Specifically, Rann Of Kutch, Indian State गुजरात की एक बंजर जगह पर हुआ conflict। ये मुद्दा पहली बार 1956 में उठा था जो उस area पर भारत के फिर से control के साथ खत्म हो गया था। पाकिस्तानी patrolling teams ने जनवरी 1965 में भारत कि controlling territory को खुद guard करना शुरू कर दिया। जिसके बाद 8 अप्रैल 1965 को दोनों देशों ने एक-दूसरे की चौकियों पर हमले करने शुरू कर दिए। शुरू में दोनों देशों की border पुलिस शामिल हो गई और जल्द ही Rann Of kutch दोनों देशों के soldiers के बीच की रुक-रुक कर लडाईयों का गवाह बना।
ये कहानी भी उसी वक्त कि है जब,1965 का Indo-Pak War या कहे दूसरा कश्मीर युद्ध, जो दोनों देशे के बीच, अप्रैल 1965 और सितंबर 1965 के बीच हुई लडाइयों का Result था,
जो पाकिस्तान के ऑपरेशन जिब्राल्टर के बाद शुरू हुआ, जिसे भारतीय शासन के खिलाफ विद्रोह को बढ़ावा देने के लिए जम्मू और कश्मीर में घुसपैठ करने के लिए डिजाइन किया गया था और ये operation इस second Kashmir War का पहला reason बना और जिस वक्त ये argument popular हो रहा था कि युद्ध शुरू होने वाला है, उस वक्त Indian Army के 5 soldiers की एक team को एक साथ पाकिस्तानी सेना की तैयारियों के बारे में information निकालने के लिए border पार पाकिस्तान भेजी गई थी। पांचो soldiers छुपते हुए, दुश्मनों को बिना भनक लगाए, खेतों के रास्ते से border पार करके Pakistan की territory में पहुंच गए।
उस वक्त गन्ने के खेती चल रही थी, जो उन्हें छुपने के लिए एक अच्छा cover दे सकती थी। वो पांचो वही गन्ने के खेत में छिप गए, क्योंकि वहां लंबी घास थी और उनके चारों ओर भी खेतों में गन्ने की ही खेती थी। खेत में घुटने तक पानी था क्योंकी गन्ने की फसल में ज्यादा पानी का use होता है। उन्हें वहां Pakistani Army की progress के हिसाब से Indian army को उस रात information पहुचानी थी, ताकी अगली सुबह indian Army अपने पूरे बारूद के साथ आगे बढ़ सके! लेकिन unfortunately, उनमें से एक, जिसने communication वायरलेस पकड़ रखा था, वो फिसल गया और Wireless पानी में गिर गया। Badluck उस रात उनके सर पर ही बैठा था, क्योंकी वायरलेस में कोई वाटर-प्रूफ फीचर नहीं थे। जिसकी वजह से उनके पास जो इकलौता medium indian army से communicate करने का था, वो काम नही कर रहा था। उन्होंने उससे पानी सोखने की कोशिश की, लेकिन फिर भी उसने कोई जवाब नहीं दिया। पांचो में से एक ने पहले सिग्नल सिस्टम के साथ काम किया था, लेकिन उनका वो talent भी यहां ज्यादा काम नहीं आ पाया। तो last में थक कर उनके पास सूरज के उगने और अपने रेडियो को सुखाने के लिए सुबह तक इंतजार करने के अलावा और कोई चारा नही बचा था। लेकिन इस बात से वो soldiers अच्छी तरह वाकीफ थे, कि सुबह की रोशनी भी एक बहुत खतरा लेकर आ सकती है।
सुबह का इंतजार करते हुए और बाकी लोगों की नज़रों से बचने के लिए, वो लोग गन्ने के खेत में पानी में लेट गए और सिर्फ उनके सिर पानी से बाहर निकले हुए थे। उनके पास खाने के पैकेट या पानी की बोतलें नहीं थीं, क्योंकी obvioulsy वो अपने दुश्मनों की territory में picnic की उम्मीद से नही आए थे। इसलिए, Soldiers ने कच्ची फसल से गन्ने का रस से पेट भरने का solution निकाला।
दूसरी तरफ, Indian Army जो पहले से ही अपने 5 soldiers को दुश्मनों की territory में भेजकर थोडी concern थी और उपर से अपने agents से उन्हे कोई खबर नहीं मिल रही थी। किसी तरह का कोई communication अभी तक नही हुआ था। तो Indian Army ने सोचा कि उनके soldiers पकड़ लिए गए है और इसलिए उन्होने अगले दिन आगे बढ़ने का फैसला किया।
सुबह हुई, धूप निकली और गन्ने के खेत में छुपे soldiers का wireless रेडियो भी सूख गया और शाम होने तक काम करने लगा। लेकिन तब तक पाकिस्तानी सेना भी आगे बढ़ चुकी थी और जिसकी वजह से वो अब उनसे पिछे हो गए थे
और उनके दिमाग में एक दो बाते थी, जैसे वो अब पाकिस्तान के अंदर थे और border की तरफ उनके आगे सैकड़ों पाकिस्तानी सैनिक पहरा दे रहे थे और उनकी Situation clearly कह रही थी कि वो फंस गए है, क्योंकी वो किसी भी तरफ नहीं जा सकते थे। पाकिस्तान के और अंदर जाने का मतलब होगा अपने प्यारे देश में वापसी की सारी उम्मीदें खो देना और border की तरफ उनके सामने एक बड़ी पाकिस्तानी बटालियन खडी थी।
Soldiers ने खेत में ही नीचे रहने का फैसला किया और ऐसे ही एक रात और आ गई। रात में उन्होंने कुछ मदद की उम्मीद में भारतीय सेना से contact किया, लेकिन वो अब waste था। क्योंकि दोनो देशों की सेनाएं एक-दूसरे का सामना करने के करीब थीं और अब Indian Army के border से पीछे हटने का तो कोई मतसब ही बन सकता था। जिसका मतलब पाकिस्तानियों का पीछे हटना हो सकता है और जिससे वो barricades हटा दिए जाएंगे, जो इन पांचो soldiers के लिए लगाए गए थे।
यह वो वक्त था, जब उन्हें यह एहसास था कि इस समय से उनकी life uncertain है। पलक झपकते ही, उनके साथ क्या हो जाए, वो खुद नही जानते थे। अगर उन्होंने थोड़ी सी भी हरकत की तो कोई भी inspection light उन्हें reveal कर सकती थी। उनकी आपस की कोई भी छोटी सी बड़बड़ाहट की आवाज भी उनके giant cruel enemy के attention और गुस्से को invite कर सकती थी।
इसी डर से अगले पांच दिनों तक, वो पांचो वहीं खेत में पड़े रहे, गन्ने का रस चूसते रहे और पानी में डुबकी लगाते रहे, ताकि पास के किसी कदम की आहट से छिप सकें। दूर से फायर शॉट्स की आवाज हमेशा उनका ध्यान अपनी तरफ खींच रही थी, लेकिन वो आवाज उन्हे ये भी relievence देती रही थी कि उनके दुश्मन पास में नहीं थे। soldiers ने एक formation बनाने का फैसला किया, ये सोच कर कि terrorist के किसी छोटे group ने उन पर हमला करने की कोशिश की तो वो जल्दी action ले सकेंगे।
हालाकी उनके जीने की उम्मीद कम होती जा रही थी। रात में ऐसे कई उदाहरण थे, जब उन्हें लगा कि “ये उनके जिंऊ का अंत है”। जैसे गुजरने वाले vehicle की आवाज़ आती तो उन पांचो की सांसे रुक जाती थी। क्योंकी अगर किसी ने उनकी थोडी सा भी movement notice की तो वो लोग आसानी से पकडे जाएंगे।
लगातार 6 दिनों तक पानी में डूबे रहने की वजह से उनके कपड़े लगातार गीले थे और गीले कपड़ों का शरीर से लगातार contact होने की वजह से उनकी body के हर हिस्से में खुजली होने लगी थी और उनकी skin बिल्कुल लाल हो गई थी। वो पल इतना unbearbale हो गया था कि, कभी-कभी उस खुजली से बेहतर मौत लगने लगी थी। छटे दिन का सूरज भी बिना किसी change के ढल गया था। उस रात को intdian Army की ओर से एक उम्मीद भरा message आया कि उन्होंने थोड़ी देर के लिए पाकिस्तानी बटालियन का ध्यान border के दूसरे हिस्से की ओर attract कर दिया था, लेकिन फिर भी risk ज्यादा ही है, इसलिए उन पांचों को अपनी वापसी में किसी शानदार रास्ते की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।
कुछ दुश्मनों के अभी भी वहाँ होने का डर था।
लेकिन soldiers ने सोचा कि, अगर इस खुजली, गीले कपड़ों से बचने और उनके देश वापस जाने का कोई मौका था, तो वो यही था। ये कुछ घंटे उनकी जिंदगी का फैसला करेंगे। पांचो ने अपने अंदर की logical और optimistic आवाज को follow किया और वो रेंगते हुए और छुपते हुए अपने रास्ते पर चल पड़े।
भगवान का शुक्र है, End में पहुंचने तक उन्हें कोई दुश्मन नही मिला, बस कुछ खाली बमबारी वाले vehicles मिले थे। जिन्हें वो पांचों अपने पास से गुजरने से पहले कुछ मिनटों के लिए, किसी खतरे के लिए observe कर रहे थे।
सातवे दिन की सुबह का सूरज उन्होंने अपने अपने देश में देखा था और इससे ज्यादा खुशी की बात उनके लिए और कोई नही थी।
पाकिस्तान से आने के बाद उन soldiers ने एक बात notice की दोनों देशों की फसल, खेतों में कुछ अंतर नही था। उस समय, यह बिल्कुल भारत जैसा दिखता था। उन्हें वो अपने homeland में अपने गन्ने के खेतों जैसा ही लग रहा था और यहां तक कि, उन्हें फसल के पैटर्न में भी कोई अंतर नहीं मिला। लेकिन जब वो लौटे उनके चेहरे पीले और skin लाल थी और इन बातों पर ध्यान दिया जाता अगर border पर war ना चल रहा होता। क्योंकी फिर आठवें दिन, seniors officers ने उनकी पीठ थपथपाई और उन्हें एक और बटालियन के साथ अपने दोस्तों के साथ मोर्चे पर शामिल होने के लिए भेजा दिया गया और एक brave indian soldier की तरह बिना किसी झिझक के उन पांचों ने अपनी बटालियन को join किया।
ऐसी dedication और bravery की कहानी से inspired कोई scene हमें Rambo फिल्म में भी देखने को मिल सकता है।